Medical Termination of Pregnancy Act, 1971 | Download The Medical Termination Of Pregnancy Act 1971 PDF | Child Abortion Law in Hindi | Child Abortion is legal in India ? child abortion act pdf | Is Abortion Legal in India?
हेलो दोस्तों, आज की तारीख में मां बनना किसी भी महिला के लिए बड़ी बात होती है। मां जिसे हम लोग जननी कहते हैं हमारे जीवन में हमारे मां का एक विशेष योगदान होता है। लेकिन आज की तारीख में कई ऐसे लड़की और महिलाएं हैं जिनका जबर्दस्ती गर्भपात करवाया जा रहा महिलाओं को अपने अधिकार के बारे में जानकारी होना आवश्यक है कि कोई भी व्यक्ति उनके मर्जी के बिना उनका गर्भपात नहीं करवा सकता है। अगर कोई ऐसा करता है तो उसे कानूनी रूप से सजा मिल सकती है।
भारत में चाइल्ड अबॉर्शन करना कानूनी रूप से अपराध है ऐसे में आप लोगों के मन में सवाल जो आता होगा। कि इस चाइल्ड अबॉर्शन लॉ क्या है? और उसके अंतर्गत कौन-कौन से कानूनी प्रावधान है और अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसे कितनी सजा हो सकती है पर आप इसके बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं है मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि पोस्ट को आखिर तक पढ़े आइए जाने-
अबॉर्शन लॉ भारत सरकार के द्वारा पारित किया गया एक कानूनी प्रक्रिया है। जिसके तहत अगर कोई भी व्यक्ति किसी महिला की मर्जी के बिना उसका गर्भपात करवाता है, तो ऐसी स्थिति में उसे इस कानून के तहत सजा दिलाई जा सकती है। इस कानून को 1971 में संसद के द्वारा पारित किया गया था और इस कानून का नाम है Medical Termination of Pregnancy Act, 1971 (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट)। इसके तहत तमाम प्रावधान किए गए हैं।
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महिला का गर्भपात निम्नलिखित परिस्थितियों में करवाया जा सकता है जिसका विवरण हम आपको नीचे बिंदु अनुसार देंगे जो इस प्रकार है-
Note: अगर गर्भपात करने की नौबत आती है तो केवल भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त डॉक्टर ही अबॉर्शन करवा सकते हैं।
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वर्ष 1971 के इस कानून की धारा 3 (2) (बी), गर्भावस्था समाप्त करने की अवधि को 20 सप्ताह तक सीमित रखती है। यदि 2 चिकित्सकों की यह राय है कि गर्भावस्था की निरंतरता, भ्रूण या मां को काफी जोखिम में डाल सकता है। जिससे मां को जान को खतरा होगा। हालाँकि यह प्रावधान केवल 12 सप्ताह से अधिक एवं 20 सप्ताह तक की गर्भावस्था के मामले में लागू होता है।
इस कानून का एक अन्य खंड, 3 (2) (ए), की यह आवश्यकता है कि यदि गर्भधारण के 12 सप्ताह तक गर्भपात कराया जाना है तो ऐसा केवल तभी किया जा सकता है, जब केवल 1 चिकित्सक की यह राय है कि गर्भावस्था की निरंतरता, मां या भ्रूण के जीवन को खतरे में डालेगी।
