क्या है इस पोस्ट में ?
Live in Relationship Law in India :- जैसे जैसे हम आगे बढ़ते जा रहे है तैसे तैसे हम पश्चिमी संस्कृति की अपनाते जा रहे है । देश में आज कल लोगो को Reputation , High Society , पश्चिमी कल्चर की लत लग चुकी है । वैसे तो देश में लड़का लड़की की साथ रहने के लिए समाजिक तौर पर शादी करने की जरूरत होती है । पर आज कल चलन कुछ अलग ही है ।लेकिन बदलती जीवनशैली में इसे भारत में भी अपनाया जा रहा है। चूंकि आज बड़े शहरों में लिव इन रिलेशनशिप के रिश्ते में रहना आम बात हो गई है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इसे वैध कर दिया है। तो यह Live in Relationship क्या है ? Live in Relationship लॉ क्या कहता है ? Live in Relationship Law in India के बारे में पूरी जानकारी हम अदालती केस के साथ यहां पर दे रहे है । पूरी जानकारी के लिए इस आर्टिकल को शुरू से लेकर अंत तक पढ़े ।
Live in Relationship में रहना विवादों से भरा रिश्ता है , लेकिन आधुनिक जीवन के लिए अनूठा रिश्ता है, जिसमें पति-पत्नी शादी में पुरानी धारणा को नजरअंदाज करते हुए एक साथ रहते हैं और अपनी आपसी जिम्मेदारियों को उसी तरह पूरा करते हैं जैसे वे शादी के बाद करते हैं। इसमें जो बात अलग है वह यह है कि उन पर किसी भी तरह का कोई नैतिक दबाव नहीं होता है और वे चाहें तो कभी भी ब्रेकअप कर सकते हैं। Live in Relationship Law and Rules
लिव-इन रिलेशनशिप क्या है ? Live In Relationship kya hai ?
लिव-इन सम्बन्ध या लिव-इन रिलेशनशिप एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें दो अविवाहित लोग एक साथ रहते हैं और पति-पत्नी की तरह ही एक-दूसरे के साथ शारीरिक संबंध रखते हैं।यह सम्बंध स्नेहात्मक होता है और रिश्ता गहरा होता है। रिश्ते कभी-कभी लंबे समय तक चल सकते हैं या स्थायी भी हो सकते हैं।
सामाजिक स्तर पर लड़का लड़की का शादी से पहले साथ रहना कुछ लोगों के लिए स्वीकार्य है या नहीं। पर कानूनी स्तर पर, सुप्रीम कोर्ट ने लंबे समय से चली आ रही इस दुविधा को इस तरह से खत्म कर दिया है और इस Live in Relationship को क़ानूनी मंटा देता है। लेकिंग अभी भी अगर कोई इस प्रकार के Live in Relationship couple के खिलाफ कोई विरोध करता है तो कोर्ट उस Live in Couple को security भी देता है ।
यदि कोई भी जोड़ा एक लम्बे समय तक बिना शादी के साथ रहता है यानि लिव इन में रहता तो कोर्ट उसे शादीशुदा जोड़े की मान्यता दे देगा और साथी की मौत के बाद महिला की उस पुरुष कि सम्पति में भी हिस्सेदारी होगी और अगर किसी विवाद की स्थिति होती है तो महिला को अविवाहित साबित करने की जिम्मेदारी प्रतिवादी पक्ष की होगी
Supreme Court Statement on Live in Relationship couples
Live in Relationship Law in India
लिव इन में रहना पश्चिमी संस्कृति से आया है जो के वहां पर आम बात है। लेकिन भारतीय सभ्यता में बिना शादी के पुरुष और महिला के साथ रहना स्वीकार्य नहीं नहीं है । लेकिन बदलती जीवनशैली के कारन आजकल इंडिया में भी Live in relationship trend कर रहा है । चूंकि आज बड़े शहरों में Live in में रहना आम बात है । इस लिए समय समय पर बहुत से ऐसे केस Court में आते रहे है । इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इसे कानून घोषित कर दिया है। भारतीय संसद ने Live in Relationship में कोई कानून पारित नहीं किया है। इसके इलावा नहीं इसके लिए कोई Live in Relationship Act या Law पहले से है । अभी के लिए तो इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय कानून के रूप में कार्य करता है और सर्वोच्च न्यायालय निवास को पूरी तरह से वैध मानता है। Live in relationship के मामलो से बहुत बार Supreme court इसे वैध ठहरा चूका है । इसके लिए वैध Live in relation court cases की चर्चा हम निचे करेंगे ।

लिव इन रिलेशन कब होगा वैध ( is Live in Relationship valid in India )
घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की धारा 2F के अंतर्गत इस Live in Relationship को परभाषित किया गया है। तो Live in relationship कब वैध मन जाता है ।। इसके लिए निचे दी शर्ते पूरी करना होता है :-
- Live in में रहने के लिए पति-पत्नी की तरह साथ रहना जरूरी है । हालाँकि इसके लिए कोई समय सीमा नहीं है, आपको निरंतर आधार पर साथ रहना चाहिए। इस रिश्ते को Live in Relationship नहीं माना जाएगा जहां कोई एक बार साथ था और फिर टूट गया और फिर कुछ दिनों तक साथ रहा।
- पति-पत्नी को एक ही घर में पति और पत्नी के रूप में रहना चाहिए।
- घर के सामान को एक साथ प्रयोग करना होगा .
