AFSPA kya hota hai in Hindi:- जैसा कि आप लोग जानते हैं, कि हाल के दिनों में संसद में गृह मंत्री अमित शाह ने इस बात की घोषणा की है कि भारत के नॉर्थ ईस्ट राज्यों में AFSPA कानून के दायरे को कम किया जाएगा। इन राज्यों के कई जिलों को इस कानून के दायरे से बाहर कर दिया जाएगा। अब आपके मन में सवाल जरूर आएगा कि आखिर में AFSPA होता क्या है और भारत के किन किन राज्यों में इस कानून को लागू किया गया है। और इस कानून को लागू करने का कारण क्या है। अगर ऐसे तमाम सवाल आपके मन में आ रहे है और आप इन सवालों के जवाब जानना चाहते हैं, तो मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि इस पोस्ट को आखिर तक पढ़े आइए जाने-
अफ्स्पा का मतलब होता है Armed Forces Special power Act जिसे हिंदी में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून कहां जाता है।
इस कानून के तहत भारत के ऐसे राज्य जहां पर हमेशा अशांत का माहौल बना होता है और वहां पर नक्सलवाद और अलगाववाद जैसी गंभीर समस्या है।
इन राज्यों में सरकार की तरफ से ससस्त्र बल को तैनात किए जाते हैं। ताकि उसे राज्य में शांति को कायम किया जा सके। इस कानून के तहत सशस्त्र बलों को विशेष प्रकार के अधिकार दिए जाते हैं ।
अगर कोई भी व्यक्ति इस कानून के दायरे में आने वाले जिले में किसी प्रकार का भी अशांत माहौल बनाने की कोशिश करता है, तो इनको यह अधिकार है कि उनकी वह चेकिंग कर सकता है ।
अगर कोई भी व्यक्ति भागने की कोशिश करें या संदेह के आधार पर कोई भी भी कोई घटना घटित करने का षड्यंत्र सशस्त्र बल गोली मार सकते हैं। इस प्रकार के कानून के दायरे में अगर किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो इसका जिम्मेदार सशस्त्र बल नहीं होगा और ना ही उसके ऊपर कोई कार्रवाई की जाएगी।
आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट के तहत सुरक्षा बलों को असीम अधिकार प्रदान किया गया है। उनके पास या अधिकार है कि बिना वारंट (Without Warrant Checking) की चेकिंग कर सकते हैं। और doubt होने पर गिरफ्तार भी कर सकते हैं।इसके लिए उन्हें किसी की अनुमति देने की जरूरत नहीं है।
इस कानून के मुताबिक कोई भी व्यक्ति कहीं पर भी 5 से अधिक की संख्या में इकट्ठा होकर बातचीत नहीं कर सकते हैं। AFSPA सुरक्षा बलों को कानूनी कार्रवाई से बचाता है।
यह अधिनियम न केवल तीन सशस्त्र बलों पर बल्कि अर्धसैनिक बलों जैसे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और सीमा सुरक्षा बल (BSF) पर भी लागू होता।
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इस कानून की उत्पत्ति 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय हुई थी उस समय अंग्रेजों ने इस कानून को बनाया था। उनका मकसद था कि भारत में आंदोलन की जो लहर चल चल रही है उसे दबाना ।
उसके बाद जब 1947 में देश आजाद हुआ तब देश के कई राज्यों में नक्सलवाद, अलगाववाद जैसे माहौल बन गए। और सरकार ने इस प्रकार के राज्यों में कानून व्यवस्था को अर्पित करने के लिए इस कानून की मदद ली। वहां पर सशस्त्र बलों को तैनात किया ताकि राज्य में शांति व्यवस्था को कायम किया जा सके।
इस कानून को आधिकारिक तौर पर भारत में 1958 में लागू किया गया। भारत की आज़ादी के बाद सबसे अधिक नागालैंड में अलगाववाद की जड़े काफी तेजी के साथ फैलने लगी थी। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस कानून को इस राज्य में लागू करने की कैबिनेट से मंजूरी दे दी।
भारत का संविधान में 355 सेक्शन भारत के केंद्र सरकार को अधिकार देता है कि अगर किसी राज्य के जिले में आंतरिक सुरक्षा और अशांति जैसा माहौल है वहां पर इस एक्ट को लागू किया जा सकता है।
इस कानून के जब उत्पत्ति हुई तो सबसे पहले इससे मणिपुर और आसाम में लागू किया गया 1972 में इस कानून में कुछ संशोधन कर त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश सहित जितने भी भारत के इतने भी नॉर्थ ईस्ट राज्य थे। उनमें इसे लागू किया गया और जैसा कि आप लोग जानते हैं कि भारत के नॉर्थ ईस्ट राज्यों को सेवेन सिस्टर के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद इसे जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों में भी लागू किया गया क्योंकि इस देश के आजादी के बाद जम्मू-कश्मीर में हमेशा आतंकवाद अलगाववाद और अशांत जैसा माहौल था।
इसलिए यहां पर इस कानून को लागू किया गया और उसे 1990 में केंद्र सरकार की तरफ से वापस ले लिया गया। उसकी जगह केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में एक विशेष प्रकार का कानून Armed Forces (Jammu and Kashmir) Special Powers Act बनाया जो आज तक यहां पर लागू है
