क्या है इस पोस्ट में ?
Deshdhroh ka mukadma kya hota hai : जैसा कि आप लोग जानते हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। ऐसे में जनसंख्या की दृष्टि से दुनिया का दूसरा देश है हम सबके लिए देश सबसे ऊपर है और देश के ऊपर कोई भी नहीं होता है। ऐसे में भारत में देश हित में अगर कोई व्यक्ति काम नहीं कर रहा है, तो उसके ऊपर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हो सकता है और देशद्रोह के मुकदमे में उस व्यक्ति को कितनी सजा होगी। उस व्यक्ति पर किस धारा के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है ऐसे तमाम सवाल आपके मनों में जरूर आते होंगे । आपके मन में यही सवाल होते होंगे कि आखिर में देशद्रोह का मुकदमा होता क्या है? अगर आप इसके बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं तो मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि पोस्ट को आखिर तक पढ़े। Anti National activities kya hai in hindi में शुरू करते है ।
Deshdhroh ka mukadma kya hota hai
Anti National Activities – Deshdhroh ka mukadma kya hota hai
जैसा कि आप जानते हैं कि भारत में सरकारों का चयन जनता के द्वारा होता है और कोई भी व्यक्ति भारत में सरकार की आलोचना और उसमें बदलाव जैसे चीजों पर अपनी विचारधारा रख सकता है। इसके लिए उसे संविधान के द्वारा अधिकार भी दिए गए हैं, लेकिन अगर कोई व्यक्ति गैरकानूनी तरीके से सरकार को चुनौती देता है, तो उसके ऊपर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। क्योंकि किसी भी सरकार का चयन जनता के द्वारा होता है, ऐसे में कोई व्यक्ति उसी सरकार को और असंवैधानिक बोले तो उसके ऊपर भारतीय संविधान के अंदर वर्णित गाने प्रावधान मुताबिक कार्रवाई की जा सकती है।
इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति का संबंध ऐसे संस्था या जो देश के खिलाफ काम करता है। ऐसे लोगों पर भी देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। आसान शब्दों में अगर आप समझे तो अगर कोई व्यक्ति देश के हित में काम नहीं करता है तो ऐसे व्यक्तियों को एंटी नेशनल माना जाता है जाता है, उसके ऊपर देशद्रोही का केस अदालत के द्वारा चलाया जा सकता है।
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देशद्रोह के मामले में सजा कितनी मिलेगी – Anti National Activities Act and Punishment
देशद्रोह एक नहीं कई प्रकार का होता है । जिसके चलते इसमें अलग अलग टाइप की Anti National Activities के लिए अलग अलग सजा है। देशद्रोह के मामले में निम्नलिखित प्रकार की सजा होती है और धराए भी अनेकों प्रकार के हैं उन सब के बारे में आपको नीचे में बिंदु अनुसार बता रहा हूं जो इस प्रकार है-
IPC – 121
अगर कोई व्यक्ति देश के खिलाफ युद्ध करने की घोषणा करता है या ऐसे लोगों को इकट्ठा करता है जो देश के खिलाफ युद्ध कर सके। उनके ऊपर भारतीय संविधान आईपीसी 121 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है इस कानून के मुताबिक उस व्यक्ति को उम्रकैद या फांसी की सजा दी जा सकती है।
IPC- 121 A
अगर कोई व्यक्ति देश के खिलाफ कोई ऐसी साजिश रचता है जिससे देश में कोई बड़ा घटनाक्रम घटित हो सकता है। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति किसी आतंकवादी संगठन या ऐसे सत्ता से संबंध रखता है जो भारत के खिलाफ काम करता है, तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को भारतीय संविधान आईपीसी 121 ए के तहत 10 साल की सजा या उम्र कैद की सजा सुनाई जा सकती है।
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IPC- 122
अगर कोई व्यक्ति देश के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए हथियारों को इकट्ठा करता है या उसे बनाने या छुपाने की कोशिश करता है। तो ऐसे में उस व्यक्ति के ऊपर IPC 122 के तहत 10 साल या उम्र कैद की सजा सुनाई जा सकती है। इसके विपरीत अगर कोई व्यक्ति ऐसे व्यक्तियों का साथ देता है तो उसके ऊपर IPC 123 के तहत 10 साल की सजा उसे दी जा सकती है।
IPC 124
जैसा कि आप लोग जानते हैं कि राज्य और देश के अंदर राष्ट्रपति और राज्यपाल का एक अहम संविधानिक पद होता है ऐसे में अगर कोई व्यक्ति देश के राष्ट्रपति राज्यपाल पर हमला करने की कोशिश करता है तो ऐसे व्यक्तियों को IPC 124 के तहत सजा दी जाती है ।
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IPC Section 124 A क्या है – Anti National Act IPC Section 124 A in Hindi
दोस्तों आप लोगों को याद होगा कि भारत के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में कुछ छात्र संगठनों ने भारत के खिलाफ नारेबाजी की थी। और वहां पर नारा इस प्रकार का लगाया गया कि भारत तेरे टुकड़े हो। इसके बाद उस समय के तत्कालीन सरकार ने छात्र संगठन के नेता कन्हैया कुमार और उसके साथियों को इस IPC Section 124 A के तहत गिरफ्तार किया था और कोर्ट में पेश किया गया था। लेकिन सबूत ना मिलने के अभाव में कन्हैया कुमार को छोड़ दिया गया था।
