Parliament Session kitne type ke hote hain | संसद सत्र क्या है | संसद के कितने सत्र होते है | Sessions of Indian Parliament | संसद सत्र क्या होता है | मानसून सत्र | शीतकालीन सत्र | बजट सत्र | Indian Parliament Session Types | parliament session in hindi | parliament session Time | Total Cost of parliament session
हेलो दोस्तों, भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और इस देश में सरकार का चयन जनता के द्वारा होता है और सरकार जनता के हित के लिए संसद के माध्यम से जनता के लिए कानून और नियम का निर्माण करती है। भारत में संसद दो प्रकार से संचालित होता है पहला राज्य सभा जिसे अपर सदन करते हैं और लोकसभा जिसे निचला सदन करते हैं। इन दोनों सदनों के द्वारा ही देश के अंदर कानून और जो भी आवश्यक नियम है। उसका निर्माण होता है और देश के अंदर उसे लागू किया जाता है। जिसका पालन प्रत्येक नागरिक को करना पड़ता है। आप लोगों ने देखा होगा कि हमारे देश में संसद में कानून के ऊपर सभी प्रकार के सांसदों के द्वारा विचार रखे जाते हैं, लेकिन कभी आपने जानने की कोशिश की है कि साल में संसद कितनी बार संचालित होता है? Parliament Session kitne type ke hote hain ? अगर उसे संचालित किया जाता है, तो उसमें कुल खर्च कितना आता है? अगर आप इसके बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं है मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि पोस्ट को आखिर तक पढ़े आइए जाने-
भारत में संसद देश की सर्वोच्च विधायी निकाय है, जिसमें राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा सम्मिलित है और इन दोनों सदनों में सांसदों के द्वारा जनता से जुड़े हुए अहम मसलों और कानूनों पर बहस होता है। उसके बाद ही कोई कानून पारित होता इसके लिए संसद में बहस होता है और जिस अवधि के दौरान लोकसभा और राज्यसभा (जिन्हें संसद का सदन कहा जाता है) के सदस्य अपने काम-काज का संचालन करने के लिए बैठक करते हैं उसे हम लोग सत्र कहते हैं।
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साल में तीन बार संसद संचालित किया जाता है जिसका विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं जो इस प्रकार है-
फरवरी से मई तक – बजट सत्र के दौरान सरकार दो प्रकार के बजट पेश करती है पहला आम बजट और दूसरा रेल बजट को जब दोनों प्रकार के बजट संसद में पेश किए जाते हैं तो उस पर बहस किया जाएगा और उसके बाद ही सरकार बजट को पारित करवाती है।
जुलाई से सितंबर तक: मानसून सत्र के बजट में सरकार जनता से जुड़े हुए हैं मुद्दे पर बहस करती है और विपक्षी पार्टियां सरकार मानसून सत्र में जनता से जुड़े हुए हैं मुद्दों को उठाएगी और उन पर सरकार से जवाब मांगेगी।
नवंबर से दिसंबर तक: शीतकालीन सत्र में सरकार कोई भी अहम बिल लेकर संसद में आ सकती है और सरकार की कोशिश होगी कि वह ऐसे BILL को आसानी से यहां पर पास करवा सके।
साल में 100 दिन संसद की कार्रवाई संचालित की जाती है और प्रतिवर्ष संसद को चलाने के लिए 600 करोड़ का बजट सरकार की तरफ से निर्धारित होता है। ऐसे में अगर किसी दिन भी संसद को स्थगित किया गया तो 1 दिन में सरकार को 6 करोड़ का नुकसान होगा। इसलिए संसद को चलना आवश्यक है लेकिन कई बार ऐसा होता है कि विपक्षी पार्टियां इस प्रकार का हंगामा खड़ा कर देती है कि मजबूर होकर लोकसभा के स्पीकर को संसद को स्थगित करना पड़ता है। जिसके कारण देश का पैसा यहां पर बर्बाद होता है क्योंकि संसद का निर्माण जनता के हित से जुड़े हुए मामलों पर बहस करने के लिए बनाया गया है ना कि उसे बंद रखने के लिए।
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भारतीय संसद के लोकसभा की वर्तमान सदस्य संख्या 545 है जिसमें एंग्लो-इंडियन समुदाय के 2 नामांकित सदस्य भी शामिल हैं। जबकि राज्यसभा की वर्तमान सदस्य संख्या 245 है जिसमें राष्ट्रपति द्वारा विज्ञान, संस्कृति, कला और इतिहास जैसे विभिन्न क्षेत्रों की विशेषज्ञता वाले 12 नामांकित सदस्य भी शामिल हैं। मिलाकर भारत में 790 संसद है।
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जब संसद का सत्र चालू होता है तो 1 दिन में है सांसद 6 घंटे संचालित की जाती है। ऐसे में अगर 1 मिनट भी संसद का कार्य बाधित हो तो आपके ₹250000 यहां पर बर्बाद होंगे और सारे पैसे हमारे जेब से आते हैं जो हम सरकार को टैक्स देते हैं इसलिए संसद का चलना आवश्यक है।
भारत सरकार ने सांसदों की वर्तमान प्रतिमाह सैलरी रु.50000 से बढाकर रु.1 लाख, निर्वाचन क्षेत्र के लिए भत्ता रुपये 45,000 से बढाकर रुपये 90,000, सचिवालय सहायता और ऑफिस के खर्चे के लिए भत्ता रुपये 45,000 से बढाकर रुपये 90,000 कर दिया गया है। इसके अलावा फ्री आवास, गाड़ी के लिए फ्री पेट्रोल/डीजल, हेल्थ सुविधाएँ देती है. इस प्रकार सांसदों के ऊपर भारत सरकार प्रति माह लगभग 2.7 लाख रूपए खर्च करती है। इसके अलावा सांसदों को साल भर में 34 बार हवाई यात्रा आसानी से कर सकते हैं इसके अलावा सड़क मार्ग और रेलवे से वह कितनी बार 20 साल में कहीं भी जा सकते हैं उसका पूरा खर्चा सरकार अपनी जेब से देगी।
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बजट सत्र (फरवरी से मई)
मानसून चक्र (जुलाई-सितंबर)
शीतकालीन सत्र (नवंबर से दिसंबर)
भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो कक्ष होते हैं: लोकसभा (पीपुल्स असेंबली) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद)। राष्ट्रपति के पास संसद के किसी भी सदन को बुलाने या स्थगित करने या प्रतिनिधि सभा को भंग करने की शक्ति है।
लोक सभा (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) को पीपुल्स असेंबली कहा जाता है, जबकि राज्यसभा (हाउस ऑफ नोटेबल्स) को काउंसिल ऑफ स्टेट्स कहा जाता है। 1954 में भारतीय संसद द्वारा “लोकसभा” और “राज्य सभा” नामों को अपनाया गया था। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 79-122 भारतीय संसद से संबंधित है।
भारतीय संसद की प्रथम बैठक 13 मई 1952 में हुई।
600 करोड़ का बजट
6 करोड़
हम आशा करते है के इस आर्टिकल से आपको देश में चलने wale संसद की करवाई के बारे में अच्छी जानकारी मिला होगा। यह पर हमने सांसद कैसे काम करती है? सांसद के कितने सत्र होते है? सांसद में एक दिन में कितना खर्च आता है ? अगर सांसद न चले तो कितना नुकसान होता है ? अगर इसके इलावा आपका कोई अन्य सवाल या सुझाव है तो आप निचे कमेंट कर sakte है । हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमे सोशल मीडिया पर फॉलो करे। धन्यावाद।
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