Vehicle Semiconductor kya hai full details in Hindi: नमस्कार दोस्तों स्वागत एक नए आर्टिकल में आज हम बात करने वाले हैं लेकिन सेमीकंडक्टर क्या होता है आप लोगों ने इसका नाम तो सुना होगा किसी भी गाड़ी में इसका इस्तेमाल एक महत्वपूर्ण पुर्जे के तौर पर होता है अब आपके मन मे सवाल आएगा के आखिर में vehicles सेमीकंडक्टर होता क्या है यह कार्य कर से करता है इसके बिना क्या गाड़ी चल सकती है और इसकी कमी क्यों भारत में हो रही है अगर आप ऐसे ही सवालों के जवाब जानना चाहते हैं तो मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि इस पोस्ट को आखिर तक पढ़े आइए जाने-
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सेमीकंडक्टर वह पदार्थ होता है जिसमें एक विद्युत सुचालक और एक कुचालक के बीच के गुण होते हैं। इसका प्रमुख कार्य विद्युत प्रवाह को नियंत्रित करना होता है। ये सेमीकंडक्चर शुद्ध तत्वों से, आम तौर सिलिकॉन से बनता है। इसमें सुचालक के गुणों में बदलाव लाने के लिए उसमें कुछ विशेष तरह की अशुद्धता मिलाई जाती है जिसे डोपिंग कहते हैं। डोपिंग से ही सेमीकंडक्टर के वांछनीय गुण विकसित हो पाते हैं। इसी पदार्थ का उपयोग कर एक छोटा सा विद्युत सर्किट बनाया जाता है जिसे चिप कहते हैं।
सेमीकंडक्टर का मतलब अर्धचालक होता है और इसका इस्तेमाल करंट को नियंत्रित करने में किया जाता है। सेमीकंडक्टर असल में सिलिकॉन से बनाए जाते हैं जो चिप फॉर्म में होते हैं। मौजूदा समय में जितनी भी कारे मार्केट में अवेलेबल हैं उन सभी में सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल किया जाता है। इनका इस्तेमाल करंट को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इनके बगैर मौजूदा कारों की कल्पना करना बेकार है क्योंकि ये ना हों तो कार के हाईटेक फीचर्स को इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। ऐसे में आपकी कार चुनिंदा फीचर्स के साथ ही अवेलेबल होगी। कारों को चलता फिरता कंप्यूटर बनाने में सेमीकंडक्टर की अहम भूमिका है।
Vehicle Semiconductor kya hai in Hindi
चिप एक पोर्ट डिवाइस है, जिसका उपयोग डेटा को बचाने के लिए किया जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो ऑटो इंडस्ट्री से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों तक चिप्स की कमी है। सेमीकंडक्टर चिप्स का उपयोग इंफोटेनमेंट सिस्टम, पावर स्टीयरिंग और ब्रेक को पावर देने के लिए किया जाता है। नई कारों के लिए यह चिप बेहद जरूरी है। यह कारों में इस्तेमाल होने वाली छोटी चिप होती है।
Semiconductor को आमतौर पर तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है: –
जो सेमीकंडक्टर होते हैं वह सुपर कंडक्टर के तौर पर आचरण करते हैं इस बात को आप उदाहरण के तौर पर समझ सकते हैं – इंसुलेटर, जैसे कि फ्यूज़्ड क्वार्ट्ज और ग्लास में, बहुत कम कंडक्टिविटी होती है, 10−18 से 10−10 सीमेन प्रति सेंटीमीटर के क्रम पर; और कंडक्टर, जैसे एल्यूमीनियम, में उच्च कंडक्टिविटी है, आमतौर पर 104 से 106 सेंटीमीटर प्रति सेंटीमीटर।
सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल गाड़ियों में किया जाता है और इसके बिना गाड़ी का निर्माण करना संभव नहीं है जब किसी भी गाड़ी में सेमीकंडक्टर लगाए आता है तो उसके द्वारा गाड़ी के सभी महत्वपूर्ण कार्य जैसे- power sharing ‘ Brake sensor ‘ entertainment system ‘ airbags parking camera जैसी चीजों को संचालित किया जाता है गाड़ी के अंदर हजार से अधिक सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल किया जाता है आज की तारीख गिने-चुने कंपनी है जो सेमीकंडक्टर का निर्माण कर पाते हैंI
हाईटेक वाहनों में कई तरह के चिप्स का इस्तेमाल किया जाता है। चिप का उपयोग सुरक्षा कार्यों के लिए भी किया जाता है। एक तरह से सेमीकंडक्टर्स को इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स का “दिमाग” कहा जाता है। इतना ही नहीं कार कंपनियां इलेक्ट्रिक कारों पर फोकस कर रही हैं। इलेक्ट्रिक कारें नियमित वाहनों की तुलना में अधिक चिप्स का उपयोग करती हैं। इसलिए चिप की आपूर्ति नहीं होने से इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण को भी झटका लग सकता है।
