UN Veto Power kya hai in Hindi :- दोस्तों जैसा कि आप लोग जानते हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच में भीषण युद्ध शुरू हो चुका है । ऐसे में रूस यूक्रेन के ऊपर काफी आक्रमक तरीके से हमला कर रहा। संयुक्त राष्ट्र संघ में भी इस बात की चर्चा हो रही है कि रूस को रोकने के लिए संयुक्त संयुक्त राष्ट्र संघ में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने की चर्चा काफी तेजी के साथ उठाई थी। ऐसे में रूस ने अपने वीटो पावर का इस्तेमाल कर कर इस प्रस्ताव को पेश होने से संयुक्त राष्ट्र संघ में रोक दिया है। ऐसे में सवाल आप लोगों के मन में जरूर आता होगा कि आखिर में वीटो पावर है क्या और उसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है। और कौन-कौन से देशों के पास वीटो पावर है और अगर जिनके पास वीटो पावर नहीं है और इसे कैसे प्राप्त करेंगे। अगर आप UN Veto Power kya hai in Hindi आदि के किसी प्रकार के सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि इस पोस्ट को आगे तक पढ़े आइए जाने।
जब भारत की तरफ से पाकिस्तान के आतंकवादी हाफिज सईद को ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में एक प्रस्ताव लाया गया था Iलेकिन उस समय ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस ने भारत केस प्रस्ताव का समर्थन किया थाI लेकिन रूस ने इस पर आपत्ति दर्ज कर कर उस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा पारित होने से रोक दिया थाI
Power of VETO vote
वीटो पावर एक प्रकार का संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा बनाया गया विशेषाधिकार नियम है। इस प्रकार के विशेषाधिकार का इस्तेमाल कुछ देश के द्वारा ही किया जा सकता है ऐसे अधिकार संयुक्त राष्ट्र संघ के पांच स्थाई सदस्यों के पास जब भी कोई भी प्रस्ताव रास्ते में लाया जाता है। तो इन पांच देशों की सहमति का होना आवश्यक है तभी जाकर यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रस्तुत हो पाएगा, अगर किसी भी प्रस्ताव को United Nations Security में मंजूरी दिलाना है। तो सबसे पहले 5 स्थाई सदस्य इनके पास वीटो पावर है उनकी सहमति का होना आवश्यक है अब आपको समझ में आ गया होगा वीटो पावर क्या होता है।
वीटो लैटिन भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ है ‘मैं निषेध करता हूँ’ । वीटो का प्रयोग संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद के परमानेंट सदस्यों के द्वारा किया जाता है, वीटों का फुल फॉर्म ‘I forbid‘
वीटो पावर इतिहास के बारे में और उसके शुरुआत के बारे में बात करें, तो मैं आपको बता दूं कि जब पीछे विश्व युद्ध की समाप्ति हुई ,तो उसके बाद ही संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई 1945 में कुल मिलाकर 4 देश इसके स्थाई सदस्य 4 अस्थाई सदस्य थे। आगे चलकरसंयुक्त राष्ट्र संघ में में कुल मिलाकर 5 स्थाई सदस्य और 11 अस्थाई सदस्यों की संख्या हो गई । जब इसका गठन हुआ था उस समय अमेरिका रूस ब्रिटेन और चाइना इसके स्थाई सदस्य थे। विश्व युद्ध में फ्रांस जब जर्मनी द्वारा पराजित हुआ। तो उस समय फ्रांस संयुक्त राष्ट्र संघ के स्थाई सदस्यों के साथ उसकी मित्रता काफी गंभीरता से हुई और वह उनके साथ हर मुद्दे पर एक साथ रहा जिसके कारण फ्रांस को संयुक्त राष्ट्र संघ का अस्थाई मेंबर बना दिया गया।
