क्या है इस पोस्ट में ?
Uniform Civil Code kya hai hindi me :- जैसा कि आप लोग जानते हैं कि विगत कुछ हफ्तों से भारत में एक नया विवाद चर्चा का विषय बना हुआ है और इसकी शुरुआत का के एक-एक कॉलेज हुई जब एक लड़की हिजाब पहनकर कॉलेज के परिसर में जाने की कोशिश कर रही थी। तभी वहां पर कुछ खड़े लड़कों ने भी इसका विरोध किया इसके बाद यह मामला हाईकोर्ट में गया और और यह मामला दूसरे राज्य में में भी तेजी के साथ फैला है। ऐसे में इस बात के कयास लगाया जा रहे हैं कि बहुत जल्द ही केंद्र सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून लेकर आ सकती है। जिसके सभी धर्मों के लिए एक ही काम होगा और उनको इन कानूनों का पालन भी करना होगा। अब आपके मन मे सवाल आएगा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है, THE UNIFORM CIVIL CODE IN INDIA BILL, 2018 PDF Download कैसे करे ? अगर आप इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि इस पोस्ट को आखिर तक पढ़े-
समान नागरिक कानून का अर्थ है कि धर्म, वर्ग आदि की परवाह किए बिना पूरे देश में एक समान कानून लागू करने से है। इसका मतलब है कि देश में रहने वाले किसी भी धर्म, संप्रदाय या समुदाय के लोगों के लिए एक समान कानून होना चाहिए। दूसरे शब्दों में, समान नागरिक संहिता धर्मनिरपेक्ष कानून के समान है, जो सभी धर्मों के लोगों के लिए समान कानून है और किसी भी धर्म या संप्रदाय के व्यक्तिगत स्थिति कानून से ऊपर है।
Uniform Civil Code kya hai Hindi me
यूनिफॉर्म सिविल कोड – Uniform Civil Code kya hai hindi me
Uniform civil code समान नागरिक संहिता का मतलब होता है ऐसा कानून जो सभी धर्मों के लिए होगा और उनका पालन करना सभी के लिए आवश्यक होगा। न्यायपालिका के बोझ को कम किया मौजूदा स्थिति में मुस्लिम ईसाई और पारसी अपने धर्म से जुड़े हुए मत पुरका आर जैसे शादी विवाह गोद लेना बच्चे का याद दिला देना आज ऐसी प्रक्रिया के लिए वह अपने पर्सनल लॉ बोर्ड के पास जाते हैं इसके अलावा हिंदू बौद्ध और सिख हिंदू सिविल लॉ के अंतर्गत आते हैं। जिसके कारण देश में न्यायपालिका के ऊपर एक अतिरिक्त बोझ पड़ता है इसी प्रकार की समस्या को समाप्त करने के लिए भारत सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड लेकर आएगी। जिससे एक कानून के तहत सभी धर्मों के जो भी धर्म से जुड़े हुए मामले हैं, उनका निपटारा आसानी से किया जा सके और यहां पर किसी प्रकार का कोई भेदभाव भी नहीं होगा और कानून को भी अपना काम करने में आसानी होगी ।

यूनिफॉर्म सिविल कोड संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत आता है-
Civil Uniform civil code सविधान के अनुच्छेद 44 के अंतर्गत आता है जिसके तहत हर एक राज्य सरकार को अपने राज्य में इन सिविल यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना आवश्यक है लेकिन राज्यों ने आप इस कानून को अपने राज्य में लागू नहीं किया है I
Civil Uniform code कानून की जरूरत भारत में क्यों है-
जैसा कि आप लोग जानते हैं कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां पर सभी धर्मों के मानने वाले लोग रहते हैं। ऐसे में भारत में आए दिन धर्म के नाम पर कोई ना कोई नया विवाद होते रहता है। जिससे देश का माहौल खराब होता है और साथ में देश की छवि भी ऐसे में अगर सरकार देश में समानता लाने चाहती है। तो उसे अपने देश में सिविल यूनिफॉर्म कोड कानून लाने की जरूरत है।
हाल के दिनों में ही भारत में देखा गया है हिजाब विवाद काफी तेजी के साथ भारत के दूसरे राज्यों में भी फैला है। ऐसे में अगर देश में या कानून आता है तो ऐसे जो विवाद आए दिन भारत में हो रहे हैं उसको रोका जा सकता है और साथ में धार्मिक सद्भावना को और भी मजबूत किया जा सकता है। इसलिए भारत में इस कानून की अधिक आवश्यकता है उम्मीद लगाई जा रही है, कि बहुत जल्द ही सरकार Uniform civil code कानून को संसद में लेकर आ सकती है, इसके अलावा कई राज्यों ने तो इस बात की भी घोषणा की है कि वह जल्द ही अपने देश राज्य में इस कानून को लागू करवाएंगे I
क्यों पड़ी जरूरत -Why need Uniform civil code ?
