उसकी बातें, उसका घर चलाने का नजरिया सच मुझे चैंका गया। परिस्थितिवश जो बाई कम पढ़ पाई, वह इतनी समझदार कैसे हो सकती है? लेकिन फिर बात समझ में आ जाती है कि आख़िर वो एक औरत है। एक औरत अपने घर की जिम्मेदारी बड़ी लगन से निभाती है और परिवार को जोड़े रखती है।
Hindi Story Life Management
Life Management :- बात कुछ साल पहले की है। मुझे अपने घर के बर्तन साफ़ करने के लिए कामवाली बाई की जरूरत थी। एक पहचान वाली आंटी जी ने शर्मिला नाम की एक स्त्री को बात करने के लिए भेजा। मैंने उसे काम बताया और पैसों की बात की, किस समय आएगी यह भी तय हो गया। बात करने में मुझे वह बहुत ही समझदार लगी।
दूसरे दिन से ही काम पर आने का कहकर वह चली गई। तीन से चार मिनट बाद वह वापस आई, और कहने लगी,दीदी, मैं महीने में तीन छुट्टियां करती हूं। आपके घर मैं दस, बीस और तीस तारीख को नहीं आऊंगी। इक्कतीस का महीना हो तो तीस तारीख को आऊंगी और इक्कतीस को छुट्टी करूंगी।’ मैंने उसे पूछा, ‘ऐसा क्यों?’ तो वह कहने लगी, मैं सोलह घर काम करती हूं, आठ घर में मैं पांच, दस और पंद्रह तारीख
को नहीं जाती और आठ घरों में मैं दस, बीस और तीस तारीख को नहीं जाती।’ मैंने उससे पूछा, ‘सभी घरों में आप एक ही दिन छुट्टी क्यों नहीं करतीं?’ तो वह तपाक से बोली, ‘कुछ कुछ मालकिन लोग बर्तन मांजती नहीं हैं और जमा करके रख देती हैं। तो मेरा काम भी बढ़ जाता है और छुट्टी लेने का कोई फायदा भी नहीं होता। उन घरों में खूब सारा समय लग जाता है। दूसरी बात ये कि महीने में छह दिन मैं जल्दी घर पहुंच जाती हूं तो मेरा घर का भी सारा काम हो जाता है।’ उसका यह नजरिया मुझे बहुत अच्छा लगा।
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दूसरे दिन से वह काम पर आने लगी। रोज थोड़ी-थोड़ी बातें करके मुझे पता चला कि तीन घरों से उसे जो पगार मिलती है, उसे एक मालकिन को देकर वह हर महीने बैंक में जमा करवाती है, और दो घर की पगार से वह बीसी खेलती है। सालभर में एकबार बीसी का जो पैसा मिलता है उससे वह घर की जरूरत की चीज खरीदती है। और तो और सोलह घरों से उसे जो दिवाली का इनाम मिलता है, उसमें कहीं से कपड़े, कहीं से स्टील के बर्तन तो कहीं से पैसे ही लेती है।
उसकी बातें, उसका घर चलाने का नजरिया सच मुझे चैंका गया। परिस्थितिवश जो बाई कम पढ़ पाई, वह इतनी समझदार कैसे हो सकती है? लेकिन फिर बात समझ में आ जाती है कि आख़िर वो एक औरत है। एक औरत अपने घर की जिम्मेदारी बड़ी लगन से निभाती है और परिवार को जोड़े रखती है। इसी की एक मिसाल है वह भी।
Disclaimer
यह कहानी दैनिक भास्कर के 04/Aug/2021 के मधुरिमा पन्ने से ली गयी है । यह लेखिका ‘आलपिता घोगे’ की रचना है ।Life management के ऊपर बेस्ट स्टोरी होने के नाते हम आपके लिए यह यह पर प्रकाशित कर रहे है ।
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सतिनाम सिंह पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर है। Web developer काम के साथ इनको पढ़ने , लिखने का शौक ह। इसी ज्ञान को दुसरो के साथ बाटने के लिए ही मैंने इस हिंदी शोभा ब्लॉग की स्थापना की है। देश के लोगो को सरल भाषा में पूरी जानकारी देना ही मेरा लक्ष्य है।
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