- लव इन रिलेशन कपल ( Live in relation couple ) को घर में रहने वाले को घर के कामों में एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।
- Live in relationship दंपति के लिए यह जरूरी होगा कि अगर उनके बच्चे हैं तो उन्हें ढेर सारा प्यार और स्नेह दें और उचित शिक्षा प्राप्त करें।
- समाज को यह पता होना चाहिए कि आप Live in relationship के रूप में साथ रह रहे है।
- क़ानूनी रूप में लिव इन कपिल दोनों का बालिग होना जरूरी है . नहीं तो इस Live in relationship को वैध नहीं माना जाएगा।
- Live in में रहने के लिए सबसे जरूरी शर्त यह है कि दोनों पति-पत्नी का पहले से कोई पति या पत्नी न हो। यदि किसी व्यक्ति के पति या पत्नी होने पर अतीत में किसी अन्य व्यक्ति के साथ घरेलू संबंध थे तो इसे गैरकानूनी माना जाएगा।
Live in Relationship Registration ( Live in Certificate )
हाँ जी , अगर आप लीगल तरिके से आपने Live in Relationship ko register करना चाहते है तो आप इसको Police चौकी या ठाणे में जा के कर सकते है । live in Couple को आपने दोनों के प्रोफ्फ ले के जाना है । Police आपके प्रूफ वेरीफाई करके आपको Live in relationship certificate issue कर देता है । जिसके बाद आप Legally Live in Relationship में रह सकते है ।Live in Relationship Law in India के यह कोई जरूरी नहीं के आपको Live in relation register करना अनिवारिया है ।
Live in कानूनी मान्यताए जान लें
2013 में, सुप्रीम कोर्ट ने Live In Relationship को लेकर एक दिशानिर्देश जारी किया। इसके अनुसार, लंबे समय तक बनाए गए रिश्ते को टिकाऊ माने जाने के लिए पर्याप्त होना चाहिए, यह अदालत तय करेगी। यदि दोनों साथी अपने वित्तीय और अन्य संसाधनों को एक दूसरे के साथ लंबे समय तक साझा करते हैं, तो इस संबंध लिव इन कहा जाता है।
शारीरिक संबंध बनाने का अधिकार ( S*x Rights in Live in Relationship )
Live in Couple को कानूनी मान्यता के अनुसार, यौन संबंधों की पूर्ण स्वतंत्रता है। यह सेक्स करने और बच्चे पैदा करने की इच्छा दोनों पर निर्भर करता है। इसके लिए कोई किसी को s*x करने या न करने के लिए फाॅर्स नहीं कर सकता । अगर रिश्ते में बच्चे का जन्म होता है, तो रिश्ते को Live in ही माना जाएगा।
पैसो And वित्तीय व्यवस्थाओं को शेयर करने का अधिकार
एक-दूसरे की आर्थिक रूप से सहायता करना, या उनमें से किसी एक को बैंक खातों में भाग लेना, एक सामान्य नाम पर या एक महिला के नाम पर अचल संपत्ति प्राप्त करना, व्यापार में दीर्घकालिक निवेश, एक अलग और संयुक्त नाम में बैंक अकाउंट ओपन करना सबके लिए Live in Couple को अनुमति होता है ।
Live in Relation में महिला के अधिकार ( Rights of Girl in Live in Relationship )
महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सहवास संबंधों के संबंध में कुछ कानून बनाए गए हैं। इसके साथ ही कहा कि सिर्फ सेक्स के लिए एक लड़की के साथ Live in Relationship में रहने के बाद कोई पुरुष नहीं छोड़ सकता। अगर वह चला जाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। Live in में रहने वाली महिलाओं के पास ये सभी कानूनी अधिकार हैं, जो संवैधानिक रूप से एक भारतीय पत्नी को दिए गए है ।
- घरेलू हिंसा से संरक्षण प्राप्त
- प्रॉपर्टी पर अधिकार
- गुजरा भत्ता का अधिकार
Live in रह रही महिला आपने साथी से भरण पोषण की मांग कर सकती है । इसके लिए कोर्ट ने भी स्पष्ट कह दिया है के अगर कोई couple live in रह रहा है और एक दूसरे के साथ पति पत्नी जैसा वेवहार करते है तो महिला को भरणा पोषण के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है चाहे उन्हों ने शादी नहीं की है ।
लिव इन से उत्पन्न संतान को अधिकार ( Live in Relationship Child Rights )
