हेलो दोस्तों , आपने अब तक Share market और Mutual Fund के बारे में तो जाना । पर क्या आपने Money Market के बारे में सुना है ? सुना होगा किसी न किसी मूवी या Web series में जरूर सुना होगा । पर Money market kya hota hai ? Money Market kaise kam करता है ? क्या मनी मार्किट शेयर मार्किट से अलग है ? इन सभी सवालों के जवाब हम इस आर्टिकल में दे रहे है । Money market in हिंदी की पूरी जानकारी के लिए इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक पढ़े । मनी मार्केट क्या है ?
Money market kya hai ?जैसे शेयर मार्किट में companies के शेयर का लें दें होता है ।Share market में रेट ऊपर निचे होता रहता है ।इसी प्रकार Money market में Corporate company , Government अपनी कुछ उपकरणों/प्रतिभूतियों को गिरवी रकने कके लिए Bound issue करती है । जिसको निर्धारित समय के लिए पैसा उधार लिया जाता है और उस पर निश्चित दर के हिसाब से ब्याज दिया जाता है ।
Money Markey kya hota hai Hindi me ?
दोस्तों आपने देखा होगा कि बड़ी-बड़ी कंपनियों या स्टार्टअप्स को अपना बिजनेस चलाने के लिए पैसों की जरूरत होती है, और इस पैसे को जुटाने के कई तरीके हैं जैसे (स्टॉक मार्केट से पैसा उठाना, कैपिटल मार्किट से पैसा जुटाना ) । इसी प्रकार Money market से भी पैसा उठाया जाता है ।
इसलिए, मुद्रा बाजार में, कंपनी अपने उपकरणों/प्रतिभूतियों (शेयरों) और संपत्ति को गिरवी रखने के लिए किसी बैंक या वित्तीय संस्थान से पैसा उधार लेती है। लेकिन यह पैसा बहुत ही कम अवधि (एक साल से भी कम) के लिए दिया जाता है और समय के अंत में कंपनी को वह पैसा बैंक को वापस करना होता है और बैंक उस कंपनी की सभी सिक्योरिटीज पेपर्स को वापस कर देता है।
भारतीय मुद्रा बाजार को संगठित और अनियमित क्षेत्र में वर्गीकृत किया गया है।संगठित मुद्रा बाजार क्षेत्र में वाणिज्यिक बैंक शामिल हैं, जिसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक शामिल हैं, और अनियमित मुद्रा बाजार क्षेत्र में घरेलू बैंकर, ऋणदाता और गैर-बैंक वित्तीय संस्थान शामिल हैं।
संगठित क्षेत्र – इस क्षेत्र के अंतर्गत रिजर्व बैंक के अलावा जो देश का केंद्रीय बैंक है, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक और विदेशी मुद्रा बैंक आते हैं।
असंगठित क्षेत्र – इस क्षेत्र में कई राष्ट्रीय बैंकर और साहूकार हैं, जिन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में साहूकारों, साहूकारों आदि के नाम से जाना जाता है। ये ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें किसी वित्तीय संस्थान से कानूनी मान्यता नहीं मिलती है।
कोई भी व्यक्ति मनी मार्केट म्यूचुअल फंड खरीदकर, ट्रेजरी बॉन्ड खरीदकर या बैंक के साथ मनी मार्केट अकाउंट खोलकर मनी मार्केट में निवेश कर सकता है। मुद्रा बाजार में निवेश उसका Risk and Liquidity से अलग होते हैं।
मुद्रा बाजार में केंद्रीय बैंक का महत्वपूर्ण स्थान है। मुद्रा बाजार पर पूर्ण नियंत्रण, Comercial Banks और अन्य मौद्रिक संस्थान केवल सेंट्रल बैंक के आदेशों के अनुसार काम करते हैं। केंद्रीय बैंक मूल्य स्तर में स्थिरता प्राप्त करने के लिए Credit control policy अपनाता है। केंद्रीय बैंक की नीति का मुद्रा बाजार पर प्रभाव पड़ता है।
इस बाजार के माध्यम से बहुत कम अवधि के loan की पेशकश की जाती है। वाणिज्यिक बैंक अपने संसाधनों का एक हिस्सा बहुत ही अल्पकालिक ऋणों में निवेश करते हैं। अल्पकालिक ऋण के खरीदार ज्यादातर दलाल या सट्टेबाज़ (bill broker and speculators) होते हैं।
इस प्रकार के बाजार में ऋण की अवधि कुछ लंबी होती है। वाणिज्यिक बैंक अग्रिमों और बिलों में छूट देकर अपनी जमाराशियों का प्रबंधन करते हैं। इस प्रकार के बाजार के मुख्य खरीदार व्यापारी और उद्योगपति होते हैं। सरकार इस प्रकार के ऋण को ट्रेजरी बिलों के माध्यम से भी निकालती है। इस प्रकार का बाजार Comercial banks द्वारा संचालित किया जाता है।
इस प्रकार के बाजार में दो भाग होते हैं:- Commercial Banks और शेयर बाजार।
Comercial banks , Corporate companies के शेयर मार्किट के जारी करते है । और वही शेयर मार्किट में इन जारी shares की buy-sale की जाती है ।
इन संस्थानों के अलावा, कुछ विशिष्ट संस्थान हैं जो क्रेडिट देते हैं, जैसे: Savings Banks आदि।
जब किस बैंक या Finacial Company को बहुत ही कम समय के लिए पैसा उधर चाहिए होता है तो तो वह Call and Notice Money जारी क्र सकता है । पर इसमें interest charges बहुत ज्यादा होते है ।
