Mutual Fund Types in Hindi :- दोस्तों हमारे Investment Plans articles सीरीज में आज हम आपके लिए Mutual Fund types के बारे में बताने आइए है । Mutual fund kya होता है ? हमने पिछले आर्टिकल में बताया था ? जब से देश में Bank FD interest rate कम हुए है तब से लोग म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करने के लिए उत्सक है । पर Mutual fund me invest करने से पहले आपको पता होना चाहिए के Mutual fund kitne parkar के होते है ? कौन सा mutual fund किसके लिए है ? All Mutual fund types के बारे में इस आर्टिकल में बताने जा रहे है । Mutual Funds कितने प्रकार के होते हैं? जानने के लिए इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक पढ़े । जाने म्यूच्यूअल फण्ड कितने प्रकार के होते है ? किसका क्या मतलब
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जब एक से ज्यादा लोग थोड़े थोड़े पैसे किसी एक Mutual fund management company को देते है । जिसके चले यह फंड करोड़ो में पहुंच जाता है । जिसके चले यह फंड मैनेजमेंट कंपनी आपने हिसाब से पैसा share market में लगाती है । बहुत से लोगों को उधार दिया गया पैसा म्यूच्यूअल फण्ड कहलाता है। म्यूच्यूअल फंड मैनेजमेंट कंपनी आपको आपका पैसा ब्याज सहित पैसा लौटाती है। एसेट मैनेजमेंट कंपनी म्यूचुअल फंड फंड के प्रबंधन के लिए अधिकृत कंपनी होती है। Mutual Fund kya hota hai in hindi me पूरी जानकारी हमने आपने पिछले आर्टिकल में दी गयी है । Mutual Fund kya hota hai ? Mutual fund investment | म्यूच्यूअल फंड कैसे काम करता है ?
म्यूचुअल फंड कई तरह के होते हैं। पहले हम कुछ मुख्य प्रकारों को देखते हैं, और फिर हम उन्हें विस्तार से समझेंगे:-
1) Equity mutual fund 2) Debt mutual fund 3) Hybrid mutual fund मुख रूप में Mutual Funds एसेट्स के हिसाब से ही categories होते है । यही मुख Mutual Fund three types के होते है ।
जैसे के आपने ऊपर बताए अनुसार आपने जाना के Mutual Fund कितनी प्रकार के है। अभी तक तो आपने केवल Mutual Fund ki typs जानी, अब हम इसको विस्तार से समझे :-
म्यूचुअल फंड जो Equity में निवेश करते हैं उन्हें Equity Mutual Fund कहा जाता है। इसमें सारा पैसा शेयर बाजार में लगाया जाता है। यह म्यूच्यूअल फण्ड भी कई प्रकार के होते है-
Small Cap Fund | Mid Cap Fund | Large Cap Fund | Sector Fund |
Diversify Equity Fund | Dividend Yield Scheme | Equity Linked Saving Scheme (ELSS) | Thematic Fund |
जब कोई म्यूचुअल फंड Small Cap Companies में निवेश करता है तो वह स्मॉल कैप फंड होता है। इसमें 5 हजार करोड़ रुपये के मार्केट कैप वाली कंपनियां आती हैं।ये कंपनियां विकास के शुरुआती चरण में हैं, इसलिए विकास की संभावना बहुत अधिक है। लेकिन इसके अलावा ऐसी कंपनियों की दिवालियेपन की दर बहुत अधिक होती है, इसलिए यह निवेश कोष बहुत अधिक रिस्क होता है।
मिड-कैपिटल फंड म्युचुअल फंड जो Mid कैप companies में निवेश करते हैं, मिड-कैप फंड कहलाते हैं। जो कंपनियां मिड कैप फंड में आती हैं, जिसका बाजार पूंजीकरण 5 हजार करोड़ से ज्यादा और 1 लाख करोड़ से कम है। इस म्यूचुअल फंड में न ज्यादा जोखिम होता है और न ही ग्रोथ ज्यादा ज्यादा होता है ।
बड़े बाजार पूंजीकरण कंपनियों में निवेश करने वाले फंड को लार्ज कैपिटल फंड कहा जाता है। बड़ी बाजार पूंजीकरण कंपनियां वे हैं जिनका बाजार पूंजीकरण 1 अरब रुपये से अधिक है। जैसे: Relince , Tata Group , TCS , HDFC Bank।