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि लिव इन में रहने के दौरान अगर कोई संतान उत्पन्न होती है तो उसे अपने माता-पिता की संपत्ति में पूरा अधिकार होगा और इससे कोई भी भी लिव इन कपल बच नहीं सकता है।यदि उनके माता-पिता एक ही छत के नीचे रहते और काफी समय तक साथ रहते। लंबे समय तक ताकि पति और पत्नी के रूप में पहचाना जा सके और यह “वॉक इन एंड वॉक आउट” संबंध नहीं होना चाहिए।
दत्तक ग्रहण को नियंत्रित करने वाले दिशा-निर्देशों के अनुसार, भारत में लिव-इन जोड़े बच्चे को गोद नहीं ले सकते हैं। लेकिन अगर बच्चे की कस्टडी को लेकर कोई विवाद पैदा होता है, तो पार्टनर चाइल्ड कस्टडी वकील से सलाह ले सकते हैं।
Popular Court cases of Live in Relationship
कामिनी देवी और अजय कुमार Case ( Protection to Live in Relationship Couple )
याचिकाकर्ता कामिनी देवी (24) और अजय कुमार (28) को करीब एक साल पहले प्यार हो गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि कामिनी देवी का परिवार उसकी इच्छा के विरुद्ध एक बड़े व्यक्ति के साथ उसकी शादी जबरन कराने की कोशिश कर रहा था। याचिकाकर्ता कामिनी देवी (24) और अजय कुमार (28) को करीब एक साल पहले प्यार हो गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि कामिनी देवी का परिवार उसकी इच्छा के विरुद्ध एक बड़े व्यक्ति के साथ उसकी शादी जबरन कराने की कोशिश कर रहा था।
फर्रुखाबाद की कामिनी देवी और अजय कुमार द्वारा दायर एक रिट याचिका की अनुमति देते हुए, जस्टिस अंजनी कुमार मिश्रा की एक खंडपीठ ने कहा, “SC ने निर्णयों की एक लंबी लाइन में कानून तय किया है कि जहां एक लड़का और लड़की बालिग हैं और वे रह रहे हैं उनकी स्वतंत्र इच्छा से, तो किसी को भी – उनके माता-पिता सहित – को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।”
चूंकि जीने का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार है, जिसमें यह प्रावधान है कि किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा, ”अदालत ने कहा। कोर्ट ने कहा कि किसी भी तरह की गड़बड़ी की स्थिति में याचिकाकर्ता इस आदेश की सेल्फ अटेस्टेड कॉपी के साथ एसएसपी के पास जाएं। Source:- टाइम ऑफ़ इंडिया (Dec 3, 2020)
किसी एक से शादीशुदा होने पर Live in Relation मंजूर नहीं
न्यायाधीश कौशल जेंद्र ठक्कर और न्यायाधीश दिनेश पाठक के विभाग में एक पैनल ने एक जोड़े के लिए सुरक्षा का अनुरोध किया, जो एक अफेयर में थे, लेकिन याचिका पर कार्रवाई के दौरान शादी कर ली।सुप्रीम कोर्ट ने पहले एक विवाहित महिला और उसके घरेलू साथी की याचिका को खारिज कर दिया था। Married man/Woman not Valid for Live in india
अदालत ने उस पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिसमें कहा गया था कि महिला पहले से ही शादीशुदा है और किसी अन्य पुरुष के साथ रह रही है, जो हिंदू विवाह अधिनियम में निर्धारित ‘बयान’ के विपरीत है। Source :- NDTV 19 जून, 2021
मद्रास हाई कोर्ट का फैसला ( Live in Couple’s Child Rights )
गुजारा भत्ता से जुड़े एक मामले में सुनवाई के दौरान मद्रास हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया. इस फैसले में, अदालत ने एक महिला की रक्षा की जो अपनी शादी को साबित नहीं कर सकी और इस तरह पति अपनी जिम्मेदारी से बच गया। याचिकाकर्ता के मुताबिक उसकी शादी 16 सितंबर 1994 को हुई थी।
शादी के बाद 1996 और 1999 में दो बच्चों का जन्म हुआ। 1999 में महिला के पति ने घर छोड़ दिया। जब महिला ने गुजारा भत्ता के लिए याचिका दायर की, तो उसके पति ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि महिला वास्तव में उसकी पत्नी नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने तब कहा था कि एक वैध विवाह का मतलब सभी प्रथागत अधिकारों के लिए सम्मान नहीं है। यदि प्रतिवादी (पति) अस्पताल में हस्ताक्षर करता है कि महिला उसकी पत्नी है और ऑपरेशन के लिए सहमत है, तो यह औपचारिक स्वीकृति है कि महिला उसकी पत्नी है।
