क्या है इस पोस्ट में ?
NATO Army kya hai in Hindi :- दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं रूस ने यूक्रेन के ऊपर हमला कर दिया है। जिसके बाद से यूक्रेन दुनिया के बड़े-बड़े देशों से मदद की गुहार लगा रहा है ऐसे में यूक्रेन नाटो देशों की सेना से भी मदद की अपील की है। ताकि उसे रूस से लड़ने में मदद मिल सके ऐसे में आज की तारीख में नाटो सेना का चर्चा खूब तेजी के साथ भारत और विश्व की मीडिया में हो रहा है। ऐसे में आप लोगों के मन में सवाल जरूर आएगा कि नाटो सेना क्या है? इसकी स्थापना कब हुई थी इसके कार्य करने के तरीके के हैं इसके सदस्य कितने हैं? अगर आप NATO Army kya hai in Hindi me पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि इस पोस्ट को आखिर तक पड़ेगा आइए जाने-
नाटो सेना क्या है – NATO Army kya hai in Hindi
नाटो एक प्रकार का अमेरिका और यूरोपीय देशों से जुड़ा हुआ एक सेना संगठन है इसका पूरा नाम उत्तर अटालांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Organization )। इसका प्रमुख काम है कि अपने सदस्य देशों मे अगर किसी प्रकार का कोई देश हमला करता है। तो उसकी रक्षा करना और सैन्य सहायता भी प्रदान करना I इसकी स्थापना 1949 में किया गया जैसा कि आप जानते हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका और यूरोप के देशों के मन में इस बात का ख्याल आया कि अगर विश्व में रूस को रोकना है तो उसे इस संगठन की स्थापना करनी होगी। और उसी को ध्यान रखते हुए की स्थापना की गई I जब इसकी स्थापना की गई थी तो उस समय इसके 12 सदस्य देश थे I जो इस प्रकार है- अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड्स, नॉर्वे और पुर्तगाल।

नाटो में कुल मिलाकर कितने सदस्य देश है – NATO Army Countries List
NATO Army kya hai in Hindi, आज की तारीख में नाटो के अंदर कुल मिलाकर 30 सदस्य देश हैं और 2020 में नॉर्थ मैसेडोनिया में इसमें शामिल होने वाले सबसे नया सदस्य देश है I नाटो का हेड क्वार्टर बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स में सदस्य देशों का विवरण में आपको नीचे दे रहा हूं जो इस प्रकार है-
- बेल्जियन
- कैनेडा
- डेनमार्क
- फ्रांस
- आइसलैंड
- इटली
- लक्समबॉर्ग
- नीदरलैंड
- नॉर्वे
- पुर्तगाल
- यूके
- यूएस
- ग्रीस
- तुर्की
- जर्मनी
- स्पेन
- चेक गणतंत्र
- हंगरी
- पॉलैंड
- बलगैरिया
- इस्टोनिया
- लातविया
- इथुआनिया
- रोमानिया
- स्लोवाकिया और स्लोवेनिया
- अल्बानिया
- क्रोएशिया
- मोंटेनेग्रो
- उत्तरी मैसेडोनिया

नाटो संगठन का स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या है – Main Focus of NATO Group
नाटो की स्थापना का मुख्य उद्देश्य विश्व में रूस के बढ़ते हुए प्रभाव को कम करना है। इसी को ध्यान में रखते हुए जब दूसरा विश्व युद्ध समाप्ति हुई तब अमेरिका और यूरोपीय देश के कुछ देशों ने मिलकर इस बात की गहन चर्चा की क्या अगर हमें रूस के प्रभाव को विश्व जगत में कम करना है। तो सबसे पहले हमें मिलकर का ऐसा संगठन बना होगा जो उसके दायरे को कम करने का काम करेगा। इसके लिए अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर नाटो की स्थापना की उस समय रूस काफी तेजी के साथ यूरोप देशों में साम्यवाद को स्थापित करा था और जैसा कि आप जानते हैं कि रूस और अमेरिका के बीच के रिश्ते हमेशा खराब होते हैं । विश्व में इस बात को लेकर चर्चा की जाती है कि कौन विश्व में सुपर पावर पावर के तौर पर अपने आप को स्थापित करेगा। इसी के कारण रूस और अमेरिका के बीच हमेशा टकराव की स्थिति बनी रहती है I
नाटो संगठन का सदस्य बनने की शर्तें और नियम में क्या है-
