india me fansi dene ka tarika in hindi | फांसी किस जुर्म में दी जाती है | भारत में किसे फांसी की सजा नहीं दी जा सकती | Hanging Process in India | कैसे दी जाती है Fansi ? | Kissa Fansi Ka
जैसा कि आप लोग जानते हैं कि अगर कोई व्यक्ति अपराध करता है तो भारतीय कानून के मुताबिक उसे अदालत सजा देती है। कई बार ऐसा होता है कि आप ऐसे जघन्य अपराध करते हैं जिसके लिए अदालत आप को फांसी की सजा देता है। ऐसे में भारत में अभी तक कुल आजादी के बाद से 61 लोगों को को फांसी की सजा कोर्ट की तरफ से दिया गया है। इसके अलावा पिछले 16 सालों में कुल मिलाकर 1300 लोगों को सजा-ए-मौत दिया जा चुका है।
ऐसे में अगर आपके मन में सवाल आता है कि भारत में किसी भी व्यक्ति को फांसी देने का नियम क्या है। उसके लिए कौन-कौन से नियम जेल प्रशासन की तरफ से पालन किए जाते हैं। अगर आप india me fansi dene ka tarika in hindi के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं है, मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि पोस्ट को आखिर तक पढ़े आइए जाने-
आखरी फांसी 2012 के निर्भया कांड के दोषियों को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई। निर्भया के चार दोषियों को शामिल करके स्वतंत्र भारत में यह 61वीं फांसी थी। अगर पिछले 16 सालों की बात करें तो भारत में अब तक 1,300 से ज्यादा लोगों को मौत की सजा दी जा चुकी है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2004 से 2013 के बीच भारत में 1,303 लोगों को मौत की सजा दी गई, हालांकि इस दौरान सिर्फ तीन लोगों को फांसी दी गई।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 1947 से अब तक (निर्भया के दोषियों समेत) 61 लोगों को फांसी दी जा चुकी है। अगर पिछले 16 सालों की बात करें तो भारत में 1,300 से ज्यादा लोगों को मौत की सजा दी जा चुकी है। इसमें से सिर्फ चार को फांसी दी गई है, धनंजय चटर्जी (2004), अफजल गुरु (2013), 26/11 मुंबई हमले में पाकिस्तानी नागरिक आमिर अजमल कसाब (2012), याकूब मेमन (2015)। भारत में हर साल करीब 130 लोगों को इस तरह मौत की सजा दी जाती है, लेकिन इसे अंजाम नहीं दिया जाता। इसका कारण भारत में लंबी क्षमादान प्रक्रिया है।
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फांसी की सजा कौन से अपराध में हो सकती है इस बात का निर्धारण कोर्ट के द्वारा किया जाता है। लेकिन आम तौर पर अगर आप किसी भी लड़की का किसी रूप से बलात्कार करते हैं तो फांसी की सजा कौन से अपराध में हो सकती है इस बात का निर्धारण कोर्ट के द्वारा किया जाता है। लेकिन आम तौर पर गैंग रैप देशद्रोह आतंकवादी गतिविधियों में अगर आप दोषी पाए जाते हैं, तो ऐसे ऐसे ही में कोर्ट आप को फांसी की सजा दे सकता है।
जब कोर्ट किसी व्यक्ति को फांसी की सजा सुनाता है तो सबसे पहले अपने कलम को तोड़ता है। इसका सबसे प्रमुख कारण है कलम का इस्तेमाल दोबारा से किसी भी अपराधी को सजा सुनाते समय नहीं किया जाएगा। क्योंकि जब इनके द्वारा किसी भी व्यक्ति की मौत की सजा लिखी जाती है तो उस पेन को अशुभ माना जाता है, इसलिए इसका इस्तेमाल दोबारा नहीं होगा।
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जैसा कि आप लोग जानते हैं कि भारतीय संविधान में अगर किसी व्यक्ति ने जघन्य अपराध किया है तो कोर्ट की तरफ से उसे फांसी की सजा सुनाई जाती है।ऐसे में मैं आपको बता दूं कि भारत में ऐसे 4 लोग हैं जिसे कभी भी फांसी की सजा कोर्ट नहीं सुना सकता है अगर उसने कितना भी जघन्य अपराध किया हो।
फांसी हमेशा सुबह-सुबह ही होती है।
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india me fansi dene ka tarika in hindi
