क्या है इस पोस्ट में ?
Police FIR Na Likhe To Kya Kare :- हेलो दोस्तों, वैसे तो Police लोगो की सेवा करने के लिए बनाई गयी है , पर अगर Police ही आपकी शकायत दर्ज करने से मना कर दे तो क्या करे ? जैसा कि हमें पता होना चाहिए कि किसी भी राज्य में सभी जगहों को थाना क्षेत्र में बांटा गया है। जब किसी व्यक्ति के साथ कोई अपराध होता है तो उसकी शिकायत उस थाने के प्रभारी थाने में की जाती है। पर पर यह सबसे महत्वपूर्ण है इस एरिया में आपके साथ अपराध हुआ है तो उसी क्षेत्र में पड़ने वाले थाना में करना होता है । हर थाने की हद होती है और वह थाना केवल उसकी हद के अंदर के case देखता है । तो अगर Police FIR register krne se mna kre तो क्या करे ? Police FIR Na Likhe To Kya Kare complaint कहां करे ? के बारे में पूरी जानकारी इस आर्टिकल में देने जा रहे है ।
कैसे करें ऐसी शिकायत – How to register FIR
पुलिस थाना में थाना मुन्सी या प्रभारी के सामने ही अपनी FIR दर्ज करे । इस FIR आवेदन की दो प्रतियां होनी चाहिए। एक प्रति जिम्मेदार पुलिस थाने में जमा करनी होगी और दूसरी प्रति प्राप्त करनी होगी। पर हाँ इस FIR पर थाने की मोहर और हस्ताक्षर करवाने होंगे ।
पहला तो यह कि किसी पीड़ित को लिखित में इस तरह का अनुरोध करने की जरूरत नहीं है बल्कि पुलिस वाला खुद लिखता है। पर कोई भी Police complaint लिखित में ही करनी चाहिए फिर चाहे आप लिखो या थाने का मुन्सी।
इस रिसेप्शन को प्राप्त करने के बाद, पुलिस का यह कर्तव्य है कि वह मामले की जांच करे और इसकी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, यदि मामला ज्ञात हो, तो दंड प्रक्रिया संहिता के अनुच्छेद 154 के तहत FIR दर्ज करना होता है ।
कई बार ऐसा होता है कि गंभीर से गंभीर मामलों में भी पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं करती है। यह पुलिस द्वारा भ्रष्टाचार के लिए या अपने थाने का अच्छा रिकॉर्ड रखने के लिए किया जाता है। हर दिन आप देखते हैं कि लोग अभी भी एफआईआर करने को लेकर चिंतित हैं।
पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की है। कोई भी Police Station आपको Complaint करने के लिए मना नहीं कर सकता । अगर फिर भी कोई Police थाने में आपको FIR दर्ज करने के लिए मना किया जाता है तो क्या करे ?
What to do if Police not registered FIR ?
जब Police FIR Na Likhe To Kya Kare
कभी-कभी यह भी देखा जाता है कि पुलिस द्वारा अनुरोध का जवाब नहीं दिया जाता है और इसके बजाय पीड़ित को फटकार लगाई जाती है और थाने से निकाल दिया जाता है। इस मामले में, कानून में किसी ने पीड़ित व्यक्ति को अन्य अधिकार प्रदान किए हैं। इसके लिए आप Police ki complaint भी कर सकते है ।

SSP को शिकायत करें
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक मामले में कहा कि यदि शिकायत जिले के केंद्र प्रभारी द्वारा दर्ज नहीं की जाती है, तो ऐसे मामले में शिकायतकर्ता को इस मामले के बारे में अवगत कराने के लिए अपनी शिकायत शहर के पुलिस निदेशक के पास दर्ज करनी चाहिए ।
जब आप पुलिस अधीक्षक के समक्ष उपस्थित हों तो अपने शिकायत अनुरोध की 3 प्रतियाँ लाएँ:-
- एक प्रति पुलिस अधीक्षक के पास दाखिल की जाएगी
- दूसरी प्रति अधीक्षक कार्यालय में दाखिल की जाएगी
- तीसरी प्रति शिकायतकर्ता को प्राप्त होगी और एसपी कार्यालय की मुहर पर हस्ताक्षर होना चाहिए।
आमतौर पर यह देखा जाता है कि जब भी उसके साथ हुई घटना की सूचना पुलिस निदेशक को दी जाती है, तो पुलिस निदेशक जिले के थाना प्रभारी को मामले पर कार्रवाई करने का निर्देश देता है और प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देता है। ऐसे कई मामले हैं जहां पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में भी व्यक्ति की सुनवाई नहीं होती है और उनकी शिकायत में प्राथमिकी दर्ज नहीं होती है. ऐसी स्थिति में भी व्यक्ति के पास कानूनी अधिकार होते हैं।
एसपी ने FIR नहीं दर्ज की तो क्या करें
यदि पुलिस अधीक्षक शिकायत के लिए आवेदन प्राप्त करने से इनकार करता है या निर्धारित समय के भीतर आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं करता है, तो आवेदन खारिज कर दिया जाता है, और ऐसे मामले में अदालत में अपील की जाती है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) यहां किसी भी पीड़ित को अधिकार देती है।