यह समझने के लिए कि सेमीकंडक्टर्स कैसे काम करते हैं, चलिए सबसे पहले आपको इसके परमाणु रचना के बारे में जानकारी हासिल करना होगा सबसे पहले इसमें इलेक्ट्रॉनों को एक परमाणु में इकट्ठा किया जाता है। एक परमाणु में इलेक्ट्रॉनों को लेयर्स में इकट्ठा किया जाता है। इन लेयर्स को shells कहा जाता है।
इस शेल में वे इलेक्ट्रॉज्स होते हैं जो बगल के परमाणुओं के साथ बंधन बनाते हैं। इस तरह के बांड को covalent bonds कहा जाता है। अधिकांश कंडक्टरों में valence shell में सिर्फ एक इलेक्ट्रॉन होता है। दूसरी ओर, सेमीकंडक्टर्स, आमतौर पर उनके valence shell में चार इलेक्ट्रॉन होते हैं।
यदि सभी बगल के सभी परमाणु एक ही प्रकार के हैं, तो संभव है कि सभी वैलेंस इलेक्ट्रॉनों को अन्य परमाणुओं से वैलेंस इलेक्ट्रॉनों के साथ bond कर दिया जाता है जब ऐसा होता है, तो परमाणु क्रिस्टल नामक संरचना में इकट्ठा हो जाते हैं। सेमीकंडक्टर्स आमतौर पर सिलिकॉन क्रिस्टल के बने होते हैं
यहां, प्रत्येक सर्कल एक सिलिकॉन परमाणु का प्रतिनिधित्व करता है, और परमाणुओं के बीच की circle शेयर इलेक्ट्रॉनों का प्रतिनिधित्व करती हैं। प्रत्येक सिलिकॉन परमाणु में चार वैलेंस इलेक्ट्रॉनों में से प्रत्येक को एक पड़ोसी सिलिकॉन परमाणु के साथ शेयर किया जाता है। इस प्रकार, प्रत्येक सिलिकॉन परमाणु को चार अन्य सिलिकॉन परमाणुओं के साथ जोड़ा जाता तभी जाकर सेमीकंडक्टर कार्य करता है अब आपको समझ में आ गया होगा किससे भी कंडक्टर किस प्रकार किसी भी इलेक्ट्रॉनिक यंत्र में कार्य करता है I
आज की तारीख में दुनिया में जितनी भी car का निर्माण होता है उन सब में semiconductor का इस्तेमाल होता है इसलिए अगर सेमीकंडक्टर की कमी हो जाती है तो कोई भी कार बनाने वाली कंपनी आधुनिक और नए कार का निर्माण नहीं कर पाएगी इसलिए हम कह सकते हैं कि बिना सेमीकंडक्टर के कार्य का निर्माण करना असंभव है ।
जैसा कि आप लोग जानते हैं कि विगत कई वर्षों में दुनिया और भारत में कोरोना महामारी का प्रकोप चल रहा था ऐसे में अनेकों कंपनियां जो सेमीकंडक्टर बनाने का काम करती है उन्होंने अपना प्रोडक्शन रोक दिया था जिसके कारण दुनिया और भारत में भी सेमीकंडक्टर की कमी हो गई है और जिस कारण नए प्रकार के कार बनाने में कंपनियों को अधिक समय लगेगा और अगर आप भी नया car लेना चाहते हैं नई टेक्नोलॉजी का तो आपको इंतजार करना होगा क्योंकि दुनिया में सेमीकंडक्टर की कमी काफी तेजी के साथ चल रही है और ऐसा अनुमान है कि 2023 तक या कमी ऐसी ही रहेगी उसके बाद ही जाकर सेमीकंडक्टर की कमी को पूरा किया जा सकता है I
भारत का सेमी कंडक्टर cheap आमतौर पर सबसे अधिक मलेशिया के द्वारा इंपोर्ट करता है लेकिन कुछ सालों में दुनिया के अंदर कोरोना महामारी प्रकोप चला था ऐसे में मलेशिया के अंदर सेमीकंडक्टर चिप का उत्पादन बाधित हुआ जिसके कारण से उतनी संख्या में इन cheap का उत्पादन नहीं हो पाया है जैसा होना चाहिए था
जैसा कि आप लोग जानते हैं कि भारत में ऐसे भी कंडक्टर का निर्माण नहीं कहता है और भारत पूरा सेमीकंडक्टर चाहिए बाहर से आयात करता है ऐसे में जब दुनिया में सेमीकंडक्टर की कमी हो गई है तो इसका सीधा असर भारत में भी पड़ेगा क्योंकि भारत में बड़ी-बड़ी कंपनियों कार निर्माण का कार्य करती है ऐसे में उन्हें काफी दिक्कत और परेशानी का सामना करना पड़ा है I
इसको देखते हुए सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए , भारत और ताइवान के अधिकारी से सेमीकंडक्टर बनाने वाले प्लांट के समझौते को आखिरी रूप देने में लगे हैं। इस डील के तहत 7.5 अरब डॉलर (करीब 55.36 हजार करोड़ रुपये) की लागत से भारत में सेमिकंडक्टर उत्पादन के लिए एक प्लांट लगाया जाएगा। इसमें 5G डिवाइस से लेकर इलेक्ट्रिक कार तक के कंपोनेंट शामिल होंगे क्योंकि दुनिया मे 80% सेमीकंडक्टर cheap दक्षिण कोरिया और ताइवान में बनाए जाते हैं इसलिए भारत सरकार ताइवान के साथ या समझौता कर रही है ताकि भारत में cheap संकट की समस्या को समाप्त किया जा सके I
