Talak kaise le :- हेलो दोस्तों , पति पत्नी का रिस्ता बहुत खास होता है । पर बहुत से ऐसे करना होते है जिसके कारन इसमें दरार आ जाता है । जिसके कारन नौबत शादी तोड़ने तक की आ जाती है । पर शादी तोड़ने के लिए talak होता है । तो यह Talak kya है ? Divorce kaise le hindi में पूरी जानकरी हम आपको इस आर्टिकल में देने जा रहे है । Talak kaise file kre के बारे में पूरी जानकरी के लिए इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक पढ़े ।
जैसे समाज में पीटीआई पत्नी के रूप में रहने के लिए शादी का प्रबधन है । पर इसको लीगल करने के लिए Marriage Registartion करना पड़ता है । ठीक उसी तरह अगर कोई अपने पति या पत्नी से खुश नहीं है और अलग अलग रहना चाहते है तो उनको इस शादी को तोड़ने के लिए तलाक (Divorce) लेना पड़ता है । इसको अपने जिल्हे के अदालत में पेश किया जा सकता है । तलाक होने के बाद पति पत्नी बिना किसे एक- दूसरे के दखल के अपनी life जी सकते है । Hindu Divorce kaise file kre ?
भारत में, यदि पति और पत्नी दोनों स्वेच्छा से तलाक लेना चाहते हैं, तो कानूनी रूप से ऐसा करना बहुत आसान है। कभी-कभी अदालत में एकतरफा तलाक लेना मुश्किल हो सकता है, लेकिन 8 ठोस कारण हैं कि अदालत में तलाक लेना आसान क्यों है। ये आधार पति और पत्नी दोनों के लिए उपलब्ध हैं। अदालत इन आठ कारणों से किसी को भी एकतरफा तलाक दे सकती है। एकतरफा तलाक की अर्जी कैसे फाइल करे ? Types of Hindu marriage talaq
यदि पति या पत्नी में से एक तीसरे व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध में था जबकि दूसरा धोखा दे रहा था, तो अदालत तलाक दे सकती है अगर उसके पास इसका सबूत हो। हालांकि, अगर पति या पत्नी को संदेह है कि कोई व्यक्ति या पति या पत्नी में से कोई एक व्यक्ति का करीबी दोस्त है, तो उनकी बातचीत व्यभिचार साबित नहीं हो सकती है। इसका एक ठोस आधार होना चाहिए जिसे अदालत में सबूत के तौर पर पेश किया जा सके।
डेटिंग में दो तरह की हिंसा होती है। पहला शारीरिक और दूसरा मानसिक। यदि पति या पत्नी में से कोई एक शारीरिक या मानसिक हिंसा का दोषी है, जिसे अदालत में सबूत के रूप में पेश किया जा सकता है, तो उसके आधार पर तलाक दिया जा सकता है।
शादी के बाद भी, अगर पति या पत्नी दो साल की विस्तारित अवधि के बाद भी साथ नहीं रहते हैं, तो यह भी एकतरफा तलाक का आधार हो सकता है। मसलन अगर पत्नी शादी के कुछ दिन बाद मां के घर चली गई तो पति से कई बार संपर्क करने पर भी दो साल से अधिक समय बाद भी ससुराल वापस आने को तैयार न हो। यदि ऐसा किया जाता है तो इस आधार पर पति को पत्नी को एकतरफा तलाक देने का अधिकार है।
अगर पति या पत्नी अलग-अलग धर्म के हैं, शादी के समय भी दोनों ने अपने-अपने धर्म में रहने के लिए हामी भर दी है, तो ऐसे में दोनों में से कोई भी शादी के बाद दूसरे पति या पत्नी को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर नहीं कर सकता है। अगर ऐसा किया जाता है तो ऐसे में यह कोर्ट में एकतरफा तलाक का ठोस आधार बन सकता है।
यदि पति या पत्नी में से एक विवाहित जीवन को छोड़ने और सन्यासी होने का फैसला करता है। तो दूसरे व्यक्ति को अदालत को एकतरफा तलाक देने का पूरा अधिकार है। ऐसा माना जाता है कि शादी के बाद पति-पत्नी दोनों पर एक-दूसरे के परिवार की सामाजिक और शारीरिक इच्छाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी होती है। यदि कोई व्यक्ति इन सभी जिम्मेदारियों को छोड़कर सन्यासी होने का फैसला करता है, तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति को तलाक देने का पूरा कानूनी अधिकार है।