इस अनुच्छेद के अनुसार, यदि संबंधित थाने का अधिकारी और पुलिस प्रमुख कार्रवाई नहीं करता है, तो उस थाने के मामले के लिए नियुक्त किए गए प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के समक्ष एक आवेदन किया जाएगा। क्षेत्र, लेकिन प्रमाणित मेल द्वारा ऐसा अनुरोध प्रस्तुत करने के बाद आपको शिकायत अनुरोध की एक प्रति एसपी कार्यालय को भेजनी चाहिए । आवेदन पत्र IPC 156 (3) उस प्रति पर डाक से भेजी गई आवेदन रसीद के साथ जमा किया जाना चाहिए।
मजिस्ट्रेट भी मना कर दें तो क्या करें
यदि मजिस्ट्रेट का न्यायाधीश पहली बार में इस तरह के एक आवेदन को खारिज कर देता है और FIR दर्ज करने से इनकार करता है, तो उस मामले में सत्र न्यायालय के समक्ष समीक्षा के लिए फिर से अपील दर्ज किया जा सकता है। सत्र न्यायालय ऐसे मामले को देखता है और देखता है कि क्या अन्याय हुआ है। सबूतों के होते हुए भी एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही है यह सब देखने के बाद अगर मामला बनता है तब सत्र न्यायालय आदेश को पलट देता है। अगर मामला नहीं बनता है तो सत्र न्यायालय भी ऐसे पुनरीक्षण को निरस्त कर देता है।
उक्त याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी दायर की जा सकती है, जिससे याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट में अपील दर्ज कर सकता है कि मजिस्ट्रेट और सत्र न्यायालय दोनों ने उसके किसी भी मामले की सुनवाई नहीं की है और मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
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धारा 156 (3) क्या है – IPC Section 156(3)
अगर Police आपको FIR दर्ज नहीं करती तो IPC Section 156(3) के अंतर्गत आप प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के समक्ष अपनी शिकायत कर सकते है । वह किसी भी मामले में पुलिस को एफआईआर दर्ज करने हेतु आदेश कर सकता है। ऐसा आवेदन पुलिस को पार्टी बनाकर प्रथम श्रेणी कोर्ट में प्रस्तुत किया जाता है। अदालत सबूतों की जांच करती है, गवाहों को देखती है, और फिर मामले की प्राथमिकी की तलाशी और उसके बाद की जांच का आदेश देती है। यदि न्यायाधीश ऐसा आदेश जारी करता है, तो संबंधित सक्षम पुलिस स्टेशन मामले पर प्राथमिकी दर्ज करता है और फिर मामले की जांच शुरू करता है।
ऑनलाइन फिर भी कर सकते है – e FIR
यदि पुलिस FIR दर्ज नहीं करती है तो पीड़ित अपनी शिकायत ऑनलाइन भी दर्ज करा सकते है। अपनी रिपोर्ट ऑनलाइन दर्ज करने के लिए आपको अपने क्षेत्र की पुलिस की वेबसाइट पर जाना होगा। ई-एफआईआर (e-FIR) आवेदन के माध्यम से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में FIR दर्ज की जा सकती है। ऐसा करने के लिए, आपको इस एप्लिकेशन को इंस्टॉल करना होगा, जिसके बाद आप आसानी से अपनी प्राथमिकी दर्ज कर सकते हैं। जब कोई online FIR register होता है तो यह उससे सम्बंदित थाने को चली जाती है । जिस पर आगे की करवाई होती है ।
क्या सच में Supreme Court FIR दर्ज करने के लिए आदेश देती है
बहुत बार लोग अपनी पावर से अपने खिलाफ FIR दर्ज नहीं होने देते । Police station से लेकर जब मजिस्ट्रेट तक FIR complaint register करने से मना कर देते है तो Supreme Court आपने तक ऐसे मामलो को आपने लेवल पर चेक करती है ।
जैसे के हमने राम रहीम (Ram Rahim Case) का केस देखा है। जिसमें पुलिस, एक प्रथम श्रेणी न्यायिक न्यायाधीश, ने तीन अदालती सत्रों में बलात्कार की शिकायत दर्ज नहीं की।
अंत शिकायत लगातार सुप्रीम कोर्ट द्वारा दायर की गई और सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेश दिया गया कि ऐसा करो। प्राथमिकी में शिकायत दर्ज कर मामला दर्ज किया जाना चाहिए और जांच शुरू की जानी चाहिए।
निष्कर्ष
हम आशा करते है इस आर्टिकल से अप्प अपने हक्क के प्रति जागरूक होए होंगे के Police के FIR register करने से इंकार करने पर आपको निराश होने की जरूरत नहीं है । आपके पास आगे के भी बहुत से ऑप्शन है । तो अगर Police FIR register na kre to kya kre ? FIR register na krne ki complaint किसे करे ? IPC Section 153(3) क्या है ? FIR kaise drj kre ? Police FIR Na Likhe To Kya Kare अदि के बारे में पूरी जानकारी मिल गया है । आप अपने सवाल और सुझाव निचे कमेंट कर सकते है । हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमे सोशल मीडिया पर फॉलो करे ।
धन्यावाद।
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सतिनाम सिंह पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर है। Web developer काम के साथ इनको पढ़ने , लिखने का शौक ह। इसी ज्ञान को दुसरो के साथ बाटने के लिए ही मैंने इस हिंदी शोभा ब्लॉग की स्थापना की है। देश के लोगो को सरल भाषा में पूरी जानकारी देना ही मेरा लक्ष्य है।
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