क्या है इस पोस्ट में ?
Dahej lene aur dene ka law इन हिंदी, Dowry Prohibition Act, 1961 PDF, दहेज act शादी के कितने साल तक लगता है ? दहेज का अर्थ कौन सी धारा में बताई गई है ?दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 pdf , दहेज केस के नियम 2022, दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 की धारा 4 , दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 की धारा 5, features of dowry prohibition act 1961, critical analysis of dowry prohibition act 1961, punishment under dowry prohibition act 1961, dowry prohibition act 1961 pdf, dowry prohibition act 1961 ppt ,dowry prohibition act 1961 notes ,dowry prohibition act 1961 upsc, dahej pidta girl photo , dowry prohibition act 1961 in hindi सभी सवालों का जवाब इस आर्टिकल में देने जा रहे है ।
जैसा कि आप लोग जानते हैं कि दहेज लेना अपने आप में एक कानूनी अपराध है और देना भी अपने आप में इसके बावजूद भी लोग आज की तारीख में दहेज लेते हैं और देते हैं और दहेज समाज के लिए अभिशाप है जिसके कारण कई महिलाओं का जीवन बर्बाद हो जाता है और कई को तो जिंदा जला भी दिया जाता है दहेज के लिए ऐसे में आप लोगों को इस बात की जानकारी होनी आवश्यक है कि दहेज लेने और देने का नियम और कानून भारत में क्या है अगर आप इसके बारे में बिल्कुल कुछ नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं है मैं आज आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताऊंगा कि Dahej lene aur dene ka law आइए जानते हैं-
भारत के कानूनों में दहेज का कानूनी अर्थ सबसे पहले दहेज निषेध अधिनियम 1961 में पेश किया गया था। यह कानून स्पष्ट रूप से बताता है कि दहेज क्या है। इस अधिनियम की धारा 2 दहेज को किसी भी संपत्ति या मूल्य की गारंटी के रूप में परिभाषित करती है जो पार्टियां शादी के समय एक-दूसरे को देती हैं और शादी के बाद भी दी जा सकती हैं।
Dowry Prohibition Act, 1961
Dahej lene aur dene ka law इंडिया में क्या है – Dowry Prohibition Act, 1961
भारत में व्याप्त दहेज ऐसी विकृति को समाप्त करने के लिए भारतीय सरकार ने 1961 में दहेज अधिनियम का कानून बनाया जिसके तहत अगर कोई भी व्यक्ति दहेज लेता है या देता है, तो उसे कानूनी सजा और जुर्माना का सामना करना पड़ेगा इस कानून के बन जाने के बाद कुछ हद तक भारत में दहेज लेने की और देने की परंपरा में थोड़ा सा लगाम लगा लेकिन आज भी भारत में कई जगह पर है दहेज सही तरीके से लिया और दिया जाता है I आज भी भारत में शादी समारोह में लोग लड़कियों की शादी में अच्छे खासे पैसे दहेज के तौर पर देते हैं
स्त्रीधन और दहेज में अंतर क्या है
स्त्रीधन क्या होता है – stridhan kya hota hai
शादी के समय लड़की को दिए जाने वाले उपहार, जेवर, वर-वधू के कॉमन यूज के बेड, सोफा, टीवी आदि चीजें स्त्रीधन की कैटिगरी में आती इसके विपरीत एक बार अगर कोई भी चीज आप अपनी लड़की किस ईंधन के तौर पर दे देते हैं तो दोबारा आप उसे मांग नहीं सकते हैं क्योंकि इस प्रकार की चीजों पर सिर्फ अधिकार लड़की का होगा ।
- स्त्रीधन पर सिर्फ लड़की का हक है।
- वधू अपना स्त्रीधन जिसे चाहे दे सकती है।
- शादी में मिला धन लड़की के अलावा किसी दूसरे व्यक्ति के पास अमानत के तौर पर होता है। यह उस व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि शादी के सामान या संपत्ति को सुरक्षित रखे। मांगे जाने पर उस लड़की को लौटा दिए जाएं।
- ऐसे व्यक्ति से सामान या संपत्ति मिलने से पहले लड़की की किसी भी कारण से मृत्यु हो सकती है। ऐसे में उसके वारिस उस व्यक्ति से
- संपत्ति मांग सकते हैं।