अगर कोई भी देश नाटो का सदस्य बनना चाहता है तो उसके लिए पहली शर्त उसका यूरोपीय देश होना आवश्यक है। लेकिन नाटो ने अपने नियमों में कुछ बदलाव भी किए हैं क्योंकि नाटो का मकसद है कि पूरी दुनिया में अपने संगठन का विस्तार करना। इसी के लिए उसने कुछ ऐसे देशों को भी अपने संगठन में शामिल किया है जो यूरोपीय देश नहीं है अल्जीरिया, मिस्र, जॉर्डन, मोरक्को और ट्यूनिशिया भी नाटो के सहयोगी हैं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भी नाटो की भूमिका रही है I
नाटो संगठन का सदस्य देश बनने से फायदा क्या है- Benefits to be part of NATO Army
अगर कोई भी देश नाटो संगठन का सदस्य बन जाता है तो उसको अनेकों प्रकार के लाभ प्राप्त होंगे जिनका विवरण में आपको नीचे बिंदु अनुसार दूंगा जो इस प्रकार है-
- युद्ध की स्थिति में सदस्य देश की सैन्य सहायता प्रदान करना
- अगर कोई भी देश नाटो सदस्य देश के ऊपर हमला करता है तो इसका मतलब साफ है कि उसे नाटो के सभी देशों के साथ युद्ध करना आवश्यक है
- नाटो सदस्य देशों को हर एक प्रकार की आधुनिक हथियार और उपकरण उपलब्ध करवाए जाते हैं I
- NATO संगठन सदस्य देशों की सुरक्षा की गारंटी लेता है I
- नाटो संगठन का सदस्य देशों ने से आपको आर्थिक सहायता भी प्राप्त होती है I
- NATO संगठन के द्वारा एक अलग से नाटो सेना की बनाई गई है जिसका प्रमुख उदय सदस्य देशों की सीमा की सुरक्षा करना है और वहां पर जो भी आधुनिक हथियार या उपकरण उनकी तैनाती करना है ताकि अगर किसी प्रकार की युद्ध की स्थिति आए तो उसका सामना मजबूती के साथ किया जा सके I
नाटो और भारत – NATO and INDIA
भारत नाटो का मेंबर नहीं है। लेकिन अमेरिकी सीनेट ने भारत देश को नाटो सहयोगी देश का दर्जा देने के लिये विधेयक पारित किया है अत: अमेरिकी सीनेटर ने हथियार निर्यात नियंत्रण अधिनियम(Arms Export Control Act-AECA) में संशोधन की मांग की। इसके पहले अमेरिका यह दर्जा इज़रायल और दक्षिण कोरिया को दे चुका है।
नाटो संगठन की संरचना क्या है- NATO Structure
NATO संगठन की संरचना निम्नलिखित प्रकार के चीजों को मिलाकर की गई है जिनका विवरण में आपको नीचे बिंदु अनुसार दूंगा जो इस प्रकार है-
1. परिषद : यह नाटों का सर्वोच्च अंग है। इसका निर्माण राज्य के मंत्रियों से होता है। इसकी मंत्रिस्तरीय बैठक वर्ष में एक बार होती है। परिषद् का मुख्य उत्तरायित्व समझौते की धाराओं को लागू करना है।
2. उप परिषद् : यह परिषद् नाटों के सदस्य देशों द्वारा नियुक्त कूटनीतिक प्रतिनिधियों की परिषद् है। ये नाटो के संगठन से सम्बद्ध सामान्य हितों वाले विषयों पर विचार करते हैं।
3. प्रतिरक्षा समिति : इसमें नाटों के सदस्य देशों के प्रतिरक्षा मंत्री शामिल होते हैं। इसका मुख्य कार्य प्रतिरक्षा, रणनीति तथा नाटों और गैर नाटों देशों में सैन्य संबंधी विषयों पर विचार विमर्श करना है।
4. सैनिक समिति : इसका मुख्य कार्य नाटों परिषद् एवं उसकी प्रतिरक्षा समिति को सलाह देना है। इसमें सदस्य देशों के सेनाध्यक्ष शामिल होते
नाटो सेना के प्रमुख कार्य क्या है- NATO Army Works
NATO संगठन में नाटो संगठन सेना का निर्माण किया है जिसका मुख्य कार्य अपने सदस्य देशों की रक्षा करना है। ऐसे में आप लोगों को याद होगा कि जब अफगानिस्तान में तालिबान का प्रकोप बढ़ गया था, तो वहां पर अमेरिका ने नाटो सेना को भेजकर तालिबान आतंकवादियों का खात्मा किया था और नाटो सेना हर अपने सदस्य देश के अंदर तैनाती की जाती है। ताकि आधारित की स्थिति अगर बने तो नाटो सेना उस देश के सेना के साथ मिलकर दुश्मन सेना का सामना मजबूती के साथ कर सके I
- नाटो आतंकवाद की समस्या से निपटने के साथ-साथ आतंकवादी हमले के परिणामों का प्रबंधन करने के लिये नई क्षमताओं और प्रौद्योगिकियों का विकास करता है।
- NATO लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने और अपने सदस्यों देशों की समस्याओं को हल करने के अलावा न केवल विश्वास का निर्माण करता है बल्कि रक्षा और सुरक्षा मामलों पर परामर्श और सहयोग की अनुमति भी देता है।
- नाटो शांतिपूर्ण तरीके से विवादों को हल करने के लिये राजनयिक प्रयास करता है यदि ये प्रयास विफल होता है तो उसे इस प्रकार के संकट प्रबंधन कार्यों को करने के लिये सैन्य शक्ति का भी प्रयोग करना पड़ता है।