सेमीकंडक्टर की किल्लत सिर्फ ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए ही नहीं बल्कि सरकार के लिए भी बड़ा सिरदर्द बनी हुई है। यही वजह है कि चिप बनाने वाली कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार ने 76 हजार करोड़ रुपये की इंसेंटिव योजना तैयार की है। इस योजना को कैबिनेट की मंजूरी मिलना बाकी है।
आने वाले समय में भारत के कई राज्यों में सेमीकंडक्टर बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा इसके लिए सरकार ने Incentive Scheme) को मंजूरी दी के तहत सरकार देश में भी ऐसे कंपनियों को प्रोत्साहन राशि और सब्सिडी देगी जो देश के अंदर ही सेमीकंडक्टर का निर्माण कर सके ताकि हमारा देश से इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके I
Semiconductor Company | Products | Location |
---|---|---|
Saankhya Labs | Semiconductor Solutions | Bengaluru |
ASM Technologies | Semiconductor Engineering | Bengaluru |
Broadcom Inc | Semiconductor and Infrastructure Software Solutions | Bangalore |
Chiplogic Technologies | Semiconductor Design Services | Bangalore |
CDIL | Semiconductor Manufacturer | New Delhi |
MosChip Semiconductor Technologies | Fabless Semiconductor | Hyderabad |
Einfochips | Semiconductor Design Services | Ahmadabad |
Tata Elxsi | AI, Machine learning, NLP | Bengaluru |
Semi-Conductor Laboratory | R&D in Semiconductor Technology | Mohali |
NXP Semiconductors | Semiconductor Startup Incubation | Bangalore |
बजट 2022 के अंतर्गत सरकार की तरफ से सेमीकंडक्टर को लेकर किसी प्रकार की कोई घोषणा नहीं की गई है क्योंकि इसके पहले यह सरकार की तरफ से इंसेंटिव स्कीम की मंजूरी कैबिनेट के द्वारा दे दी गई थी जिसके तहत उन सभी कंपनियों को सब्सिडी और प्रोत्साहन राशि दी जाएगी जो भारत में सेमीकंडक्टर का निर्माण कर सकें I
भारत में सबसे अच्छे चिप निर्माता Bharat Electronics Limited , CDIL, Applied Materials,TSMC India ,Micron Technology ,Solex Energy ,Massab Electronics,Semtronics,Samsung Semiconductor India,Broadcom हैं।
मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी मेक-इन-इंडिया चिप निर्माण 2-3 वर्षों में शुरू हो सकता है। नरेंद्र मोदी की सरकार चिप निर्माण उद्योग के लिए एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर काम कर रही है और 1 जनवरी, 2022 से प्रोत्साहन योजनाओं के तहत आवेदन लेना शुरू करेगी।
सेमीकंडक्टर्स का उपयोग डायोड, ट्रांजिस्टर और एकीकृत सर्किट सहित विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक घटकों को बनाने के लिए किया जाता है। इन उपकरणों को उनके छोटे आकार, विश्वसनीयता, विद्युत दक्षता और कम लागत के कारण व्यापक अनुप्रयोग मिला है।
अर्धचालक कितने प्रकार के होते हैं
निज अर्धचालक – Intrinsic semiconducto.
बाह्य अर्धचालक – Extrinsic semiconductor.
बाह्य अर्धचालक के दो प्रकार हैं –
N – टाइप अर्धचालक
P – टाइप अर्धचालक
हम आशा करते है के इस आर्टिकल से आपको आज कल जो बहुत ज्यादा सुनने को मिल रहा है Vehicle Semiconductor kya hai , car semiconductor Chip kya hai ? Shortage of Semiconductor ? Vehicle Semiconductor chip import , सेमीकंडक्टर चिप क्यों व्हीकल निर्माण के लिए जरूरी है ? सेमीकंडक्टर कैसे काम करता है ? vehicle semiconductor किस किस material से बनता है ? आदि के बारे में पूरी जानकारी दी है । फिर भी आप अपने सवाल और सुझाव निचे कमेंट कर सकते है । हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमे सोशल मीडिया पर फॉलो कर सकते है । धन्यावाद।
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