- अगर कोई व्यक्ति सामान नहीं लौटाता है तो शिकायत दर्ज करें। उस व्यक्ति पर अमानत में खयानत का आपराधिक मामला दर्ज होगा
दहेज क्या होता है – Dahej kya hota hai
दहेज की परिभाषा बहुत व्यापक परिभाषा है।दहेज की परिभाषा में लड़के के परिवार के सदस्यों को दिए गए उपहार भी शामिल हैं।जरूरत पड़ी तो दहेज पर रोक लगाने वाला कानून भी लागू किया जाएगा।
- शादी के समय लड़के पक्ष के द्वारा लड़की पक्ष से नकदी और गहनों की मांग की जाती है।
- यह मांग शादी से पहले, शादी के समय या शादी के बाद भी की जाती है।
- उपहार के रूप में टी.वी. फ्रिज फर्नीचर, मोटरकार, आदि दिए जाते हैं।
- संपत्ति, प्लॉट, मकान, जमीन, अन्य कई मूल्यवान वस्तुएं शादी में दी जाती हैं। उपरोक्त सभी दहेज हैं।
- कानूनन दहेज लेना और देना दोनों अपराध हैं।
- दहेज लेने वाले ही नहीं बल्कि दहेज देनेवाले को भी कानून अपराधी मानता है।
इच्छा अनुसार भी नहीं दिया जा सकता दहेज
दहेज निषेध अधिनियम 1961 किसी भी रूप में दहेज को लेने और देने पर रोक लगाता है। केवल कुछ घरेलू सामानों को छूट दी गई है। सामान जो सामान्य घरेलू सामान जो किस गृहणी की जरूरत होता है उसे दहेज नहीं माना जाता है, लेकिन अगर ऐसा समान लड़का परिवार मांगता है, तो उन्हें भी दहेज माना जाता है।
अगर लड़की के पिता उसकी इच्छा के अनुसार कुछ देते हैं, तो इसे दहेज नहीं माना जाता है। विवाह की शर्त के अनुसार किसी भी प्रकार का आर्थिक लेन-देन दहेज की श्रेणी में आता है और यह बहुत अधिक लेने और बहुत सारे अपराध करने वाला माना जाता है। बहुत बार लड़का परिवार बेटी नाम पे जमीं पंजीकृत करने जा किस सम्पति को लड़के के नाम पर करने की मन करता है तो यह दहेज़ की श्रेणी में आता है ।
लड़की वालों के परिवार के ऊपर भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है-
दहेज दाताओं के स्पष्ट परित्याग पर दिल्ली की एक अदालत ने कड़ी टिप्पणी की है। 2010 में, रोहिणी जिला न्यायालय ने फैसला सुनाया कि दहेज दोतरफा सौदा है। यदि दहेज दिया जाता है और प्राप्त किया जाता है, तो दूल्हे पक्ष की तरह,दुल्हन के परिजनों पर भी मुकदमा चलना चाहिए। केवल इस तरह से इस सामाजिक बुराई को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि शादी से पहले और बाद में दिए जाने वाले महंगे उपहारों की जानकारी सरकारी अधिकारियों को देनी चाहिए। दहेज देने वालों की कमाई की स्त्रोतों की जांच होनी चाहिए।

कब कब दहेज़ की मांग की जाती है
- विवाह से पूर्व
- शादी के अवसर पर
- विवाह के बाद
क्या क्या आता है दहेज़ अपराध के दायरे में – Dahej lene aur dene ka law in hindi
- दहेज़ देना
- दहेज़ लेना
- लेने और देने के लिए उकसाना
- वधु के माता-पिता या अभिभावकों से सीधे या परोक्ष तौर पर दहेज़ की मांग
दहेज लेने और देने पर कानूनी प्रावधान क्या है- Dowry prohibition act punishment under IPC Sections
भारतीय दहेज अधिनियम 1961 के तहत अगर कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति से दहेज लेता है या कोई व्यक्ति किसी को दहेज दे रहा है तो दोनों कानूनी रूप से अपराध की श्रेणी में आएंगे ऐसे में आपके ऊपर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है I इसके अंतर्गत आप को 5 साल की कैद और ₹15000 का जुर्माना देना पड़ सकता है
IPC Section 406 – दहेज़ की मन करने पर सजा
अगर कोई भी पुरुष अपनी पत्नी को दहेज के लिए प्रताड़ित करता है तो उसको और उसके परिवार वालों को इस धारा के अंतर्गत 3 साल की सजा हो सकती है या फिर जुर्माना देना पड़ सकता है या फिर दोनों ही सजा हो सकती है ।
IPC Section 304B – दहेज़ प्रताड़ना से मौत होने पर सजा
