QUAD Group in hindi | क्वाड फुल फॉर्म | QUAD Explained: क्वाड कब, कैसे और किसलिए बना? QUAD Group kya hai ? Purpose of QUAD
हाल के दिनों में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान की राजधानी टोक्यो गए थे। जहां पर इस संगठन के नेताओं की एक बैठक थी जहां पर विभिन्न मुद्दे पर चर्चा हुई और 2022 में इस संगठन की चर्चा पूरे विश्व में हो रही है। और बहुत ही कम समय में इसकी पहचान एक प्रभावशाली संगठन के तौर पर की जाने लगी है। आज की तारीख में इसे एशिया का नाटो समूह कहा जाता है। बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा QUAD को अनेकों प्रकार के महत्वपूर्ण कार्य करने हैं जिसकी जरूरत अंतरराष्ट्रीय जगत को सदियों से है। अब आप लोगों के मन में सवाल आएगा कि आखिर में QUAD क्या है और इसकी स्थापना क्यों की गई? आज की तारीख में इसके कितने देश सदस्य हैं? अगर आप भी QUAD Group kya hai के बारे में जानना चाहते हैं तो मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि पोस्ट को आखिर तक पढ़े जाने-
OUAD Full Form In English – ‘Quadrilateral Security Dialogue’ (QSD)
OUAD Full Form In Hindi- क्वाड (QUAD) की फुल फॉर्म हिंदी में ‘चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता’ है
QUAD का पूरा नाम क्वाडिलैटरल सिक्योरिटी डॉयलॉग। आज की तारीख में इसके कुल 4 सदस्य देश हैं भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका। इस संस्था की सबसे बड़ी खासियत है कि इसका निर्माण चीन के बढ़ते हुए प्रभाव को एशिया में कम करने के उद्देश्य किया गया है। क्योंकि जिस प्रकार की हिंद महासागर में अपनी दादागिरी उस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए वह तेजी से काम कर रहा है उसमें रुकावट पैदा करना है। इस कड़ी में भारत जापान ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने मिलकर साझ एजेंडा तय किया है। जिसके मुताबिक हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में शांति स्थापित करना है और उसके यथास्थिति को बनाए रखना है। इसका पहला शिखर सम्मेलन 2007 में किया गया था।
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इसकी स्थापना 2007 में जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो अबेउपराष्ट्रपति डिक चेनी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री जॉन हावर्ड और भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के द्वारा शुरू किया गया था। लेकिन 2008 में ऑस्ट्रेलिया इस संगठन से बाहर हो गया उसके बाद एक समय ऐसा लगा कि यह संगठन पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा।
सबसे बड़ी बात है कि जब इसकी स्थापना की जा रही थी तो उस समय और उसने इसका विरोध किया था इसके बावजूद भी इसकी स्थापना की गई। इसके बाद 2017 में भारत जापान और अमेरिका ने मिलकर इस पर सक्रिय रूप से काम करना शुरू किया। उसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने दोबारा से इस संगठन में शामिल होने का फैसला किया। इसका मकसद सामरिक रूप से अहम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी के बीच प्रमुख समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के लिए एक नई रणनीति विकसित करना था।
QUAD बनाने का प्रमुख मकसद है हिंद प्रशांत महासागर की यथास्थिति को बनाए रखना। जैसा कि आप जानते हैं कि चीन इस क्षेत्र में आए दिन कोई न कोई घुसपैठ और जगह को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश करते रहता है। जिस को ध्यान में रखकर इस संगठन का निर्माण किया गया है ताकि चीन का इस इलाके में बढ़ते हुए प्रभुत्व को रोका जा सके। और उस पर लगाम लगाने के लिए एक साझा रणनीति बनाई जा सके। ताकि चीन के बढ़ते हुए कदमों को पीछे धकेला जा सके इसके अलावा सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा, मानवीय सहायता, आपदा राहत, जलवायु परिवर्तन, महामारी और शिक्षा जैसे अन्य वैश्विक मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित भी करना है।