- NATO के मुख्य कार्य क्रमश सामूहिक सुरक्षा ,संकट प्रबंधन और सहकारी सुरक्षा है जिसे वर्तमान रणनीतीक अवधारणा (2010) के अंतर्गत निर्धारित किया गया है।
- नाटो,नि:शस्रीकरण ,हथियारों के नियंत्रण और इसके अप्रसार के लिये वचनबद्ध है। इस प्रकार ये गठबंधन के सुरक्षा उद्देश्यों की उपलब्धि के साथ-साथ रणनीतिक स्थिरता और सामूहिक सुरक्षा के लिये भी एक आवश्यक योगदान देता है।

नाटो के अभियान और मिशन – NATO Important Missions
aab tak नाटो संकट प्रबंधन, सैन्य अभियानों और मिशनों की एक विस्तृत श्रृंखला में शामिल है। नाटो वर्तमान में अफगानिस्तान, कोसोवो और भूमध्य सागर में काम कर रहा है।
- NATO अफगानिस्तान में एक “गैर-लड़ाकू मिशन” का नेतृत्व करता है जो अफगान सुरक्षा बलों और संस्थानों को प्रशिक्षण, सलाह और सहायता प्रदान करता है।
- NATO ने अगस्त 2003 से दिसंबर 2014 तक संयुक्त राष्ट्र के जनादेश के तहत ISAF (अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल) की कमान संभाली थी। उसके बाद, जनवरी 2015 में संकल्प सहायता मिशन शुरू किया गया था।
- अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए कितने प्रयास किये
- हाल ही में, KFOR ने COVID-19 के खिलाफ लड़ाई में उत्तरी मित्रोविका और दक्षिण मित्रोविका में व्यक्तिगत उपकरण जैसी चीजें प्रदान कीं।
- 2018 में, नाटो ने सुरक्षा बलों, रक्षा और सुरक्षा संस्थानों और राष्ट्रीय रक्षा अकादमियों की क्षमता का निर्माण करने के लिए इराक में एक प्रशिक्षण मिशन (NMI) शुरू किया, लेकिन मध्य पूर्व में तनाव के कारण वर्तमान में जनवरी 2020 की शुरुआत में क्षेत्रीय प्रशिक्षण गतिविधियाँ चल रही हैं।
- मिशन का उद्देश्य इराक में अपने सुरक्षा बलों को मजबूत करना और आतंकवादी समूह ISIS या DAC के पुन: उभरने को रोकने में मदद करके आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में योगदान देना है।
- 2008 के बाद, नाटो ने संयुक्त राष्ट्र के अनुरोध पर अफ्रीका के हॉर्न और हिंद महासागर में अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती से निपटने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन किया।
- नाटो ऑपरेशन ओशन शील्ड चला रहा था, जो न केवल जहाजों की सुरक्षा के लिए कार्य करता है, बल्कि क्षेत्र में सुरक्षा के समग्र स्तर में सुधार करते हुए समुद्री डकैती को रोकने और विफल करने में भी मदद करता है।
- 15 दिसंबर, 2016 को ऑपरेशन ओशन शील्ड समाप्त होने के बाद भी नाटो समुद्री डकैती के खिलाफ लड़ाई में लगा हुआ है।
सवाल जवाब (FAQ)
1955 में, नाटो के जवाब में, सोवियत रूस ने पूर्वी यूरोप के कम्युनिस्ट देशों के साथ अपना अलग सैन्य गठबंधन बनाया, जिसे वारसॉ पैक्ट कहा जाता है। हालांकि, 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद, कई देश जो वारसॉ संधि का हिस्सा थे, ने अपनी स्थिति बदल दी और नाटो का हिस्सा बन गए।
इस संगठन के सदस्यों की संख्या अब 30 हो गई है
नहीं, भारत भी नहीं हिस्सा है
हाँ
इस संगठन का सबसे नया सदस्य उत्तर मैसेडोनिया है।
ब्रुसेल्स, बेल्जियम
निष्कर्ष
हम आशा करते है के इस आर्टिकल से आपको वर्ल्ड की सबसे बड़ी सेना NATO Army kya hai in Hindi me बात की है । आपको इस आर्टिकल में पता लग गया होगा के NATO sena kya hai hindi में ? NATO main works क्या है ? कौन कौन से देश इस NATO सेना में शामिल है ? क्या कोई भी देश NATO सेना में शामिल हो सकता है ? NATO के अभी तक के important mission कौन से है ? Kya india Nato में है ? आदि के बारे में विस्तार से बताया है , आप आपने सवाल और सुझाव निचे कमेंट कर सकते है । हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमे सोशल मीडिया पर फॉलो करे । धन्यावाद।
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