Patni ka Pti ki property me adhikar :- जैसा कि आप लोग जानते हैं कि आज की तारीख में पति पत्नी का रिश्ता सबसे मजबूत और गहरा माना जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि पति-पत्नी बिल्कुल ऐसे हैं जैसे रेलगाड़ी के डिब्बे और इंजन एक दूसरे के बिना दोनों का जीवन अधूरा सा होता है। ऐसे में अगर आप एक पत्नी है तो आपको क्या बात मालूम होना चाहिए कि आपके पति की संपत्ति में आपका अधिकार कितना है। आपके पति के बैंक अकाउंट में जितना पैसा है उसमें आप का क्या अधिकार है। अगर आप इन अधिकारों के बारे में नहीं जानती हैं तो मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि इस पोस्ट को अधिक तक पढ़े आइए जाने-
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पति की संपत्ति में पत्नी का अधिकार होता है, लेकिन एक बात का ध्यान देना होगा कि अगर पति ने अपनी वसीयत में पत्नी का नाम अगर नहीं लिखा है, तो पत्नी पति के संपत्ति पर अधिकार नहीं जमा सकती है लेकिन पार्टी के खानदानी पर संपत्ति पर पर उसका अधिकार है। अगर पति अपने पत्नी को खानदानी संपत्ति देने से मना कर रहा है तो पत्नी अपने पति के खिलाफ कोर्ट में जा सकती है। उसे अपने ससुराल में रहना होगा तभी वह अपने पति के खानदानी संपत्ति पर अपना अधिकार जमा पाएगी।
तलाक होने की स्थिति में पत्नी को पति के संपत्ति में अधिकार नहीं मिल सकता है? हां, अगर पत्नी के नाम पर कोई संपत्ति पति ने किया है तो उस संपत्ति पर उसका अधिकार हो सकता है। इसके अलावा अगर पति ने पत्नी के साथ मिलकर किसी ज्वाइंट प्रॉपर्टी में निवेश किया है तो उसमें पैसा बराबर बैठेगा लेकिन अगर पति के नाम पर संपत्ति है तो ऐसे में पत्नी अपने पति से संपत्ति की मांग नहीं कर सकती है। कि कुछ लाभ होने के बाद उसे हर महीने एक गुजारा भत्ता पति के द्वारा दिया जा सकता है गुजारा भत्ता पति जितनी कमाई करता है उसका 25% देना पड़ता है।
Husband अपने पत्नी को संपत्ति देने से मना कर सकता है, क्योंकि पति के पास किसके अधिकार होते हैं। क्योंकि अगर पूरा संपति पति के नाम पर है तो ऐसी स्थिति में पत्नी अपने पति से संपत्ति के लिए मांग नहीं कर सकती है। इसके अलावा पति अगर जिंदा है तो ऐसे स्थिति में पति के संपत्ति पर पत्नी का कानूनी अधिकार नहीं होता है इसलिए हम कह सकते हैं कि पति पत्नी को संपत्ति देने से मना कर सकता है।
पति ने अगर अपने पूरे संपति का वसीयत तो दूसरे व्यक्ति के नाम पर कर दिया है, तो ऐसे में पत्नी को पति के संपत्ति का हिस्सा पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने पड़ेगी। जिस में काफी समय लग सकता है क्योंकि अगर कोई संपत्ति का वसीयत कानूनी तौर पर कर दिया गया है तो कोर्ट में इस बात को साबित करना काफी मुश्किल होगा। कि जो वसीयत की गई है वह किसी दबाव में या धोखे से की गई है ऐसे में जब तक बात कोर्ट में साबित नहीं होती है तब तक आपको अपने पति के संपत्ति में हिस्सा लेने में काफी दिक्कत और परेशानी आ सकती है।
अगर पति स्वयं मेहनत कर कर पैसे कमा रहा है तो उस पैसे पर सिर्फ पति का अधिकार है पत्नी का कुछ भी नहीं है। अगर पति अपने पैसे पत्नी को दे देता है तो या उसके ऊपर निर्भर करता है कि वह पैसे अपने पत्नी को देगा या नहीं। इसके लिए पत्नी कोर्ट में अपने पति के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कर सकती है क्योंकि अगर कोई व्यक्ति स्वयं के द्वारा मेहनत करके पैसे कमा रहा है तो उस पैसे पर उसका ही अधिकार है ना कि उसके पत्नी का। इसके अलावा अगर पति का कोई पुश्तैनी संपत्ति है तो ऐसे में अगर पति की मृत्यु हो जाती है उस स्थिति में उस पार पत्नी का अधिकार होगा लेकिन जब तक पति जीवित है उस संपत्ति पर पत्नी का कोई भी अधिकार नहीं है।
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पति का बैंक बैलेंस अगर अच्छा खासा है तो पत्नी उसके बैंक बैलेंस मैं अपना अधिकार नहीं जमा सकती है। क्योंकि जो भी पैसे वह उसके पति के यहां अगर बैंक के अकाउंट में पति और पत्नी दोनों का नाम है तो ऐसी स्थिति में पत्नी उस पैसे पर अधिकार जमाने के लिए कानूनी सहायता ले सकती है। जॉइंट अकाउंट होने से नॉमिनी के तौर पर अपने पत्नी का नाम जरूर दिया होगा, ताकि उसकी मृत्यु के बाद उसे अकाउंट का पूरा पैसा उसके पत्नी को मिल सके। इसलिए हम कह सकते हैं कि बैंक बैलेंस में पत्नी का अधिकार तभी हो सकता है जब उसका नाम Nominee के रूप में उस अकाउंट में होगा।
