Polling Booth to Vote Counting Process kya hai in hindi :- दोस्तों जैसा कि आप लोग जानते हैं कि 10 मई 2022 को भारत के 5 राज्यों के विधानसभा के चुनाव के नतीजे जारी कर दिए गए हैं। इन चुनावों में बीजेपी पार्टी को भारी सफलता मिली है ऐसे में अगर आपके मन में सवाल आना जरूरी है, कि वोट डालने से लेकर वोट काउंटिंग तक की प्रक्रिया होती क्या है?
जिस दिन आप vote डालते हैं उसके बाद वोट जब संपन्न होता है। किसी भी बूथ पर तो वहां पर जो भी ईवीएम मशीन होते हैं उसे कहां पर लेकर जा जाता है। लेकिन आप सिर्फ वोट डालते है , उसके पहले या बाद में आपके वोट कैसे काउंट होते है ? EV मशीन कहाँ से लेकर आते है और कहाँ लेकर जाते है ? Vote counting kaise hoti hai ? कैसे EV Chip votes area wise area count होतो है इसकी जानकारी नहीं है ।
इसके अलावा जिस दिन vote की काउंटिंग होती है। तो काउंटिंग करने की प्रक्रिया कैसे होती है? कैसे मालूम चलता है। कि कौन उम्मीदवार आगे चल रहा है और कौन पीछे कौन कितने सीटों पर आगे है।
इसके बारे में भी आप लोगों ने टीवी में देखा होगा कि रुझान आने लगते हैं। अब आपके मन मे सवाल आना लाजमी है कि आखिर में वोट डालने से लेकर वोट काउंटिंग की पूरी प्रक्रिया होती क्या है? अगर आप इन सब के बारे में जानना चाहते हैं तो मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि इस पोस्ट को आखिर तक पढ़े-
जब किसी भी राज्य में विधानसभा के चुनाव होते हैं और विधानसभा के चुनाव में क्षेत्र के अनुसार चुनाव संपन्न करवाए जाते हैं। यानी उस राज्य में कितनी विधानसभा सीटें हैं। उनके अनुरूप यहां पर चुनाव चुनाव आयोग के द्वारा करवाए जाते हैं। सबसे पहले राज्य में आचार संहिता लागू की जाएगी उसके बाद चुनाव कितने चरणों में होगा। इसकी अधिकारिक घोषणा चुनाव आयोग के द्वारा की जाएगी इसके बाद कौन से चरण में किस सीट का चुनाव होगा उसके बारे में भी यहां पर चुनाव आयोग के द्वारा विवरण दिया जाएगा। अब राज्य में पार्टियों को चुनाव प्रचार करने के लिए भी एक निश्चित समय अवधि दी जाएगी पार्टियों को अपना चुनाव प्रचार मतदान होने के 2 दिनों पहले समाप्त करना होता है।
चुनाव आयोग (Election Commission) पूरी जानकारी | Chunav Aayog Kya hota hai @eci.gov.in
जब किसी भी मतदान केंद्रों पर मतदान संपन्न हो जाता है तो वहां पर रखी गई। ईवीएम मशीन को कहां पर रखा जाता है इस प्रकार के सवाल आमजन के दिमाग में आना जाहिर सी बात है। तो मैं आपको बता दूं कि जब भी vote संपन्न हो जाते हैं तुरंत पोलिंग बूथ (Pooling Booth) से ईवीएम स्ट्रांग रूम नहीं भेजी जातीं। प्रीसाइडिंग ऑफिसर ईवीएम में वोटों के रिकॉर्ड का परीक्षण करता है सभी प्रत्याशियों के पोलिंग एजेंट को एक सत्यापित कॉपी दी जाती है।
इसके बाद EVM मशीन को सील किया जाएगा इसके बाद प्रत्याशी और जो भी पोलिंग एजेंटों को सिग्नेचर करना होगा। प्रत्याशी या उनके प्रतिनिधि मतदान केंद्र से स्ट्रांग रूम ईवीएम के साथ जाते हैं। ताकि EVM मशीन से किसी प्रकार के छेड़खानी ना किया सके। स्ट्रांग रूम में जब सभी प्रकार के एबीएम मशीन आ जाते हैं तब स्टॉक रूम को सील करने की प्रक्रिया आरंभ की जाती है। इसके अनुमति प्रत्याशी के द्वारा मागी जाती है जाती है और उसके बाद स्ट्रांग रूम को सील किया जाता है।
