ART Bill 2020 in Hindi :- हेलो दोस्तों , आज कल बांझपन का इलाज संभव हो या न हो पर आप फिर भी अपना बच्चा पैदा कर सकते है । यह सब संभव है IVF Technology और Surrogacy से । पहले यह टेक्नीक के बारे में ज्यादा लोग जानते नहीं थे और सेंटर भी बहुत कम थे । पर आज आपको हर शहर में इसके सेंटर मिल जाएगे। इसके साथ ही इस काम का गैर क़ानूनी काम करने के खतरा भी बन चूका है और इनको रेगुलेट करने के लिए कोई कानून भी नहीं था । सो इसलिए यह The Assisted Reproductive Technology (Regulation) Bill, 2020 pass किया गया है । तो यह The Assisted Reproductive Technology (Regulation) Bill, 2020 kya hai ? असिस्टेड रीप्रॉडक्टिव टेक्नॉलजी (रेग्युलेशन) बिल, 2020 के मुख्य पॉइंट्स कौन कौन से है और कैसे काम करेगा । इस सभ की जानकारी के लिए इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक पूरा पढ़े । ART Clinic और वीर्य , अंडे डोनर हो जाए सावधान आ गया है ART रेगुलेशन Bill
सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (ART) विधेयक 2021 का उद्देश्य सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी क्लीनिकों और सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी बैंकों को विनियमित और पर्यवेक्षण करना और दुरुपयोग को रोकना है।
बिल में कहा गया है कि सभी एआरटी बैंक और क्लीनिक भारत में बैंकों और क्लीनिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर के साथ पंजीकृत होने चाहिए। राष्ट्रीय रजिस्ट्री बिल के अनुसार बनाई जाएगी और देश के सभी एआरटी क्लीनिकों और बैंकों के विवरण वाले केंद्रीय डेटाबेस के रूप में काम करेगी।
बिल Sperm Donner और आपूर्ति के लिए शर्तों को भी निर्धारित करता है। बिल यह भी स्पष्ट करता है कि एआरटी के माध्यम से पैदा होने वाले बच्चे पर डोनर का माता-पिता का अधिकार नहीं होगा। इस तरह से पैदा हुए बच्चे को अधिकृत पति-पत्नी का जैविक बच्चा माना जाता है और उसके पास अधिकृत पति-पत्नी के प्राकृतिक बच्चे के समान अधिकार और विशेषाधिकार उपलब्ध हैं।
2008 में, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने अनुमान लगाया कि मेडिकल टूरिज्म मार्केट का रिप्रोडक्टिव (प्रजनन) सेगमेंट को 450 मिलियन डॉलर का बताया था । साथ ही, अगले दशक में इसका बाजार बढ़कर 6 अरब डॉलर सालाना होने की उम्मीद थी। लेकिन 13 साल बाद भी भारत में अभी भी ऐसा एक भी कानून नहीं है। भारत में हर वर्ष IVF centres की बढ़ोतरी हो रही है । जिसके चले इस को रेगुलेट करना जरूरी था ।
“इस कानून को लागू करने की आवश्यकता इसलिए थी क्योंकि देश में इस प्रकार के कई क्लीनिक संचालन में हैं जिन्हें आयोजित करना पड़ा क्योंकिक्योंकि कई बार महिला को ओवेरियन स्टीमूलेशन यानी ज़्यादा अण्डाणु बनाने के लिए इंजेक्शन दिए जाते हैं, यानी जो महिलाओं के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। अंडा निष्कर्षण, अंतर्गर्भाशयी या अंतर्गर्भाशयी कृत्रिम गर्भाधान, गर्भाधान या वीर्य का निषेचन। साथ ही, भ्रूण के हस्तांतरण और रखरखाव के लिए एक बैंकिंग प्रणाली है। इन सभी को विनियमित करने के लिए यह कानून पेश किया गया था। “
केंद्रीय मंत्री मांडविया (Union Minister for Health & Family Welfare of India)
जैसे के आप जानते ही है के पिछले वरह Surrogacy Bill 2019 पास हुआ था जिसके अंतर्गत Surrogacy ko regulate किया गया था । और यह Surrogacy भी इस ART Technology का ही पार्ट है । अब इसके लिए कानून पारित हुआ है । आइए देकते है इस ART Bill 2020 in Hindi में क्या क्या है :-
बिल एआरटी को उन सभी तकनीकों को शामिल करने के लिए परिभाषित करता है जो मानव शरीर के बाहर एक शुक्राणु या डिंब (अपरिपक्व अंडे) में हेरफेर करके और एक युग्मक या भ्रूण को प्रजनन प्रणाली में स्थानांतरित करके गर्भावस्था प्राप्त करना चाहते हैं। ART तकनीक में आईवीएफ़, इन्ट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन यानी अण्डाणु में शुक्राणु का इंजेक्शन देकर फ़र्टिलाइज़ करना, शुक्राणु और ओवम (अण्डाणु) से प्रयोगशाला में भ्रूण तैयार करना और महिला के शरीर में इम्पलांट या डालना जैसी प्रक्रिया शामिल है।