- विभिन्न धर्मों के कानून न्यायपालिका पर बोझ डालते हैं। समान नागरिक संहिता के लागू होने से यह समस्या दूर हो जाएगी और अदालतों में वर्षों से लंबित मामलों का जल्द ही फैसला होगा।
- शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में सबके लिए एक जैसा कानून होगा फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों न हो। वर्तमान में हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ यानी निजी कानूनों के तहत करते हैं।
- समान नागरिक संहिता की अवधारणा यह है कि यह कानून के समक्ष सभी की समानता के माध्यम से राष्ट्रीय एकता को बढ़ाएगा। देश में सभी भारतीयों के लिए एक समान कानून लागू होने से देश में राजनीति में सुधार की उम्मीद जगी है।
Uniform civil code से फायदे क्या होंगे- Benefits of Uniform civil code
- कानूनों का सरलीकरण: समान कानून विवाह, उत्तराधिकार और उत्तराधिकार सहित विभिन्न विषयों से संबंधित जटिल कानूनों को सरल करेगा। परिणामस्वरूप, सभी नागरिकों पर समान नागरिक कानून लागू होंगे, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।
- लिंग न्याय: यदि समान नागरिक संहिता लागू की जाती है, तो सभी मौजूदा व्यक्तिगत स्थिति कानूनों को निरस्त कर दिया जाएगा, जो उन कानूनों में पाए जाने वाले लिंग भेदभाव के मुद्दे को भी संबोधित करेंगे।
- समाज के कमजोर वर्गों की सुरक्षा: समान नागरिक संहिता का उद्देश्य महिलाओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों सहित कमजोर क्षेत्रों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है, जबकि एकरूपता से देश में राष्ट्रीय भावना बढ़ेगी।
- धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को मजबूत करना: “धर्मनिरपेक्ष” शब्द को भारत के संविधान की प्रस्तावना में शामिल किया गया है और एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य को धार्मिक प्रथाओं के आधार पर अलग-अलग नियमों के बजाय सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून बनाना चाहिए।
- समान संहिता लागू होने के बाद विवाह, विरासत और उत्तराधिकार सहित विभिन्न मुद्दों से संबंधित जटिल कानून सरल बन जाएंगे
- न्यायपालिका के बोझ को कम करना
- समान नागरिक कानून सभी नागरिकों पर लागू होंगे, चाहे वह किसी भी धर्म का क्यों ना हो
- देश में सभी धर्मों को एक कानून के अंतर्गत लाना ताकि किसी प्रकार का भेदभाव देश में ना रह सके I
विरोध करने वालों का तर्क
- समान नागरिक संहिता का विरोध करने वालों का कहना है कि यह हिंदू कानून को सभी धर्मों पर लागू करने के समान है।
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25, जो किसी भी धर्म को मानने और प्रचार करने की स्वतंत्रता की रक्षा करता है, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में निहित समानता की अवधारणा का विरोध करता है।
- धर्मनिरपेक्ष राज्य में व्यक्तिगत स्थिति कानून में कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। यदि एक समान नागरिक कानून है, तो धार्मिक स्वतंत्रता का ध्यान रखा जाना चाहिए।
Uniform civil कोड भारत में लागू नहीं किए जाने से क्या-क्या समस्याएं आएंगे-
ऐसा क्या आप नहीं जानते हैं कि भारत में मुसलमानों के एक बहुत बड़ी आबादी रहती है और मुसलमानों की कानून व्यवस्था है उसका निर्धारण 1930 में स्थापित मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के द्वारा संचालित होता है जिसके कारण ऐसे मामले हैं जहां पर कोर्ट सीधे दखल अंदाजी नहीं कर सकता है क्योंकि संविधान के अंदर इस प्रकार की प्रक्रिया नहीं है कि code उनके मामले में दखलअंदाजी कर सके जिसके कारण मुस्लिम महिलाओं को अनेकों प्रकार की यातना और दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
मुसलमान चार शादियां कर सकते हैं उनके यहां शादी करने की कोई सीमा नहीं है इसके अलावा मुस्लिम लड़कियों की शादी 11 से 12 साल की उम्र में कर दी जाती हैं जाती है जिसके कारण उनके जान को भी खतरा होता है I कि दूसरे धर्म में लड़कियों की विवाह करने की उम्र भी निर्धारित है और कोई भी धर्म का व्यक्ति एक से अधिक विवाह नहीं कर सकता है नहीं तो उसे कानूनी प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ेगा और अगर दोषी पाया जाता है तो उसे 7 साल की सजा दी होगी I अगर देश में सिविल यूनिफॉर्म कोड लागू हो जाता है कोर्ट को भी अपना फैसला सुनाने में आसानी होगी।
Uniform civil code दुनिया के किन किन देशों में लागू किया गया है-
अमेरिका, आयरलैंड, बांग्लादेश, पाकिस्तान, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान और इजिप्ट जैसे कई देश हैं, जिन्होंने समान नागरिक संहिता लागू किया है. वहीं, भारत में समान नागरिक संहिता का विरोध करने वालों का कहना है कि ये सभी धर्मों पर हिंदू कानून को लागू करने का कानून है I
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून के बारे में क्या कहा था?