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जब इस संगठन की स्थापना की जा रही थी तभी से चीन इसका विरोध कर रहा है। उसका मानना है कि चीन के बढ़ते हुए प्रभुत्व को रोकने के लिए इस संगठन की स्थापना की गई है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बयान दिया कि जिस प्रकार के रूप में नाटो के विस्तार वादी नीति के कारण रूस और यूक्रेन के बीच में भीषण युद्ध हो रहा है। ठीक उसी प्रकार इस संस्था का निर्माण कर एशिया में भी उस प्रकार के हालात का निर्माण अमेरिका और इस संस्था के सदस्य देश कर रहे हैं।
इसके अलावा चीन को इस बात का भी डर है कि अगर यह संगठन इसी तरह आगे बढ़ता रहा, तो आने वाले दिनों में इसमें एशिया के कई और देश भी शामिल हो सकते हैं।
जो चीन के दुश्मन है जैसे इंडोनेशिया, वियतनाम, ताइवान जैसे देश उनके साथ चीन का संबंध काफी खराब है और चीन समय-समय पर इन देशों में घुसपैठ करने के लिए कोशिश करता है। विशेष तौर पर ताइवान में इसलिए चीन को इस बात का डर है कि अगर ऐसे देश इस संगठन में शामिल हो गए तो इन देशों से लड़ पाना उसके लिए असंभव हो जाएगा।
भारत के दृष्टिकोण से या संगठन काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि जिस प्रकार चीन अपनी विस्तार बाद नीति के कारण भारत के कुछ भूभाग पर अपना अवैध कब्जा करने की लगातार कोशिशें कर रहा है। जिसका परिणाम है कि भारत और चीन के बीच में हाल के दिनों में सैन्य टकराव जैसे हालात बन चुके हैं। ऐसे में भारत अगर इस संगठन को मजबूत करता है तो चीन को काउंटर करने में भारत को आसानी होगी। क्योंकि इस संगठन में अधिकांश वही देश है जो चीन के खिलाफ है। ऐसे में अगर QUAD संगठन मजबूत होता है तो भारत को इस संगठन के सदस्य देशों मदद मिल सकेगी और चीन को नियंत्रित करने में आसानी होगी।
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इंडो पेसिफिक रीजन 14 देशों को मिलाकर बनाया गया है ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, बर्मा, भारत, इंडोनेशिया, जापान, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, ताइवान, थाईलैंड और वियतनाम. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र वैश्विक अर्थव्यवस्था के सबसे महान वर्तमान और आर्थिक रूप से उभरता हुआ क्षेत्र है। इसी क्षेत्र में चीन अपना प्रभुत्व स्थापित करने की लगातार कोशिश कर रहा है।
पिछले साल अक्टूबर में ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में इंडो पेसिफिक इकोनामिक फ्रेमवर्क प्रस्ताव के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के द्वारा कहा गया कि अमेरिका, भारत और प्रशांत क्षेत्र के सभी सदस्य देशों के साथ मिलकर एक भागीदार के तौर पर काम करेगा। ताकि इस क्षेत्र को और भी अधिक समृद्ध और मजबूत किया जा सके (व्यापर सुविधा), डिजिटल इकनॉमिक्स और टेक्नोलॉजी के स्टैंडर्ड, आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन, डीकार्बोनाइजेशन और स्वच्छ ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर, वर्कर स्टैंडर्ड और साझा हितों के अन्य क्षेत्रों के आसपास हमारे साझा उद्देश्यों को परिभाषित करेगा”
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Quadrilateral Security Dialogue (QSD, जिसे QUAD के रूप में भी जाना जाता है)
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इसके कुल 4 सदस्य देश हैं भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका।
2007 में
नवंबर 2017 में, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान ने क्वाड (QUAD) स्थापित करने के लिए लंबित प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया। इसका उद्देश्य रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती चीनी सैन्य उपस्थिति के बीच प्रमुख समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के लिए एक नई रणनीति विकसित करना था।
हम आशा करते हैke इस आर्टिकल से आपको QUAD Group kya hai ? QUAD बनाने की जरूरत क्यों पड़ी ? चीन को Quad से क्या डर है ? अपने इंडिया के लिए Quad कितना महत्पूर्ण है ? अदि के बारे में विस्तार से बताया है। अगर आपका इसके इलावा कोई अन्य सवाल या सुझाव है तो आप निचे कमेंट कर सकते है। हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमे सोशल मीडिया पर फॉलो करे । धन्यावाद।
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