EVM स्ट्रांग रूम की बनावट ऐसी की जाती है कि इसके अंदर आप एक ही जगह से प्रवेश कर सकते हैं, दूसरी जगह से आप इसमें प्रवेश नहीं कर सकते हैं। इसलिए हमेशा स्ट्रांग रूम की बनावट करते समय इन बातों का भी ध्यान दिया जाता है, ताकि कोई भी व्यक्ति दूसरे रास्ते से strong room में प्रवेश ना कर सके।
EVM Strong Room की सुरक्षा चुनाव आयोग तीन स्तर पर करता है।
स्ट्रांग रूम जहां पर ईवीएम मशीन रखी जाती है उसके अंदर अगर कोई व्यक्ति प्रवेश करना चाहता है तो उसके लिए वहां पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाते हैं।इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति वहां पर प्रवेश करेगा तो उसे अपना आने का पूरा विवरण देना होगा टाइम टेबल और क्यों स्ट्रांग रूम में आने की जरूरत है इन सभी बातों का वहां पर उसे विवरण देना होगा। तभी जाकर वाह स्ट्रांग रूम में प्रवेश कर पाएगा स्ट्रांग रूम के पास केंद्रीय सुरक्षा बल की टुकड़िया होती है जो स्ट्रांग रूम की सुरक्षा में तैनात की जाती हैं।
Independent candidate kaise bane | निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव कैसे लड़े
स्ट्रांग रूम की सुरक्षा candidate के द्वारा भी की जा सकती है इसके लिए प्रत्याशी स्ट्रांग रूम के अगल-बगल हमेशा अपनी नजर बनाए रख सकता है। एक बार अगर ए स्ट्रांग रूम में सील कर दिया गया तो उसे दोबारा काउंटिंग के दिन खोला जाता है अगर विशेष परिस्थितियों में स्ट्रांग रूम को खोला जाएगा इसके लिए प्रत्याशी की अनुमति लेने के बाद ही संभव पाता है।
काउंटिंग के दिन ईवीएम मशीन को स्ट्रांग रूम निकालने के लिए विशेष प्रकार के मापदंड निर्धारित किए गए हैं। अगर स्ट्रांग रूम और काउंटिंग हॉल के बीच में दूरी अधिक है तो इसके लिए एक विशेष प्रकार के बैरिकेड का निर्माण किया जाता है ताकि ईवीएम मशीन को स्ट्रांग रूम से सुरक्षित ढंग से निकाला जा सके।इसके अलावा विशेष प्रकार के सीसीटीवी कैमरे का भी इस्तेमाल किया जा सकता है ताकि अगर कोई गड़बड़ी हो तो उसको रिकॉर्डिंग कमरों में हो सके।
एम में जब वोट डाले जाते हैं तो वोटों का डाटा उसकी कंट्रोल यूनिट में सुरक्षित हो जाता है। वैसे तो एक ईवीएम की उम्र 15 साल होती है। इसके बाद उसको रिटायर कर दिया जाता है। लेकिन अगर डाटा की बात करें तो इसमें डाटा को तब तक सुरक्षित रखा जा सकता है जब तक आप उसे डिलीट ना कर दे।
वहीं, EM2 ईवीएम (2006-10 के बीच निर्मित) की लागत रु.8670/- प्रति ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) (बैलेटिंग यूनिट और कंट्रोल यूनिट) थी। अब काम में आने वाली EM3 EVM की लागत लगभग 17,000 रुपये प्रति यूनिट होती है।
एग्जिट पोल क्या है ? Opinion Poll Vs Exit Poll | कैसे वोटो की जितनी से पहले अनुमान लगा लेते है ?