भारतीय हिंदू सारी एक्ट के अनुसार अगर कोई भी हिंदू आदमी अगर अपनी पहली पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरी शादी कर लेता है तो उसके पुश्तैनी संपत्ति में पहले पत्नी का ही अधिकार रहेगा। क्योंकि कानून की तरफ से कोई भी व्यक्ति अगर दूसरी शादी करता है और अगर उसका अपनी पहली पत्नी के साथ तलाक नहीं हुआ है तो ऐसे ही सिटी में कानून की नजर में पहली पत्नी ही उसकी कानूनी पत्नी होगी और दूसरी पत्नी को कानून की तरफ से कोई भी मान्यता नहीं मिलेगा। ना ही वह पत्नी उसके संपत्ति में अधिकार जमा पाएगी इसलिए हम कह सकते हैं कि अगर कोई पति दूसरी शादी कर लेता भी है तो उसके संपत्ति में पत्नी को अधिकार जरूर मिलेगा।
एक पत्नी अपने पति की संपत्ति के अन्य हकदार वारिसों की तरह समान हिस्से की हकदार है। यदि कोई हिस्सेदार नहीं हैं, तो उसे पूरी संपत्ति पर पूरा अधिकार है। एक विवाहित हिंदू महिला अपनी संपत्ति की एकमात्र मालिक और प्रबंधक होती है, चाहे अर्जित, विरासत में मिली या उपहार में दी गई हो।
हिंदू अविभाजित परिवार कानूनों के अनुसार, पैतृक संपत्ति केवल सहदायिकों की होती है। कानून के अनुसार, पत्नी को सहदायिकों में नहीं गिना जाता है। हालांकि, अगर पत्नी को कानूनी रूप से पति से संपत्ति विरासत में मिलती है, तो वह पति की पैतृक संपत्ति पर दावा कर सकती है।
भारतीय कानून के अनुसार, पति के जीवनकाल में पत्नी का अपने पति की संपत्ति पर कोई कानूनी दावा नहीं होगा, चाहे वह स्वयं अर्जित की गई हो या विरासत में मिली हो।
पत्नी का अपने जीवनकाल में पति की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं होता है। यदि वह भुगतान के लिए लंबित होने पर अदालत के आदेश द्वारा पारित रखरखाव राशि के लिए शुल्क मांगने के अलावा किसी अन्य कारण से संपत्ति बेचने का इरादा रखता है तो वह उसके खिलाफ रोक नहीं मांग सकती है।
जब तक अदालत ने कानूनी रूप से एक जोड़े को ‘तलाकशुदा‘ घोषित नहीं किया है, पत्नी को पति का कानूनी जीवनसाथी माना जाता है। नतीजतन, जब तक तलाक की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो जाती, तब तक पत्नी का अपने पति की संपत्ति पर अधिकार होता है और इसलिए उनके बच्चे भी।
हां, पति पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति के स्वामित्व का दावा कर सकता है, बशर्ते संपत्ति खरीदने के लिए इस्तेमाल किया गया धन ज्ञात स्रोतों से हो और कानूनी हो।
हिंदू कानून के तहत पत्नी को अपने पति की मृत्यु के बाद ही उसकी संपत्ति का वारिस करने का अधिकार है यदि वह मर जाता है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 एक मरते हुए पुरुष के कानूनी उत्तराधिकारियों का वर्णन करता है और पत्नी को कक्षा I के वारिसों में शामिल किया गया है, और वह अन्य कानूनी उत्तराधिकारियों के साथ समान रूप से विरासत में मिली है।
हां, आप उसके साथ जाने और रहने के लिए स्वतंत्र हैं और वे आपको वैवाहिक घर में प्रवेश से मना नहीं कर सकते। हालाँकि, यदि पति आपको घर में अनुमति नहीं देता है, तो पारिवारिक न्यायालय के समक्ष हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत एक आवेदन दायर करके वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए एक याचिका दायर करें।
सामान्य तौर पर, पत्नी को उसके वेतन का एक तिहाई मिलता है; लेकिन यह बदल सकता है। गुजारा भत्ता पूर्ण और अंतिम समझौता है; यह एकमुश्त राशि है। भरण-पोषण अंतरिम भरण-पोषण हो सकता है, जो मामले के दौरान पत्नी को दी जाने वाली राशि है।
भारतीय परिदृश्य में, कुल मिलाकर तलाक पर पति-पत्नी के बीच संपत्ति का वितरण स्वामित्व शीर्षक पर आधारित होता है। लेकिन अगर पति या पत्नी विवादित संपत्ति खरीदने में अपने वित्तीय योगदान का सबूत देने में सक्षम हैं तो संपत्ति के शेयरों को व्यक्तिगत इक्विटी पर विभाजित किया जाएगा।
हम आशा करते है के इस आर्टिकल से आपको Patni ka Pti ki property me adhikar क्या क्या है के बारे में अच्छी जानकारी मिल गया होगा । यह पर हमने Wife rights on husband property , Husband ke bank balance par wife ka adhikar , husband salary or income par wife ka adhikar क्या क्या आदि के बारे में कम्पलीट जानकरी दी है । आगरा अब भी आपका कोई सवाल या सुझाव है तो आप निचे कमेंट कर सकते है । हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमे सोशल मीडिया पर फॉलो करे । धन्यावाद।
सतिनाम सिंह पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर है। Web developer काम के साथ इनको पढ़ने , लिखने का शौक ह। इसी ज्ञान को दुसरो के साथ बाटने के लिए ही मैंने इस हिंदी शोभा ब्लॉग की स्थापना की है। देश के लोगो को सरल भाषा में पूरी जानकारी देना ही मेरा लक्ष्य है।
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