आज की तारीख में संयुक्त राष्ट्र संघ के अंदर कुल मिलाकर पांच स्थाई सदस्य हैं जिनके पास वीटो पावर है। जो किसी भी प्रस्ताव या कानून को United Nations Security के द्वारा पारित होने से रोक सकते हैं। ऐसे में अगर कोई भी पांच सदस्य के बीच में से अगर एक भी सदस्य किसी कानून पर आपत्ति दर्ज करता है। तो उस कानून को राशन के द्वारा मान्यता नहीं मिल सकती है। इसलिए अगर कोई भी प्रस्ताव या कानून अगर राष्ट्र के द्वारा पारित करना है तो उसके लिए सबसे पहले 5 स्थाई देशों की सहमति का होना आवश्यक है I वीटो पावर वाले देश कौन-कौन से हैं तो मैं उनका विवरण आपको नीचे दे रहा हूं जो इस प्रकार है-
वीटो पॉवर का उद्देश्य यह है कि विश्व में शान्ति एवं सुरक्षा की स्थापना हो, तथा किसी बड़े मानवीय संकट व युद्ध को बातचीत के द्वारा टाला जा सके। आज को आप ऐसे समझ सकते कि अगर आज की तारीख में रूस ने यूक्रेन के ऊपर हमला कर दिया है उसे रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में निंदा प्रस्ताव भी लाया गया। लेकिन प्रस्ताव पारित नहीं हो सका ऐसे में अगर मान लीजिए कि रूस के बदले कोई और भी देश होता और वह इस प्रकार की कार्रवाई करता है। तो आसानी से संयुक्त राष्ट्र संघ में उस देश के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित होता और उस देश के खिलाफ अनेकों प्रकार के प्रतिबंध भी लागू संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से लागू किए जाते I
आज की तारीख में भारत के दो ही मैं दुश्मन है पकिस्तान और चाईना। शुक्र है पाकिस्तान के पास वीटो पावर नहीं है , पर चीन के पास VETO Power है । ऐसे में आप लोगों को समझ में आ गया होगा कि चीन ने भारत के खिलाफ सबसे अधिक बार वीटो पावर का इस्तेमाल किया है पहली बार मंगोलिया को UNO में सदस्यता के विरुद्ध प्रयोग किया।
दूसरी बार उसने 1972 में पाकिस्तान के समर्थन में संयुक्त राष्ट्र संघ में बांग्लादेश निर्माण के समय वीटो पावर का इस्तेमाल किया था I
जैसा कि आप लोग जानते हैं कि भारत संयुक्त राष्ट्र संघ का अस्थाई सदस्य और ऐसे में भारत का प्रयास हमेशा रहता है हम भी वीटो पावर बन जाए । कि उसे किसी प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ का स्थाई सदस्य बनाया जाए भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ के स्थाई सदस्य अमेरिका रूस ब्रिटेन और फ्रांस का समर्थन तो प्राप्त है। लेकिन चाइना भारत को इस मुद्दे पर समर्थन नहीं करता है। जिसके कारण भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ का स्थाई सदस्य बनने में दिक्कत और अर्चना रही है। इसके लिए भारत को चाइना का समर्थन प्राप्त करना होगा जो कि काफी मुश्किल है। क्योंकि चाइना भारत का एक वैश्विक और सामरिक मोर्चे पर भारत का दुश्मन देश है ऐसे में तीन कभी भी बात का समर्थन नहीं करेगा इसलिए भारत को वीटो पावर कब तक मिलेगा बात को बोल पाना काफी असंभव है हो सकता है। कि आने वाले समय में संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में अगर कुछ बदलाव होते हैं तो ही भारत संयुक्त राष्ट्र संघ का का स्थाई सदस्य बन सकता है।
फरवरी 2022 तक, रूस/यूएसएसआर ने अपने वीटो का 120 बार, यूएस ने 82 बार, यूके ने 29 बार, फ्रांस ने 16 बार और चीन ने 17 बार अपने वीटो का इस्तेमाल किया है।
एक वीटो (लैटिन के लिए “मैं मना करता हूं”) एक आधिकारिक कार्रवाई, विशेष रूप से कानून के अधिनियमन को एकतरफा रूप से रोकने के लिए शक्ति है