इस धारा के अन्दर उस तरह का केस आता है जिसमें किसी महिला की मौत अगर दहेज के कारण होती है या फिर उसको जलाने की कोशिश की जाती है तो उसके पति और घर वालों को उम्र कैद की सजा होती है। इस धारा के अन्दर कोई जुर्माना नहीं आता है इसमें सीधे सजा होती है। Section 304B मुताबिक उसे एकदम 7 साल या उम्र कैद की सजा दी कोर्ट की तरफ से दिया जा सकता है।
IPC Section 498A – लड़की के जान देने की कोशिश पर सजा
इस धारा के अन्दर उस तरह का केस आता है जिसमें अगर कोई महिला दहेज की प्रताड़ना से तंग आकर जान देने की कोशिश करती है और अगर इसकी शिकायत वो पुलिस से कर देती है तो उसके पति और ससुरालवालों को उम्र भर की सजा हो सकती है। इस अपराध में आपको जमानत भी कोर्ट की तरफ से नहीं मिलेगी I जिसके मुताबिक अगर आप इसमें दोषी पाए जाते हैं तो आप को 3 साल की सजा दी जाएगी।
इसके अलावा अगर कोई ससुराल वाला दहेज में प्राप्त चीजों को अगर लौटाने के लिए मना करें तो इस स्थिति में परिवार वालों के ऊपर धारा 406 के तहत उस पर अमानत और और खयानत का केस दर्ज हो सकता है जिसमें दोषी पाए जाने पर ससुराल वालों को साल की सजा मिल सकती है और सबसे महत्वपूर्ण बात कि इस प्रकार के केस में आप की जमानत भी कोर्ट की तरफ से मंजूर नहीं की जाएगी I

Dowry prohibition act 1961 Punishment Law – दहेज निषेध अधिनियम में कुल कितनी धाराएं हैं?
धारा-3 – दहेज लेने या देने पर
जो कोई भी दहेज लेने या देने का अपराध करता है उसे कम से कम पांच साल की अवधि के लिए कारावास या कम से कम पंद्रह हजार रुपये का जुर्माना या उपहार के मूल्य के बराबर की राशि से दंडित किया जाएगा। इनमें से जो भी अधिक हो, विवाह के समय वर या वधू को दिया गया उपहार और जो नियमों में शामिल होगा, दहेज की परिभाषा के बाहर होगा।
धारा-4 – दहेज की मांग के लिए जुर्माना
यदि किसी भी पक्ष के माता-पिता, अभिभावक या रिश्तेदार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दहेज की मांग करते हैं, तो उसे किसी भी श्रेणी में कम से कम छह महीने और दो साल से अधिक की अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा और यह हो सकता है। दस हजार रुपये तक के जुर्माने से दंडनीय है।
धारा 4ए
किसी भी व्यक्ति द्वारा प्रकाशन या मिडिया के माध्यम से पुत्र-पुत्री के शादी के एवज में व्यवसाय या सम्पत्ति या हिस्से का कोई प्रस्ताव भी दहेज की श्रेणी में आता है और उसे भी कम से कम छह मास और अधिकतम पाँच वर्ष के कारावास की सजा तथा 15,000 रूपये तक जुर्माना हो सकता है।
धारा 6
यदि कोई दहेज विवाहिता के अतिरिक्त अन्य किसी व्यक्ति द्वारा धारण किया जाता है, तो उसे दहेज प्राप्त करने के तीन महीने के भीतर, या नाबालिग के मामले में, उसके वयस्क होने के एक वर्ष के भीतर स्थानांतरित कर दिया जाता है। यदि पत्नी की मृत्यु हो जाती है और कोई बच्चा नहीं है, तो दहेज अभिभावक को हस्तांतरित कर दिया जाता है, और यदि बच्चा है, तो बच्चे को स्थानांतरित कर दिया जाता है।
धारा 8ए
यदि घटना के एक वर्ष के भीतर शिकायत दर्ज की जाती है, तो अदालत पुलिस रिपोर्ट या पीड़ित व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत शिकायत के आधार पर दहेज़ केस की investigation कर सकती है । इसके साथ धारा 8B के अंतर्गत दहेज निषेध पदाधिकारी को राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा, जो जारी किए गए नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने, दहेज की मांग को प्रेरित करने, या अपराध के कमीशन से संबंधित साक्ष्य के अभ्यास या संग्रह को रोकने का कार्य करेगा।
दहेज हत्या के मामले में कार्रवाई
- खबर मिलते ही पुलिस नजदीकी मजिस्ट्रेट को तुरंत इसकी सूचना देगी।