ऐसा क्या आप लोग जानते हैं कि पंजाब में एक समय अलगाववाद काफी चरम पर था और उस समय पंजाब को एक अलग देश खालिस्तानी देश बनाने के लिए वहां पर भिंडरवाला के नेतृत्व में एक आंदोलन चल रहा था। उस समय यहां पर उस कानून को लागू किया गया और पूरे 14 वर्ष तक इस कानून को यहां पर संचालित किया गया और 1997 में इस कानून को केंद्र सरकार की तरफ से वापस ले लिया गया था।
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इस कानून को तभी किसी राज्य में लागू किया जा सकता है जब वहां के राज्यपाल केंद्र सरकार को इस बात की सूचना देता है, कि उसे क्षेत्र में अशांति का बहुत ज्यादा माहौल बन चुका है उसी की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार वहां पर इस कानून को लागू कर सकती है।
इसके अलावा विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषा, क्षेत्रीय समूहों, जातियों, समुदायों के बीच मतभेद या विवादों के चलते राज्य या केंद्र सरकार किसी क्षेत्र को अशांत घोषित करती है। इस प्रकार के अधिकार भारतीय संविधान के अधिनियम तीन में वर्णित किए गए हैं। इसके तहत केंद्र सरकार को इस बात का अधिकार होता है कि वह आसान क्षेत्रों में सैन्य टुकड़ियों की तैनाती कर सकता है उस क्षेत्र के माहौल को शांतिप्रिय बनाया जा सके।
AFSPA कानून को अशांत हिस्सों में लागू किया गया है।
गृह मंत्री अमित शाह ने हाल के दिनों में संसद में एक बयान दिया और उन्होंने कहा कि भारत के पूर्वोत्तर के राज्य जैसे असम, नागालैंड, मिजोरम जैसे क्षेत्रों में इस कानून के प्रभाव को कम करने के लिए सरकार की तरफ से दिशा निर्देश जारी कर दिए गए है।
ऐसे में इन राज्यों में कुछ ऐसे जगह हैं जहां पर विकास का काम तेजी के साथ हो रहा है और वहां पर शांति भी कायम हो गई है।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए अमित शाह ने इन राज्यों के कुछ जिले के क्षेत्रों को इस कानून के दायरे से बाहर रखने के लिए संसद में बयान दिया।
इन राज्यों के मुख्यमंत्री को भी केंद्र सरकार की तरफ से एक नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है ताकि जल्द से जल्द इन राज्यों के उन जिलों इस कानून के दायरे से बाहर किया जा सके।
45 साल पहले, भारतीय संसद ने ‘अफस्पा‘, सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम 1958, ‘अशांत’ क्षेत्रों में लागू होने वाला एक सैन्य कानून बनाया था। यह कानून सुरक्षा बलों और सेना को कुछ विशेष शक्तियां प्रदान करता है। कोई भी आश्रय या इमारत जहां सशस्त्र हमले का खतरा हो, नष्ट किया जा सकता है।
संकटग्रस्त क्षेत्र (विशेष न्यायालय) अधिनियम 1976 में कहा गया है कि एक बार किसी क्षेत्र या राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया जाता है और सशस्त्र बल विशेष बल अधिनियम लागू हो जाता है, तो कानून कम से कम 3 महीने तक प्रभावी रहता है।
AFSPA 11 सितंबर 1958 को लागू हुआ और अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में चला गया।
असम सरकार ने 28 फरवरी 2022 से 6 महीने तक के लिए AFSPA (सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम) के तहत पूरे राज्य को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया है।
अफस्पा को 1 सितंबर 1958 को असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड सहित भारत के उत्तर-पूर्व में लागू किया गया था, इन राज्यों के समूह को सात बहनों के नाम से जाना जाता है। इसे भारतीय संघ से अलग पूर्वोत्तर राज्यों में हिंसा रोकने के लिए लागू किया गया था।
Yes
सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) सैन्य व्यापक शक्तियों को गिरफ्तारी, मारने के लिए गोली मारने का अधिकार, और आतंकवाद विरोधी अभियानों में संपत्ति पर कब्जा या नष्ट करने का अधिकार देता है।
‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किए जाने वाले क्षेत्र को राज्य के राज्यपाल या केंद्र शासित प्रदेश या केंद्र सरकार के प्रशासक को प्रदान किया जाता है। आधिकारिक गजट में अधिसूचना द्वारा पूरे क्षेत्र या उसके एक हिस्से को अशांत घोषित किया जा सकता है।
हम आशा करते है के इस आर्टिकल से आपको AFSPA kya hota hai in Hindi ? AFSPA Act कहाँ और किसके दुवारा लागु किया जाता है ? इसके इलावा हमने यह पर कहाँ कहाँ पर AFSPA Act लागु है ? फ़िलहाल में ही कहाँ से AFSPA हटाया गया है ? AFSPA Army powers क्या क्या है ? आदि के बारे में विस्तार से बताया है । अगर अभी भी आपका कोई सवाल है तो आप निचे कमेंट कर सकते है । हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमे सोशल मीडिया पर फलो कर सकते है । धन्यावाद।
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