कनाडा । संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य, पांच स्थायी सदस्य और दो साल के कार्यकाल के लिए चुने गए 10 अस्थायी सदस्य हैं। पांच स्थायी सदस्य संयुक्त राज्य अमेरिका, रूसी संघ, फ्रांस, चीन और यूनाइटेड किंगडम हैं।
उत्तर कोरिया 1991 में संयुक्त राष्ट्र का स्थायी सदस्य बना। मिशन का प्रतिनिधित्व संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरिया के स्थायी प्रतिनिधि द्वारा किया जाता है। वर्तमान स्थायी प्रतिनिधि किम सोंग हैं। उत्तर कोरिया का पेरिस में संयुक्त राष्ट्र में एक मिशन और जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में संयुक्त राष्ट्र में एक राजदूत भी है।
हाँ, यूक्रेन संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर हस्ताक्षर करने वाले पहले देशों में से एक था, जो 51 देशों के बीच संयुक्त राष्ट्र का संस्थापक सदस्य बन गया।
नहीं
1971 में, चीन गणराज्य को संयुक्त राष्ट्र से निष्कासित कर दिया गया था, और चीनी सीट को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना में स्थानांतरित कर दिया गया था। चीन ने पहली बार 25 अगस्त 1972 को संयुक्त राष्ट्र में बांग्लादेश के प्रवेश को रोकने के लिए वीटो का इस्तेमाल किया।
संयुक्त राष्ट्र का एक सदस्य जिसने वर्तमान चार्टर में निहित सिद्धांतों का लगातार उल्लंघन किया है, उसे सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा द्वारा संगठन से निष्कासित किया जा सकता है। ऐसा कभी नहीं हुआ है।
18 दिसंबर 1956 को, जापान संयुक्त राष्ट्र का 80वां सदस्य राज्य बन गया, जिसे दो पूर्ववर्ती विश्व युद्धों के जवाब में स्थापित किया गया था, जिसका उद्देश्य भावी पीढ़ियों को युद्ध की भयावहता से बचाना था। अपने परिग्रहण के बाद से, जापान ने संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से विश्व शांति और समृद्धि में सक्रिय योगदान दिया है।
1971 में, चीन गणराज्य को संयुक्त राष्ट्र से निष्कासित कर दिया गया था, और चीनी सीट को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना में स्थानांतरित कर दिया गया था। चीन ने पहली बार 25 अगस्त 1972 को संयुक्त राष्ट्र में बांग्लादेश के प्रवेश को रोकने के लिए वीटो का इस्तेमाल किया।
नाटो और यू.एन. दो संगठन हैं जो इस तथ्य के बावजूद एक साथ काम करने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके पास बहुत अलग दर्शन हैं: नाटो एक ऐसा संगठन है जिसे शांति की रक्षा के लिए, यदि आवश्यक हो, युद्ध लड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है; जबकि संयुक्त राष्ट्र शांति बनाए रखने के लिए युद्ध से बचने के लिए बनाया गया एक संगठन है।
इंडोनेशिया
30 सितंबर, 1947
Russia देश ने तकरीबन अभी तक 120 बार वीटो शक्ति का इस्तेमाल किया है।
हम आशा करते है के इस आर्टिकल से आपको UN Veto Power kya hai in Hindi ? Veto vote power किस किस देश के पास है ? क्या भारत के पास Veto power hai ? Russia ने कितनी bar veto vote का इस्तेमाल किया है ? China Veto vote का भारत के खिलाफ उपयोग ? VETO Vote power kitna hai ? आदि सभी सवालों का जवाब यह दिया है । आप आपने सवाल और सुझाव निचे कमेंट कर सकते है । हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमे सोशल मीडिया पर फॉलो करे । धन्यावाद।
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