जिस दिन अपराधी को फांसी दी जाती है उस दिन जल्लाद उसके कान में जाकर सबसे पहले कहता है, कि मुझे माफ करना मैं एक सरकारी कर्मचारी हैं और मैं अपने कर्तव्य से मजबूर हूं। इसके अलावा अगर अपराधी हिंदू है तो उसके कान में राम-राम कहता है और अगर मुसलमान है तो अल्लाह का नाम उसके कान में कहता है उसके बाद जल्लाद आगे की प्रक्रिया को शुरू करता है।
भारत में किसी भी अपराधी को फांसी देने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए जेल प्रशासन निम्नलिखित प्रकार के चरणों का अनुसरण करता है जिसके बारे में मैं आपको नीचे बिंदु अनुसार जानकारी दूंगा जो इस प्रकार है:-
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किसी भी अपराधी को जब फांसी दी जाती है तो उसकी बॉडी 30 मिनट तक फंदे पर झूलती हुई दिखाई पड़ती है। तब तक वह झूलती हुई रहेगी जब तक मेडिकल ऑफिसर इस बात की घोषणा ना कर दें कि उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई है।
जब किसी अपराधी को फांसी दी जाती है तो उसके बॉडी को परिजन को देना कुल मिलाकर जेल प्रशासन के ऊपर निर्भर करता है। ऐसे में अगर अपराधी के परिवार वाले अंतिम संस्कार की क्रिया के लिए आवेदन करें तो उनको बॉडी जेल प्रशासन की तरफ से दे दी जाती है।
कोई जल्लाद जेल में कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम कर रहा है तो उसे फांसी देने के लिए अलग से पैसे जेल प्रशासन की तरफ से दिए जाएंगे। इसके अलावा फांसी देने के बाद बॉडी को उतारने की पूरी प्रक्रिया जल्लाद के द्वारा ही होती है।
फांसी का समय सुबह जल्दी निर्धारित किया जाता है क्योंकि जेल नियमावली के अनुसार जेल का सारा काम सूर्योदय के बाद होता है। समय इसलिए चुना जाता है ताकि जेल का बाकी कारोबार फांसी से प्रभावित न हो।
संविधान कभी भी गर्भवती महिला को फांसी की इजाजत नहीं देगा। क्योके अपराध माँ ने किया है उसने होने वाले बेटे ने नहीं। इसलिए उसके बेटे को जीने का पूरा हक़ है। उसे दंडित नहीं किया जा सकता है। उसे मौत की सजा नहीं दी जा सकती।
जल्लाद फांसी देने से पहले बोलता है कि मुझे माफ कर दो। हिंदू भाई को राम-राम, मुस्लिम को सलाम, हम क्या कर सकते हैं हम तो है हुकुम के गुलाम। इतना बोलकर जल्लाद फांसी का फंदा खींच देता है।
देश के किसी भी कोने में अगर अपराधी को फांसी देना है तो उसका फंदा बिहार के बक्सर जेल में तैयार किया जाता है क्योंकि वहां के अपराधी फंदा निर्माण करने में काफी कुशल होते हैं।
जलाद पवन ने बताया कि उनके पिता, दादा और दादा फांसी का काम करते थे। फिलहाल देश में सिर्फ दो जल्लादों को फांसी होना बाकी है। जल्लाद पवन ने कहा कि उन्हें फांसी के बदले 3,000 रुपये मासिक वेतन मिलता था, जिसे अब बढ़ाकर 5,000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। मासिक वेतन के अलावा, जब अपराधी को फांसी दी जाती है, तो उसके लिए जल्लाद को कुछ पैसे भी दिए जाते हैं। आतंकी कसाब को फांसी देने वाले जल्लाद को भी फांसी के 5,000 रुपये दिए गए।
अमरोहा के रहने वाले शबनम और उनके प्रेमी सलीम ने 14-15 अप्रैल 2008 की दरमियानी रात को परिवार के सात लोगों को नशीला पदार्थ देकर उनका गला काट दिया था। इनमें एक 10 महीने का बच्चा भी था जिसका गला घोंट दिया गया था।
हम आशा करते है के इस आर्टिकल से आपको India me Fansi ki Sja किस लिए , कैसे दी जाती है ? फांसी सजा वाले कैदी के साथ क्या सलूक होता है ? फांसी की प्रकिर्या क्या है ? फांसी देने से पहले और बाद में क्या होता है ? अदि के बारे में देते में जानकारी दी गयी है । अगर फिर भी आपका कोई सवाल या सुझाव है तो आप निचे कमेंट कर सकते है । हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमे सोशल मीडिया पर फॉलो कर सकते है । धन्यावाद।
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