आईपीसी सेक्शन 124 ए के मुताबिक अगर कोई भी व्यक्ति भारत देश के अखंडता और एकता को चोट पहुंचाने की कोशिश करेगा। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति देश के राष्ट्रीय स्मारक चिन्ह या राष्ट्रगान का अपमान करेगा उसके ऊपर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।

IPC SECTION 124 A किन परिस्थितियों पर व्यक्ति को पर लगाया जा सकता है
- अगर कोई भी व्यक्ति सरकार-विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है।
- ऐसी सामग्री का समर्थन करता है। जो देश के खिलाफ हो ऐसी स्थिति में, उस व्यक्ति के ऊपर आईपीसी सेक्शन 124 A लगाया जा सकता है।
- राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है।
- अपने लिखित या फिर मौखिक शब्दों, फिर चिन्हों या फिर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर इसमें नफरत फैलाना या असंतोष जाहिर करना।
देशद्रोह कानून की उत्पत्ति कब हुई थी
देशद्रोह कानून की उत्पत्ति ब्रिटिश काल में हुई थी और इसे 1860 में बनाया गया। फिर 1870 में इसे IPC में शामिल कर लिया गया था और इस कानून का सबसे पहले इस्तेमाल 1870 में बाल गंगाधर तिलक के ऊपर किया गया था।
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देशद्रोह के मुकदमे से कैसे बचे – How to escape Anti national Case
देशद्रोह के मुकदमे से बचना काफी मुश्किल है क्योंकि इस प्रकार के मामले में कोर्ट आपको जमानत भी नहीं देती है। इसलिए देशद्रोह के मुकदमे से बच पाना किसी भी व्यक्ति के लिए संभव नहीं है।
अगर आप देशद्रोह के मुकदमे से बचना चाहते हैं। तो इसके लिए सबसे पहले कोर्ट के अंदर आप के खिलाफ अगर जो भी सबूत पेश किए जा रहे हैं। अगर कोर्ट को लगता है कि आप के खिलाफ जो भी सबूत पेश किए गए हैं उसमें कोई दम नहीं है तभी जाकर आपको कोर्ट से रिहाई मिल पाएगी।
इसके विपरीत अगर आप के खिलाफ देशद्रोह के मुकदमे में सबूत काफी मजबूत है। कोर्ट के अंदर पेश किए गए तो ऐसे में आप को उम्रकैद या फांसी की सजा हो सकती है। या इस बात पर निर्भर करता है कि आप के ऊपर किस धारा के अनुरूप देशद्रोह का मुकदमा चलाया जा रहा है उसके अनुरूप ही आपको कोट यहां पर सजा देगा।
सवाल जवाब (FAQ)
भारतीय कानून संहिता (आईपीसी) की धारा 124-ए में देशद्रोह की दी हुई परिभाषा के मुताबिक, अगर कोई भी व्यक्ति सरकार-विरोधी सामग्री लिखता है या बोलता है या फिर ऐसी सामग्री का समर्थन करता है, या राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है, तो उसे आजीवन कारावास या तीन साल की सजा हो सकती है।
देशद्रोह एक अपराध है जिसे जमानत पर मान्यता नहीं दी जाती है। राजद्रोह के अपराध में तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक की अवधि के लिए किसी भी प्रकार के कारावास से दंडित किया जा सकता है, और साथ में जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इस कानून के तहत आरोपी को सरकारी कामकाज करने से रोका जा सकता है।
जब कोई व्यक्ति असंवैधानिक रूप से सरकार को पलटने का कार्य किया जाता है, तो इसे राजद्रोह कहा जाता है। जबकि जब कोई व्यक्ति कोई ऐसा कार्य करता है जो देश के लिए हानिकारक होता है या ऐसी कोई योजना बनाता है तो उसे देशद्रोह कहा जाता है।
सुप्रीम कोर्ट के अटॉर्नी रोहन डॉ. बोमेक द सेडिशन एक्ट 1860 में जारी किया गया था। फिर 1870 में इसे इराकी दंड संहिता के अध्याय VI में शामिल किया गया था। यह अधिनियम ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रख्यापित किया गया था और देश की स्वतंत्रता के बाद, इसे भारतीय संविधान द्वारा अपनाया गया था।
निष्कर्ष
हम आशा करते है के इस आर्टिकल से आपको Anti national kya hota hai ? देशद्रोह का मुकदमा क्या होता है और किस पर होता है ? Anti National IPC Section कौन कौन सा है ? Anti National Activities Punishment कितनी है ? इस सभ Deshdhroh Kya hai in hindi me पूरी जानकारी मिल गया होगा । इसके इलावा अगर आपका कोई सवाल या सुझाव है तो आप निचे कमेंट कर सकते है । हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमे सोशल मीडिया पर फॉलो करे । धन्यावाद।
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सतिनाम सिंह पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर है। Web developer काम के साथ इनको पढ़ने , लिखने का शौक ह। इसी ज्ञान को दुसरो के साथ बाटने के लिए ही मैंने इस हिंदी शोभा ब्लॉग की स्थापना की है। देश के लोगो को सरल भाषा में पूरी जानकारी देना ही मेरा लक्ष्य है।
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