ये बिग-कैप कंपनियां बड़ी और लंबे समय से स्थापित हैं और ये बाजार में बहुत लोकप्रिय भी हैं। यहां तक कि अधिकांश लार्ज-कैप कंपनियां भी अपने उद्योगों में सबसे बड़ी कंपनियों में से एक हैं। इस में रिस्क काम होता है पर ग्रोथ भी बहुत काम होता है ।
यह फंड भी काफी जोखिम भरा होता है, क्योंकि इस फंड में आपका पैसा पूरी तरह से इसी सेक्टर पर निर्भर करता है। यदि आपका पैसा इस क्षेत्र में लगाया गया है, जिसका क्षेत्र अच्छा नहीं कर रहा है, तो आपको नुकसान हो सकता है। जैसे ICICI Prudential Technology Direct Plan Growth Mutual Fund
Diversify Equity Fund :- ऐसे फंड जो कंपनियों में अलग-अलग सेक्टर और अलग-अलग मार्केट कैपिटल में निवेश करते हैं। इस फंड में जोखिम बहुत कम होता है और आपका पैसा डायवर्सिफिकेशन में लगाया जाता है।
Dividend Yield Scheme :- इसमें कंपनी अपने प्रॉफिट का एक हिस्सा कंपनी के शेयरधारकों को देती है और इसे डिविडेंड कहते हैं और वैसे तो किसी कंपनी को डिविडेंड देने की जरूरत नहीं होती है। Dividend Yield Fund स्थाई, सुरक्षित और कम बदलने वाली कंपनियों में इनवेस्ट करते हैं, यहां से Mutual Fund को अच्छा dividend मिल जाता है।
Equity linked Saving Scheme :- यह एक टैक्स सेविंग प्लान है और आप इस प्लान में 3 साल से कम समय के लिए निवेश नहीं कर सकते हैं। ELSS में आपका पैसा 3 साल के लिए रखा जाता है। इस योजना के तहत आपको धारा 80सी के तहत 1.5 लाख तक के रिटर्न पर आयकर में छूट मिलती है।
Thematic Fund :- ये फंड themes में निवेश करते हैं।HDFC housing opportunity fund एक Thematic Fund है, जो कि housing theme में इनवेस्टमेंट करती है। इस म्यूचुअल फंड के लिए यह एक सीमेंट कंपनी, एक पेंट कंपनी, एक कंस्ट्रक्शन कंपनी आदि में निवेश करता है। और भी कई उदाहरण हैं:- E-commerce theme mutual fund
वे फंड जो डेट इंस्ट्रूमेंट्स जैसे Denture, Bond, Certificate of Deposit में निवेश करते हैं, डेट इंस्ट्रूमेंट फंड कहलाते हैं। सरकार या कंपनी एक ऋण साधन के माध्यम से पैसा उधार लेती है और फिर उसे ब्याज सहित वापस कर देती है। इसमें स्टॉक फंड के मुकाबले रिस्क कम होता है और रिटर्न भी कम।डेट इंस्ट्रूमेंट फंड चार प्रकार के होते हैं:
डेट फंड्स के मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करती है। मुद्रा बाजार के साधन वे वित्तीय साधन हैं जिनके माध्यम से कंपनियां अल्पकालिक निवेश करने के लिए निवेशकों से पैसा उधार लेती हैं। लिक्विड फंड बहुत ही कम अवधि के म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। जैसे: commercial paper, certificate of deposits, treasury bills, term deposits
बचत खातों की तुलना में लिक्विड मनी अधिक लाभदायक है और जोखिम भी बहुत कम है। यह पैसा छोटी अवधि के निवेश के लिए बहुत अच्छा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप इस फंड से अपना पैसा कभी भी निकाल सकते हैं।
बैंक FD की तरह होते हैं और FD की तरह ही कम जोखिम वाले होते हैं। यह म्यूच्यूअल फण्ड किस निश्चित समय के लिए 3-5 वर्ष के लिए Bounds में निवेश करते है । यह काम रिस्क के साथ स्टेबल return देते है ।
Gilt Fund :- वे फंड जो केवल Government securities कहलाते हैं। सरकार सरकारी प्रतिभूतियां जारी करती है, इसलिए इसमें चूक का कोई जोखिम नहीं होता है।इसमें फंड की योजना में घाटा हो या फायदा, आपको रिटर्न जरूर मिलेगा, क्योंकि किसी भी देश की सरकार से ज्यादा भरोसेमंद कोई चीज नहीं हो सकती। गोल्ड फंड दो तरह के होते हैं: शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म।