- मृत्यु के कारणों की जांच करेगी। पुलिस अधिकारी स्वयं वहां जाएंगे जहां घटना घटी है।
- पुलिस शव का पोस्टमार्टम कराकर मृत्यु के कारणों का पता लगाएगी।
- पुलिस घटना स्थल पर दो जाने-माने व्यक्तियों के सामने जांच करके एक रिपोर्ट बनाएगी। रिपोर्ट पर पुलिस अधिकारी और वहां पर मौजूद लोगों के हस्ताक्षर होंगे।
शिकायत कौन कर सकता है
- दहेज की मांग से पीड़ित महिला, इसके माता-पिता या अन्य रिश्तेदार।
- कोई पुलिस अधिकारी या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कोई स्वयंसेवी संस्था।
- अगर अदालत को किसी ऐसे मामले की खबर मिले तो वह खुद कार्यवाही शुरू कर सकती है।
- दहेज की रपट लिखवाने या मुकदमा चलाने के लिए कोई समय सीमा नहीं है। कोशिश यह होनी चाहिए कि रिपोर्ट जल्द-से-जल्द लिखवाई जाए।
- एक बार दहेज से संबंधित अपराध की शिकायत दर्ज हो गई, तो समझौता होने पर भी शिकायत वापस नहीं ली जा सकती।
Download Dowry Prohibition Act 1961 PDF in Hindi
सवाल – जवाब (FAQ)
20 मई, 1961 को, भारतीय संसद ने दहेज देने या प्राप्त करने पर रोक लगाने के लिए एक कानून बनाया, जिसे दहेज निषेध अधिनियम, 1961 कहा जाता है। यह कानून 1 जुलाई, 1961 को लागू हुआ।
दहेज से छेड़छाड़ भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए के तहत तीन साल तक की कैद और जुर्माने से दंडनीय है, जो पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा संपत्ति या कीमती सामान की गैरकानूनी मांग से संबंधित है।
धारा 498ए के अनुसार यदि किसी विवाहित महिला को उसके पति या उसके परिवार के सदस्यों के साथ मानसिक, शारीरिक या अन्य किसी भी तरह से क्रूरता या यातना दी जाती है तो उस महिला की शिकायत पर इस धारा में मामला दर्ज किया जाता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत एक अपराध एक गैर-जमानती अपराध है।
Dowry prohibition act 1961 के अनुसार जो कोई भी दहेज लेने या देने का अपराध करता है उसे कम से कम पांच साल की अवधि के लिए कारावास या कम से कम पंद्रह हजार रुपये का जुर्माना या उपहार के मूल्य के बराबर की राशि से दंडित किया जाएगा।
Section 304 and Section 498A के अन्दर उस तरह का केस आता है जिसमें अगर कोई महिला दहेज की प्रताड़ना से तंग आकर जान देने की कोशिश करती है और अगर इसकी शिकायत वो पुलिस से कर देती है तो उसके पति और ससुरालवालों को उम्र भर की सजा हो सकती है। इस अपराध में आपको जमानत भी कोर्ट की तरफ से नहीं मिलेगी I
निष्कर्ष
हम आशा करते है के इस आर्टिकल से आपको दहेज़ क्या है ? क्या दहेज़ लेने या देना गलत है ? कौन सा दहेज अपराध करने पर कुन सी और कितनी सजा मिलेगी । Dahej kya hota है ?Dahej lene aur dene ka law in हिंदी, Dowry prohibition act 1961 Punishment Law in Hindi , दहेज निषेध अधिनियम में कुल कितनी धाराएं हैं? Dowry Act punishment kya kya है ? IPC Section 498A kya hai ? दहेज़ में अगर लड़की ने जान देने की कोशिश की तो क्या ? क्या लड़की के सुसराल के सभी मेंबर्स को सजा हो सकती है ? आदि सभी सवालों के जवाब हमने आपको इस आर्टिकल में दिए है । आप अपने सवाल और सुझाव निचे कमेंट कर सकते है । हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमे सोशल मीडिया पर फॉलो करे । धन्यावाद।
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सतिनाम सिंह पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर है। Web developer काम के साथ इनको पढ़ने , लिखने का शौक ह। इसी ज्ञान को दुसरो के साथ बाटने के लिए ही मैंने इस हिंदी शोभा ब्लॉग की स्थापना की है। देश के लोगो को सरल भाषा में पूरी जानकारी देना ही मेरा लक्ष्य है।
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