पुनर्खरीद समझौते, जिसे रेपो रिवर्स या केवल रेपो के रूप में भी जाना जाता है, अल्पकालिक ऋण हैं जो खरीदारों और विक्रेताओं द्वारा खरीदने और बेचने के उद्देश्य से सहमत होते हैं। ये लेनदेन केवल आरबीआई द्वारा अनुमोदित पार्टियों के बीच ही किए जा सकते हैं। रेपो/रिवर्स रेपो लेनदेन केवल आरबीआई द्वारा अनुमोदित पार्टियों के बीच ही किए जा सकते हैं। केवल आरबीआई द्वारा अनुमोदित प्रतिभूतियों जैसे ट्रेजरी बिल, केंद्र या राज्य सरकार की प्रतिभूतियों, कॉर्पोरेट बॉन्ड और पीएसयू बॉन्ड के बीच लेनदेन की अनुमति है।
Money market kya hai के बारे में तो आपने जान लिया । अब हम मुद्रा बाजार और पूंजी बाजार में अंतर के बारे में जानेगे ।दोनों मार्किट ही अपनी जगह सही है और अपने तरिके से काम करते है । तो आइए जानते है Money market and capital market में difference क्या क्या है :-
Money market | Capital market |
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मुद्रा बाजार में अधिकांश लेनदेन आरबीआई, वित्तीय संस्थान जैसे सिडबी, नाबार्ड आदि के द्वारा होता है, यहाँ निजी तौर पर वित्तीय लेनदेन नहीं होता है. | पूंजी बाजार में लेनदेन वित्तीय संस्थान, बैंक, पब्लिक या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, विदेशी निवेशकों, आम जनता के द्वारा होता है, |
Money market में Instrument के रूप में ट्रेजरी बिल, कमर्शियल बिल, जमा प्रमाण पत्र का इस्तेमाल होता है | Capital market में शेयर, बॉन्ड, डिबेंचर का इस्तेमाल होता है, |
मुद्रा बाजार में लेनदेन के लिए बड़ी मात्रा में धन का होना आवश्यक है | capital market me धन कम भी होगा तो भी निवेश कर सकते है |
Money market से पैसा 1 दिन से 364 दिन तक के लिए उठा सकते हैं | पूंजी बाजार से पैसा एक साल या उसे अधिक अवधि के लिए उठा सकते है . No Limit |
Money market जरूरतों को पूरा करता है इसलिए इसमें अधिक रिटर्न मिलने की गुंजाइश का होती है | Capital market में High Returns मिल सकते है. लेकिन इसमें रिस्क ज्यादा होता है, आपका पैसा डूम भी सकता है, |
जैसे शेयर मार्किट में companies के शेयर का लें दें होता है ।Share market में रेट ऊपर निचे होता रहता है ।इसी प्रकार Money market में Corporate company , Government Bound issue करती है । जिसको निर्धारित समय के लिए पैसा उधार लिया जाता है और उस पर निश्चित दर के हिसाब से ब्याज दिया जाता है ।
मुद्रा बाजार में अधिकांश लेनदेन आरबीआई, वित्तीय संस्थान जैसे सिडबी, नाबार्ड आदि के द्वारा होता है, यहाँ निजी तौर पर वित्तीय लेनदेन नहीं होता है।
Reserve Bank of India (RBI)
भारतीय मुद्रा बाजार को 2 Types संगठित और अनियमित क्षेत्र में वर्गीकृत किया गया है।संगठित मुद्रा बाजार क्षेत्र में वाणिज्यिक बैंक शामिल हैं, जिसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक शामिल हैं, और अनियमित मुद्रा बाजार क्षेत्र में घरेलू बैंकर, ऋणदाता और गैर-बैंक वित्तीय संस्थान शामिल हैं।
T-Bill सेंट्रल सर्कार दुवारा अपनी पैसे की जरूरत को पूरा करने के लिए जारी किये जाते है । T-Bill में रिस्क कम होता है और साथ में return भी कम होते है । यह 3 महीने, 6 महीने और 1 वर्ष की अवधि के लिए जारी किये जाते है ।
CPs कॉर्पोरेट companies दुवारा जारी किये जाते है ।Cps mature की अवधि 1 दिन से लेकर 270 दिनों तक कहीं भी हो सकती है।CPs Return high होता है पर इसमें रिस्क भी ज्यादा होता है । तो अच्छी कंपनी के Commercial पेपर्स ही परचेस करने चाहिए ।
यह बैंक दुबारा जारी की जाती है । जिसमे कम अवधि के लिए पैसा उधर लिया जाता है और इसके बदले में High Return दिया जाता है । BA की समाप्ति अवधि 30 दिनों से लेकर 180 दिनों तक होती है।
Reserve Bank of India (RBI)
हम आशा करते है के इस आर्टिकल से आपको Money market kya hota hai ? Money market kaise kam करता है ? टाइप्स ऑफ़ मनी मार्किट ? Money market me पैसे की डील किस तरह से होती है ? Money market Instruments types kya क्या है ? Capital market vs Money Market difference , Indian Money market kya hai अदि के बारे में विस्तार से पता लग गया होगा । आप अपने सवाल और सुझाव निचे कँनेट क्र सकते है । हमारे साथ जुड़े रहने क लिए हमे सोशल मीडिया पर फॉलो करे। हम इसी प्रकार की किसी और जानकारी के साथ अगले आर्टिकल में मिलेंगे ।
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