एआरटी सेवाओं के प्रावधान की शर्तें: एआरटी प्रक्रियाएं केवल एआरटी सेवाओं और दाता दोनों की लिखित सूचित सहमति से ही की जा सकती हैं। एआरटी सेवाओं की मांग करने वाली पार्टी को अंडा दाता की ओर से बीमा कवरेज प्रदान करना चाहिए (किसी भी नुकसान, क्षति या दाता की मृत्यु के लिए)। क्लिनिक एक पूर्व निर्धारित लिंग के बच्चे की देखभाल करने से प्रतिबंधित है। भ्रूण को प्रत्यारोपित करने से पहले विधेयक में आनुवंशिक रोगों की जांच की भी आवश्यकता होती है।
बिल में कहा गया है कि सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम 2019 के तहत गठित राष्ट्रीय और राज्य सरोगेसी बोर्ड ART सेवाओं को विनियमित करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य बोर्डों के लिए संयुक्त रूप में काम करेंगे। राष्ट्रीय परिषद की मुख्य शक्तियों और कार्यों में शामिल हैं:-
विधेयक एक विवाहित विषमलैंगिक जोड़े और विवाह की उम्र से ऊपर की महिला को एआरटी का उपयोग करने की अनुमति देता है और एकल पुरुषों, विषमलैंगिक जोड़ों और LQBTQ जोड़ों को एआरटी तक पहुंचने से बाहर करता है।
एक सिंगल महिला ART का फ़ायदा उठा ही सकती है। साथ ही विधवा या ग़ैरशादीशुदा महिला भी इस प्रक्रिया का लाभ उठा सकती है। लेकिन पुरुषों की बात की जाए तो बच्चा गोद लेने के क़ानून में भी कहा गया है कि सिंगल मेल एक बच्ची को गोद नहीं ले सकता है, और वही बात यहां भी लागू की गई है।
यहां यह बिल ART clinics and Banks की नियमित करने के काम करेगा वही इन बनाए ART Law को तोड़ने पर सजा का प्रबधन भी करता है । ART Bill 2020 के अनुसार निचे दिए सभी काम अपराधों में शामिल हैं:-
पहली बार अपराध करने पर : 5 लाख और रु. 10 लाख रुपए तक का जुर्माना
दूसरी बार के अपराधों के लिए: 10 और रु. 20 लाख का जुर्माना या 8-12 वर्ष तक की जेल
ART का विज्ञापन करने पर : 5-10 वर्ष तक की कैद या 10-25 लाख तक जुर्माना , यह दोनों भी हो सकते है ।
Surrogacy :- सरोगेसी में, एक दंपति जिसके कोई बच्चे नहीं हैं या जिनके बच्चे नहीं हो सकते हैं, एक दूसरी महिला की मदद मांगते हैं जिसे सरोगेट कहा जाता है। यह सरोगेट मदर आईवीएफ तकनीक के जरिए दंपति के बच्चे को जन्म देती है। लोकसभा में सरोगेसी बिल भी पास हो गया। सरोगेसी बिल के मुताबिक सिर्फ एक शादीशुदा जोड़ा ही इसका फायदा उठा सकता है। यह ART का ही एक एक्सटेंशन है।
ART :- वहीं दूसरी ओर एआरटी में जिन दंपतियों के बच्चे नहीं हैं वे भी माता-पिता बन सकते हैं, लेकिन यहां एक तीसरा व्यक्ति है जो अंडा या शुक्राणु दान करता है। उसके बाद, देखभाल करने वाले जोड़े या इच्छुक जोड़े को बच्चा हो सकता है। लेकिन यहां उसी महिला के गर्भाशय का उपयोग किया जाता है जो भविष्य के माता-पिता हैं।
सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (ART) विधेयक 2021 का उद्देश्य सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी क्लीनिकों और सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी बैंकों को विनियमित और पर्यवेक्षण करना और दुरुपयोग को रोकना है। इसके साथ ही डोनर और पैदा होने वाले बच्चे के अधिकार निर्धारित करना है । अगर कोई ART Bill Law तोड़ता है तो 5-25 लाख तक के जुर्माने के साथ 8-12 वर्ष तक की जेल हो सकती है ।
Dec 01, 2021
Dec 08, 2021
1) बैंक केवल 21 से 55 वर्ष की आयु के पुरुषों से वीर्य ले सकता है ।
2) 23 से 35 वर्ष की आयु की महिलाओं से अंडे प्राप्त कर सकता ह
3) एक oocyte doner एक विवाहित महिला होगी जिसकी अपनी कम से कम एक जीवित बच्चे (न्यूनतम तीन वर्ष की आयु)की माँ हो ।
4) oocyte doner अपने जीवन में केवल एक बार अंडा दान कर सकती है और सात से अधिक अंडे नहीं निकाले जा सकते।
नहीं इस Art Bill में इसा कोई कानून नहीं है । जिसके अंतर्गत LQBTQ को बच्चा पैदा करने की कोई परमिशन हो ।
अपने देखा यह पर New ART Bill 2020 in Hindi में क्या क्या खास है । देश में बढ़ती ART centres की भरमार और गैर क़ानूनी तरिके से IVF से बच्चे पैदा करना। ART से पैदा हुए बच्चो के साथ भेदभाव अदि के चलते ही इस बिल की जरूरत महसूस हुई । अपने देखा होगा इस ART Bill के अंतर्गत अब ART Clinics ko regulate करने की बात की जा रही है । और वही पर Sperm aur oocyte doner के लिए भी शर्ते रखी गयी है । साथ में ही इस नियमो का उलंघन करने पर सजा का प्रबधन भी है । आप अपने सवाल और सुझाव निचे कमेंट कर सकते हो । हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमे सोशल मीडिया पर फॉलो करे ।
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