यदि व्यक्ति सात वर्ष तक लापता रहता है और उसका जीवन साथी यह नहीं जानते हैं कि वह व्यक्ति जीवित है या मृत, ऐसे में अन्य पति-पत्नी लापता व्यक्ति से तलाक के लिए फाइल कर सकते हैं। देश का कानून मानता है कि अगर कोई व्यक्ति लापता होने के 7 साल बाद भी वापस नहीं लौट सकता है, तो वह जीवित नहीं है।
यदि आपका साथी एड्स या कुष्ठ रोग जैसी गंभीर शारीरिक बीमारी से पीड़ित है, तो ऐसे में तलाक का मामला एकतरफा अदालत में दायर किया जा सकता है। इसके अलावा सिजोफ्रेनिया या किसी अन्य गंभीर मानसिक बीमारी के मामले में एकतरफा तलाक की अर्जी भी कोर्ट में दाखिल की जा सकती है। ऐसे मामलों में, अदालत अक्सर तलाक के आवेदन को स्वीकार कर लेती है। अगर अदालत को पता चलता है कि अगर पति-पत्नी को कोई गंभीर शारीरिक या मानसिक बीमारी है जो दूसरे व्यक्ति की जान ले सकती है, तो ऐसे मामले में अदालत एकतरफा तलाक का आदेश देगी।
शादी का मतलब ही एक दूसरे की श्रीराक और समाजिक जरूरते पूरी करना होता है । कई मामलों में नपुंसकता के आधार पर भी कोर्ट के द्वारा एकतरफा तलाक दिया जा सकता है।
यहाँ पर स्थिति थोड़ी अलग है, अगर कोई हिंदू जोड़े के बीच आपसी सहमति से तलाक लेना चाहता है तो हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 बी के तहत Divorce le sakta है ।aapsi sahmati se talak kaise le
तलाक के डिक्री द्वारा विवाह के के लिए जिला अदालत में एक साथ विवाह करने के लिए याचिका दायर कर सकते हैं, इस आधार पर कि वे एक वर्ष या उससे अधिक समय से अलग रह रहे हैं, और वे एक साथ रहने में असमर्थ हैं।
डाइवोर्स याचिका दायर करने की तारीख के छह महीने बाद और उस तारीख के बाद 18 महीने के बाद नहीं, अगर याचिका वापस नहीं ली गई है। तो अदालत इस तलाक को मंजूरी दे देता है ।
हिंदू धर्म में विवाह का अर्थ है कि विवाह को हिंदू कानून अधिनियम की धारा 5 के तहत मान्यता दी गई है।लेकिन दोनों के बीच किसी न किसी वजह से कुछ ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं जहां पति-पत्नी अपने लिए अलग-अलग रास्ते चुनना सही समझते हैं।
ऐसे में इस रिश्ते की कानूनी समाप्ति को तलाक कहा जाता है। हिंदू कानून अधिनियम 1955 की धारा 13 के तहत तलाक दिया जाता है और तलाक की प्रक्रिया धारा 13 में पूरी होती है। पति और पत्नी के बीच इस आपसी रिश्ते को सामाजिक और कानूनी रूप से समाप्त करने के लिए, आप अदालत में तलाक के लिए फाइल कर सकते हैं।
तलाक दो प्रकार से होता है :- 1) आपसी सहमति से 2) एकतरफा तलाक फाइल करना
सहमति से तलाक की प्रक्रिया बहुत सरल है। आपसी सहमति का मतलब है कि दोनों पक्ष एक साथ नहीं रहना चाहते। जहां तक सहमति से तलाक की बात है, तो नियमों के मुताबिक, मामला दर्ज होने के बाद ही पार्टियों को एक साल के लिए अलग रहना होगा। इसके अलावा, कुछ अन्य प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए, जो इस प्रकार हैं:-
एकतरफा तलाक का फैसला कब तक जारी किया जाएगा, इसकी कोई समय सीमा नहीं है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत तलाक प्राप्त करने के लिए आधार का होना आवश्यक है, साथ ही एकतरफा तलाक की स्थिति में इन महत्वपूर्ण बातों को शामिल करना आवश्यक है। इनमें एक अजनबी के साथ यौन संबंध, शारीरिक और मानसिक क्रूरता, दो साल या उससे अधिक समय तक अलग रहना, गंभीर यौन बीमारियां, मानसिक बीमारी, धर्मांतरण या धार्मिक अनुष्ठान शामिल हैं और दोनों का तलाक हो सकता है।
भारत में गुजारा भत्ता की कोई सीमा नहीं है, इसलिए दोनों पक्ष यानी पति और पत्नी आपसी सहमति से फैसला कर सकते हैं, लेकिन इस संबंध में अदालत पहले पति या पत्नी की आय या वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए गुजारा भत्ता तय करती है। पति की आर्थिक स्थिति के आधार पर पत्नी को गुजारा भत्ता देना होगा। यदि पत्नी सरकारी कर्मचारी है या अच्छी नौकरी में है, तो अदालत गुजारा भत्ता की राशि को ध्यान में रखते हुए तय करती है।