Junk Bond Scheme :- जंक बांड योजना में Corporate Bounds में निवेश किया जाता है। इसमें डिफॉल्ट का रिस्क बहुत ज्यादा होता है और प्रॉफिटेबिलिटी भी काफी ज्यादा होती है।
बहुत से Mutual Fund ऐसे होते है जो एक से ज्यादा classes में इन्वेस्ट करते है । यह Mutual Fund आपका पैसा equity और Debt में इन्वेस्ट करते है । इस mixed mutual fund को ही Hybrid Fund कहा जाता है ।
Hybrid Fund तीन तरह के होते हैं-
इस फंड में ज्यादातर निवेश यानी 60 से 90% तक Debt में और बाकी निवेश Share market में किया जाता है। इसमें ज्यादातर निवेश debt instrument में होता है, इसलिए यह फंड काफी सुरक्षित है। ये आपके लिए मंथली इनकम प्लेन के साथ साथ अंत में Share market निवेश से अच्छा return भी देता है ।
इस प्रकार के Mutual Fund पैसा 50-50% की ratio के हिसाब से Debt और Equity में निवेश करता है । जिसके चले आपका profit और रिस्क भी 50-50 होता है ।
आर्बिट्राज फंड के जरिए बदलते बाजार में निवेश किया जाता है। इसमें रिस्क बहुत ज्यादा होता है। इसमें 65% से ज्यादा फंड शेयरों में निवेश किया जाता है। आप जिस पैसे में निवेश करते हैं वह सुरक्षित है, लेकिन उस पर रिटर्न किसी न किसी तरह से है।
Structure के अनुसार, दो मुख्य प्रकार के म्युचुअल फंड हैं: Open Ended Fund & Close Ended Fund
अधिकांश म्यूचुअल फंड प्रोग्राम ओपन-एंडेड होते हैं और आप इस फंड को किसी भी समय खरीद और बेच सकते हैं। एक ओपन-एंडेड फंड कितनी भी यूनिट जारी कर सकता है। अब जब चाहे खरीदो जब चाहे बेचो कोई लिमिट नहीं है ।
बहुत कम म्यूचुअल फंड वेरिएबल कैपिटल फंड होते हैं, जहां फंड निश्चित संख्या में यूनिट के साथ आते हैं। आप इस बॉक्स को हर समय खरीद और बेच नहीं सकते। आप इस फंड में तभी निवेश कर सकते हैं जब वह फंड अपना NFO-New Fund Offer करते है ।
अगर आप इस फंड को बेचना चाहते हैं तो आपको इस फंड की मैच्योरिटी तक इंतजार करना होगा या आप इस फंड को खरीदकर एक्सचेंज पर बेच सकते हैं। ये funds share market में लिस्ट होते हैं, मगर Close Ended Fund की liquidity बहुत कम होती है इसलिए आपको इस फंड के buyers & sellers मुश्किल से मिलेंगे।
इस प्रकार के फंड का समय समाप्त होने के बाद ही आप इस फंड से पैसे निकाल सकते हैं। यदि आप फंड की अवधि समाप्त होने से पहले फंड निकालना चाहते हैं, तो शेयरों की तरह, आपकी इकाइयों को भी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया जा सकता है और आप इसकी मदद से किसी भी समय उन्हें खरीद या बेच सकते हैं।Close Ended Funds/ क्लोज्ड एंडेड स्कीम में दो प्रकार के फंड आते है।
FMP फंड में पैसा लगाने से पहले आपको एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि आपके पास इसके अलावा कोई और फंड या निवेश होना चाहिए क्योंकि अगर आप अचानक किसी तरह की समस्या में फंस जाते हैं, तो आपके पास एक और बहुत ही महत्वपूर्ण विकल्प होना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि फिक्स्ड-मैच्योरिटी फंड की एक पूर्व निर्धारित समय बाद ही निकल सकते है । इसलिए, अगर आप FMP में पैसा लगाते हैं, तो आप समय से पहले इस फंड से पैसे नहीं निकाल सकते। अगर ऐसा होता है तो आपको कुछ फीस देनी पड़ सकती है। इस प्रकार के फंड में फीस भी मामूली होती है, क्योंकि फंड मैनेजर को वास्तव में विशिष्ट उपकरणों में निवेश करना होता है।