अदालत ने कहा कि वे पति-पत्नी के रूप में रह रहे हैं और उनके दो बच्चे हैं। वे दोनों एक ही छत के नीचे रहते हैं और विवाहित जीवन जीते हैं और उनके दो बच्चे हैं, इसलिए युगल को विवाहित माना जाता है।
सवाल / जवाब ( FAQ )
कोर्ट ने माना कि लिव-इन रिलेशनशिप भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निहित जीवन के अधिकार के दायरे में आता है। कोर्ट ने आगे कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप की अनुमति है और किसी भी मामले में दो वयस्कों के एक साथ रहने के कार्य को अवैध या गैरकानूनी नहीं माना जा सकता है।
नहीं ।न्यायमूर्ति पंकज भंडारी की पीठ 29 साल की एक महिला और 31 साल के एक पुरुष की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा की मांग की थी।सुप्रीम कोर्ट ने पहले एक विवाहित महिला और उसके घरेलू साथी की याचिका को खारिज कर दिया था।
कोई भी बालिग लड़का लड़की जो मैरिज की आयु में है Live in में रह सकते है ।Live in में रहने के लिए पति-पत्नी की तरह साथ रहना जरूरी है । हालाँकि इसके लिए कोई समय सीमा नहीं है, आपको निरंतर आधार पर साथ रहना चाहिए। इस रिश्ते को Live in Relationship नहीं माना जाएगा जहां कोई एक बार साथ था और फिर टूट गया और फिर कुछ दिनों तक साथ रहा।
हाल के एक फैसले में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि एक विवाहित महिला अपने पति या पत्नी को तलाक दिए बिना किसी अन्य पुरुष के साथ रहने का दावा नहीं कर सकती है और बाद में कानूनी पवित्रता की मांग कर सकती है। … उनका कार्य कानून और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा परिभाषित लिव-इन रिलेशनशिप की परिभाषा के खिलाफ था।
हाँ
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, इन शर्तों के पूरा होने पर लिव-इन रिलेशनशिप कानूनी है:
इस रिश्ते में लड़का-लड़की दोनों पति-पत्नी की तरह साथ रहते हैं।
दोनों ने अपनी कानूनी शादी की उम्र पूरी कर ली है।
दोनों अविवाहित हैं।
दोनों अपनी मर्जी से साथ रहते हैं।
Live in में एक व्यक्ति को हमेशा अपनी संपत्ति का अधिकार होता है। इसका मतलब यह है कि उसकी आय को उसके साथी के चिकित्सा व्यय या बच्चे के समर्थन भुगतान जैसे किसी भी अन्य वित्तीय दायित्वों को कवर करने के लिए सजाया नहीं जा सकता है।
भारतीय संसद ने Live in Relationship में कोई कानून पारित नहीं किया है। इसके इलावा नहीं इसके लिए कोई Live in Relationship Act या Law पहले से है । अभी के लिए तो इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय कानून के रूप में कार्य करता है और सर्वोच्च न्यायालय निवास को पूरी तरह से वैध मानता है।
निष्कर्ष
हम आशा करते है के इस आर्टिकल से आपको Live in relationship Law and rules kya kya hai ? क्या इंडिया में Live in relationship valid है ? Live in relationship supreme court statement kya है ? Rights of Live in Woman partner kya क्या है ? Live in Relationship Law in India ? अदि के बारे में पूरी जानकारी मिल चूका है । इसी प्रकार की किसी और टॉपिक के साथ अगले आर्टिकल में मिलगे।
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सतिनाम सिंह पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर है। Web developer काम के साथ इनको पढ़ने , लिखने का शौक ह। इसी ज्ञान को दुसरो के साथ बाटने के लिए ही मैंने इस हिंदी शोभा ब्लॉग की स्थापना की है। देश के लोगो को सरल भाषा में पूरी जानकारी देना ही मेरा लक्ष्य है।
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