Uniform civil code कानून की मांग भारत के पहले कानून मंत्री डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जिन्होंने संविधान का निर्माण किया उन्होंने 1951 में इस पर चर्चा करते हुए इस बात का पर जोर दिया था कि भारत में यूनिफार्म सिविल कोर्ट कानून बनाने की आवश्यकता है क्योंकि भारत इनको धर्मों का देश है और यहां पर अगर इस प्रकार का कानून का निर्माण होता है तो सभी धर्मों के लोग एक ही कानून के अंतर्गत आ पाएंगे और देश में एकता और अखंडता दोनों को बनाए रखने में आसानी होगी।
सवाल जवाब (FAQ)
समान नागरिक सहिंता (Uniform Civil Code) का मतलब देश के हर शहरी के लिए एक जैसा कानून होता है।
आर्टिकल 44 का उद्देश्य कमजोर वर्गों से भेदभाव की समस्या को खत्म करके देशभर में विभिन्न सांस्कृतिक समूहों के बीच की तालमेल बढ़ाना है।
आर्टिकल 37 में राज्य के नीति निदेशक तत्त्व संबंधी प्रावधानों को किसी भी न्यायालय द्वारा प्रवर्तित नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसमें निहित सिद्धांत शासन व्यवस्था में मौलिक प्रकृति के होंगे।
समान नागरिक संहिता का उद्देश्य महिलाओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों सहित अम्बेडकर द्वारा कल्पना किए गए कमजोर वर्गों के लिए सुरक्षा प्रदान करना है, साथ ही एकता के माध्यम से राष्ट्रवादी उत्साह को बढ़ावा देना है।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 और अनुच्छेद 26 धर्म से संबंधित मौलिक अधिकारों को बरकरार रखते हैं, और इन अधिकारों को कानून की अदालत में लागू किया जा सकता है, हालांकि, UCC से संबंधित अनुच्छेद 44 को किसी भी अदालत में लागू नहीं किया जा सकता है, इस प्रकार के प्रावधान समान नागरिक संहिता। धर्म के अधिकार में हस्तक्षेप की कोई संभावना नहीं है।
1882 के हैस्टिंग्स योजना से हुई और अंत शरिअत कानून के लागू होने से हुआ।हालांकि, मुसलमानों के लिए शादी और तलाक पर तथाकथित धर्मनिरपेक्ष कानून लागू होने के बाद समान नागरिकता कानून कमजोर पड़ने लगा।
भारत में एक एकीकृत नागरिक कानून बनाने की लड़ाई चल रही है, लेकिन गोवा भारत का एकमात्र राज्य है जहां यह कानून 1962 से लागू है।
संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और कई यूरोपीय देशों में एक समान नागरिक संहिता है। गोवा भी इसे लागू कर रहा है। संहिता के बारे में भ्रांतियां हैं, जिन्हें सभी धर्मों को स्पष्ट करना चाहिए।
निष्कर्ष
हम आशा करते है के इस आर्टिकल से आपको देश में बार बार सुने जाने वाले Uniform civil code क्या क्या है ? Uniform Civil Code kya hai hindi me ? देश में अलग अलग धर्म के लोग है और सबके आपने रूल्स है । इन सभी लोगो को एक ड्रेस कोड और लॉ के अंतर्गत करने के लिए यूनिफार्म सिविल कोर्ट कानून बनाया गया है । यह पर हमने uniform civil code essay in hindi , भारत में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता , समान नागरिक संहिता की जरूरत क्यों है ? Download THE UNIFORM CIVIL CODE IN INDIA BILL, 2018 PDF आदि के बारे में पूरी जानकारी मिल गया होगा । आप अपने सवाल और सुझाव निचे कमेंट कर सकते है । हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमे सोशल मीडिया पर फॉलो करे । धन्यावाद।
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सतिनाम सिंह पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर है। Web developer काम के साथ इनको पढ़ने , लिखने का शौक ह। इसी ज्ञान को दुसरो के साथ बाटने के लिए ही मैंने इस हिंदी शोभा ब्लॉग की स्थापना की है। देश के लोगो को सरल भाषा में पूरी जानकारी देना ही मेरा लक्ष्य है।
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