इस कानून में वर्ष 2002 और 2003 में संशोधन किया गया ताकि डॉक्टरों को गर्भावस्था के सातवें सप्ताह तक, प्रिस्क्रिप्शन पर Mifepristone और Misoprostol महिलाओं को प्रदान किया जा सकता यहां गर्भपात करने की गोलियां होती हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार, एक गर्भपात केवल एक पंजीकृत स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति रोग विशेषज्ञ द्वारा किया जा सकता है। सरकार ने विशेष प्रकार के एक्ट का MTP भी निर्माण किया है जिसके मुताबिक MTP act की धारा 2(d) के अनुसार, एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर का मतलब, एक ऐसे मेडिकल प्रैक्टिशनर से है। जो कि इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट, 1956 की धारा 2 (1956 का 102) के क्लॉज (h) में परिभाषित, कोई भी मान्यता प्राप्त मेडिकल योग्यता रखता है। जिसका नाम राज्य मेडिकल रजिस्टर में दर्ज किया गया है और जिसे स्त्री रोग और प्रसूति में ऐसा अनुभव या प्रशिक्षण है। तभी वह महिला का गर्भपात करवा सकती है इस प्रकार के नियम इस एक्ट में वर्णित किए गए हैं।
अगर किसी महिला का गर्भ काल 20 सप्ताह से अधिक हो गया है और महिला गर्भपात करवाना चाहती है। तो इसके लिए उसे कोर्ट से अनुमति लेनी होगी अगर कोर्ट इस पर अपनी सहमति देता है, तभी वह महिला गर्भपात करवा पाएगी। आप को कोर्ट से अनुमति तभी मिलेगी जब आपका मेडिकल सोनोग्राफी किया जाएगा और अगर आपके जहाँ भ्रूण में कुछ गंभीर अनियमितताएं अगर पाई जाती है। तभी जाकर आपको गर्भपात करवाने की अनुमति दी जाएगी। इसके विपरीत अगर किसी डॉक्टर को लगता है कि महिला की जान को खतरा है तब डॉक्टर मेडिकल टर्मिनेट एक्ट के तहत महिला का गर्भपात करवा सकता है उसके लिए उसे कोर्ट की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।
दोस्तों, अगर किसी भी महिला का गर्भपात उसके मर्जी के बिना हो रहा है तो एक प्रकार का कानूनी अपराध है। लेकिन अगर महिला स्वयं अपनी मर्जी से बच्चे का गर्भपात करवाना चाहती है तो भी वह ऐसा नहीं कर सकती है। यह भी एक प्रकार का कानूनी अपराध है। हां अगर डॉक्टर ने उसे सलाह दिया है कि इससे उसकी जान को खतरा है तब ऐसे स्थिति में गर्भपात करवा सकती है।
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गर्भपात करवाने पर भारत में सजा के निम्नलिखित प्रकार के कानूनी प्रावधान है जिसका विवरण हम आपको नीचे बिंदु अनुसार देंगे जो इस प्रकार है
भारतीय दंड संहिता की धारा 313 एक महिला को उसकी सहमति के बिना गर्भपात के लिए उकसाने से संबंधित है। इस अनुच्छेद के अनुसार, केवल उन्हीं लोगों को दंडित किया जा सकता है जो किसी महिला का गर्भपात करवाते हैं, जबकि अनुच्छेद 312 में कहा गया है कि महिला को उसके साथ दंडित किया जा सकता है।
अब महिलाएं 24 हफ्ते तक की प्रेग्नेंसी में गर्भपात करा सकेंगी। वर्तमान में, समय सीमा 20 सप्ताह तक है, यानी पांच महीने के बाद गर्भपात नहीं किया जा सकता है। विशेष परिस्थितियों में न्यायालय से अनुमति लेनी होगी।
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हम आशा करते है के दोस्तों इस आर्टिकल से आपको गर्भवती महिला का गर्भपात करने के लिए क्या नियम और कानून है ? Child Abortion Law in Hindi ? कब गर्भपात कराया जा सकता है कब नहीं ? जबरन गर्भपात करने या कराने पर क्या सजा का प्राबधान है ? legal right to Terminate pregnancy , Child Abortion Law in Hindi में आसान सब्दो में बताया है । अगर इसके इलावा आपका कोई अन्य सवाल या सुझाव है तो आप नीस कमेंट कर सकते है । हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमे सोशल मीडिया पर फॉलो करे। धन्यावाद।
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