निवेश की गई राशि को सुरक्षित रखने के लिए Capital Protection Fund का उपयोग किया जाता है, इसलिए निवेशक इस प्रकार के फंड में अपना पैसा या पैसा सुरक्षित रखने के लिए निवेश करते हैं। कैपिटल प्रोटेक्शन फंड प्रकार के फंड केवल एक निर्दिष्ट अवधि के लिए निवेश किए जाते हैं। इस फंड में ज्यादातर निवेश फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में किया जाता है और इसका एक हिस्सा शेयरों में भी लगाया जाता है, जिससे यह निवेश किया हुआ पैसा सुरक्षित हो जाता है और अच्छा मुनाफा होता है।
इसमें फंड के निवेश के संबंध में सभी निर्णय इस फंड के प्रबंधक द्वारा लिए जाते हैं। इस फंड में फंड मैनेजर सक्रिय रूप से काम कर रहा है।आप किन शेयरों में निवेश करते हैं? Actively Managed Mutual Fund manager समय समय पर इस में इनवेस्टेड पैसे को ज्यादा return के लिए नए नए shares me invest करते रहते है । इन Mutual fund manager ज्यादा समय काम करते है जिसके चाहते इन Actively Managed Mutual Fund charges भी high होते है ।
इस फंड में निवेश का प्रबंधन फंड मैनेजर द्वारा नहीं किया जाता है। Passively Managed Fund company पैसे को किसी index में लगा देती है । और आपके पैसे का Growth उस index के growth पर ही इन्वेस्ट करता है । उदहारण के लिए Bank इंडेक्स, Sensex , Nifity index fund अदि
अधिकांश म्यूचुअल फंड चार मुख्य श्रेणियों में से एक में आते हैं: money market funds, bond funds, stock funds, and target date funds। प्रत्येक प्रकार की अलग-अलग विशेषताएं, जोखिम और पुरस्कार होते हैं। मनी मार्केट फंड में अपेक्षाकृत कम जोखिम होता है।
ELSS या इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम म्यूचुअल फंड निवेश योजनाएं हैं जो आपको आयकर बचाने में मदद करती हैं। इसलिए इन्हें टैक्स सेविंग फंड भी कहा जाता है। आयकर अधिनियम, धारा 80c के तहत, करदाताओं को विशिष्ट प्रतिभूतियों में INR 1.5 लाख तक निवेश करने और इसे अपनी कर योग्य आय से कटौती के रूप में दावा करने की अनुमति देता है।
लेकिन, लॉन्ग टर्म में म्यूचुअल फंड्स में FD से ज्यादा रिटर्न देने की क्षमता होती है। इसके अतिरिक्त, FD से होने वाली आय की तुलना में म्यूचुअल फंड अत्यधिक तरल और अधिक कर कुशल हैं। तो ऊपर चर्चा किए गए सभी मानदंडों के अनुसार, म्यूचुअल फंड FD से बेहतर निवेश विकल्प हैं।
ओपन एंडेड स्कीम में निवेश को किसी भी समय withdraw kiya जा सकता है। निवेशकों को अपने निवेश पर लागू होने वाले किसी भी निकास शुल्क के बारे में पता होना चाहिए। एग्जिट चार्जेज रिडेम्पशन के समय काटे गए चार्ज होते हैं, अगर लागू हो तो ही।
सभी Mutual fund profit ka अनुपात होता है, जो कि फंड की कुल संपत्ति का प्रतिशत होता है और इसका उपयोग फंड मैनेजरों को क्षतिपूर्ति करने के लिए किया जाता है। अन्य शुल्क में कमीशन (या बिक्री शुल्क), बातचीत शुल्क, मोचन शुल्क और सेवा शुल्क शामिल हैं।
हम आशा करते है के इस आर्टिकल से आपको Mutual fund के बारे में काफी knowledge मिल गया होगा । वैसे तो Mutual Fund के बारे में last आर्टिकल में बताया था । इस आर्टिकल में हमने आपको Mutual Fund kitne parkar ke hote hai ? Mutual Fund Types in Hindi , Mutual Fund types क्या क्या है ? Small Cap Mutual Fund ,Mid Cap Mutual Fund ,Large Cap Mutual Fund , index fund , Debt fund अदि सभी funds के बारे में बेसिक जानकरी दे दी है । सभी प्रकार के Mutual Fund types के बारे में डिटेल जानकारी हम आपने आने वाले articles में देंगे । आप अपने सवाल और सुझाव निचे कमेंट कर सकते है । हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमे Social media पर फॉलो करे ।
धन्यावाद।
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Thank you for sharing Types of Mutual Funds.