तलाक के दौरान सबसे अहम मुद्दा बच्चों का आता है, आखिर बच्चों की जिम्मेदारी कौन उठाता है? यदि माता और पिता, यानी दोनों पक्ष बच्चों की देखभाल करना चाहते हैं, तो अदालत उन्हें बच्चों की संयुक्त अभिरक्षा या संयुक्त अभिरक्षा प्रदान करती है। अगर कोई जिम्मेदारी लेना चाहता है, तो अदालत सात साल से कम उम्र के बच्चे की मां को कस्टडी देती है।
अगर बच्चा सात साल से बड़ा है, तो पिता को हिरासत में दे दिया जाता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में पक्ष इस पर सहमत नहीं होते हैं। अगर अदालत मां को बच्चे की देखभाल करने की जिम्मेदारी देती है, और बच्चों के पिता यह साबित करते हैं कि मां बच्चों की देखभाल ठीक से नहीं कर रही है, तो बच्चा सात साल से कम उम्र का है। हाँ लेकिन यह जरूर होता है के अगर किसी एक को बच्चो की कस्टीडी दी जाती है तो दूसरे पक्ष को महीने या किसी अंतराल पर बच्चो को मिलने की अनुमति दी जाती है ।
हाँ जी , Muslim Marriage Divorce इसके अंतर्गत नहीं आता है । इसके लिए अलग से प्राबधान है । पहले कोई भी मुस्लिम तलाक तलाक तलाक कह के किसी भी मुस्लिम मेहला को तलाक दे सकता था । जिसको Triple तलाक़ भी खा जाता है । पर अब नहीं अब इसके लिए The Muslim Women (Protection of Rights on Marriage) Act, 2019 बन rTriple Divorce को अवैध मन गया है । पूरी जानकारी के निचे दिए लिंक पर क्लिक करके Muslim Woman Divorce Rights के बारे में पूरी जानकारी ले सकते है ।
कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दाखिल करने के बाद कोर्ट आप दोनों को करीब 6 महीने का समय देता है जिसके दौरान आप दोनों फिर से साथ रहने का फैसला कर सकते हैं। छह महीने के अंत में, अंतिम सुनवाई होती है यदि पक्ष ताला चाहते हैं, तो अदालत के अंतिम निर्णय पर उनके तलाक की गारंटी है।
जब पति-पत्नी वैवाहिक संबंधों से संतुष्ट नहीं होते हैं लेकिन तलाक के लिए आपसी सहमति नहीं होती है, तो पार्टियों में से एक तलाक का अनुरोध करती है, तो इसे एकतरफा तलाक कहा जाता है।
देश में तलाक के दो तरीके हैं:-
1) एक सहमति से तलाक
2) दूसरा एकतरफा तलाक
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 (धारा 13) के अनुसार, विवाह का कोई भी पक्ष, चाहे पति हो या पत्नी, इस कानून के तहत किसी भी वैध विवाह को रद्द करने के लिए तलाक के लिए अदालत में आवेदन कर सकता है। विवाह के पक्षकार इस तरह के अनुरोध को जिला अदालत में प्रस्तुत करते हैं।
हम आशा करते है के इस आर्टिकल से आपको talak kaise le के बारे में जानकारी मिल गया होगा । जैसे के अपने जाना के Divorce 2 types के होते है । Self Divorce file कैसे करे और एकतरफा तलाक कैसे फाइल करे के बारे में जाना ।Aapsi sahmati se talak kaise le | One Side talak process क्या है? इसके इलावा हमने talak kaise file करे ? talak में कितना समय लगता है ? क्या तलाक तो रद्द किया जा सकता के बारे में जाना । आप अपने सवाल और सुझाव निचे कमेंट कर सकते है । हम इसी प्रकार के किसी और आर्टिकल के साथ मिलेंगे। हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमे सोशल मीडिया पर फॉलो करे ।
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सतिनाम सिंह पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर है। Web developer काम के साथ इनको पढ़ने , लिखने का शौक ह। इसी ज्ञान को दुसरो के साथ बाटने के लिए ही मैंने इस हिंदी शोभा ब्लॉग की स्थापना की है। देश के लोगो को सरल भाषा में पूरी जानकारी देना ही मेरा लक्ष्य है।
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