मतगणना सुबह 8:00 बजे से शुरू होती है। मतगणना करने के लिए सबसे पहले स्ट्रांग रूम से ईवीएम मशीनों को काउंटिंग हॉल में लेकर आ जाएगा और लाने के समय सीसीटीवी कैमरों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसलिए हमेशा स्ट्रांग रूम काउंटिंग होल के नजदीक ही बनाया जाता है ताकि ईवीएम मशीनों को जाने में आसानी हो।के बाद मतगणना केंद्रों में 14 टेबल लगाए जाएंगे। प्रत्येक टेबल पर इलेक्शन कमिशन के ऑफिसर और पार्टी के एजेंट होते हैं। इलेक्शन कमिशन और पार्टी के एजेंट के बीच में एक तार का घेरा बनाया जाता है ताकि ईवीएम मशीनों को पार्टी के एजेंट छू ना सके।
सबसे पहले पहले रिटर्निंग ऑफिसर और असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर मतों की गोपनीयता बनाए रखने की शपथ लेंगे। वे इस शपथ को वोटों की गिनती शुरू होने से पहले जोर-जोर से बोलकर पढ़ेंगे। वोटों की गिनती करने से पहले ईवीएम मशीन की जांच की जाती है इसके बाद पोस्टल बैटल की गिनती सबसे पहले शुरू की जाती है। पोस्टल बैलट की गिनती होती है तो उस समय रिटर्निंग ऑफिसर वहां पर उपस्थित होता है अगर गिनती करने में कोई गड़बड़ी या कमी पाता है तो इसकी सूचना चुनाव आयोग को देता है। इसके बाद ईवीएम मशीन के वोटों की गिनती शुरू होती है।
ईवीएम मशीन के अंदर रिजल्ट देखने का एक का बटन होता है जैसे इस पर क्लिक किया जाता है 2 से 3 मिनट के अंदर ही मालूम चल जाता है कि किस कैंडिडेट को कितना वोट मिला है। इसे डिस्प्ले बोर्ड पर दर्शाया जाता है ताकि टेबल पर काउंटिंग के लिए बैठे हुए सभी प्रकार के पोलिंग एजेंट और उम्मीदवार देख पाए की कितनी वोट किस उम्मीदवार को यहां पर मिली है।
इसके बाद सभी 14 टेबल पर मौजूद मतगणना कर्मी हर राउंड में फॉर्म 17-सी भरकर एजेंट से हस्ताक्षर के बाद आरओ को देते आरओ प्रत्येक राउंड में गिनती होने के बाद नंबर को ब्लैक बोर्ड पर लिखता है। लाउडस्पीकर के माध्यम से घोषणा भी करता है कि अभी तक कितने वोटों की गिनती हो चुकी है और कौन उम्मीदवार कितने वोट से आगे चल रहा है।
पहले राउंड गिनती पूरा होने के बाद चुनाव अधिकारी 2 मिनट का इंतजार करता है ताकि अगर कोई उम्मीदवार को काउंटिंग लेकर आपत्ति है तो उसके आपत्ति पर चुनाव आयोग जांच करेगा कि उसने जो आपत्ति की है वह जायज है कि नहीं अगर जायज नहीं है तो दूसरे राउंड की गिनती शुरू हो जाएगी। कुल मिलाकर 14 राउंड की गिनती होती है हर राउंड के बारे में रिटर्निंग ऑफिसर चुनाव आयोग को सूचना देगा। अगर किसी प्रकार का विवाद होता है तो ऐसी स्थिति में वीवीपैट पर्चियों का मिलान ईवीएम में पड़े वोटों से कराई जाती है।
क्रिकेट सट्टेबाजी एक प्रचलित मनोरंजन और पैसे कमाने का एक सुनहरा मौका हो सकता है,…
नमस्कार दोस्तों , अगर आप पैसे दे के लाटरी टिकट Buy करते थे तो यह…
हेलो दोस्तों, आज कल सबके पास Gmail Account होना आम बात है । किसी किसी…
How to Check Aadhaar Card usage History :- हेलो दोस्तों आज कल सब जगह Proof…
अरे यह भी कोई बताने की बात है? वैसे भी लड़को को सब पता होता…
हेलो दोस्तों, बहुत से लोग यही सोचते रहते है के उसने iPhone Buy कर लिया…