जब कभी महाभारत की बात होती है तो अभिमन्यु का नाम आपने आप जुबान पर आ जाता है । छोटी आयु में वह दुसमन से बिना डरे लड़ा । तो आइए शुरू करते है वीर योद्धा की कहानी ।
अभिमन्यु अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र थे। जब सुभद्रा अभिमन्यु के साथ गर्भवती थी, तो पांडव भाइयों में से एक अर्जुन ने अपनी पत्नी को चक्रव्यूह युद्ध तकनीक के बारे में बताने का फैसला किया।
अर्जुन ने सुभद्रा को शत्रु को फंसाने के लिए सशस्त्र सैनिकों द्वारा गठित एक भूलभुलैया चक्र चक्रव्यूह को तोड़ने का तरीका बताया। अभिमन्यु ने सुभद्रा के गर्भ में से पूरी प्रक्रिया को सुना और याद किया।
लेकिन जब तक अर्जुन ने उसे चक्रव्यूह से बाहर आने के बारे में बताया, तब तक सुभद्रा सो चुकी थी। परिणामस्वरूप, अभिमन्यु ने केवल भूलभुलैया में प्रवेश करना सीखा, लेकिन यह नहीं जान पाया कि इससे कैसे बाहर आना है। जीवन में बाद में, जब युवा अभिमन्यु महाभारत के महान कुरुक्षेत्र युद्ध में लड़े, तो उन्हें दुश्मन के चक्रव्यूह का सामना करना पड़ा। वह गठन में शामिल हो सकता है, लेकिन बाहर नहीं आ सकता है।
अभिमन्यु ने एक रथ का पहिया लिया और उसे इधर-उधर घुमाया, जिससे शत्रु निहत्थे हो गए। उन्होंने आसानी से हार नहीं मानी और अपनी अंतिम सांस तक बहादुरी से लड़े।
नैतिक: अगर स्थिति हमारे पक्ष में न हो तो भी कभी हार नहीं माननी चाहिए, चाहे वह कितना भी कठिन हो जाए।
सतिनाम सिंह पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर है। Web developer काम के साथ इनको पढ़ने , लिखने का शौक ह। इसी ज्ञान को दुसरो के साथ बाटने के लिए ही मैंने इस हिंदी शोभा ब्लॉग की स्थापना की है। देश के लोगो को सरल भाषा में पूरी जानकारी देना ही मेरा लक्ष्य है।
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