क्या है इस पोस्ट में ?
Window’s Wife Adopted Child Rights on Her Husband’s Property High Court’s decision | Hindu widow’s adopted kid has claim only to her assets, rules | Adoption by a widow with authorization of husband | widow rights in husband’s’ property
हेलो दोस्तों, जैसा कि आप लोग जानते हैं कि आज की तारीख में ऐसे अनेकों नव दंपति हैं। जिनके घर में बच्चा नहीं होने के कारण वह किसी बच्चे को गोद ले लेते हैं और ऐसे में सभी के लोगों के मन में सवाल जरूर आता होगा, कि जिस बच्चे को गोद लेते हैं. वह बच्चा क्या उनके संपत्ति के उत्तराधिकारी हो सकता है ? इसके अलावा अगर उस परिवार में पहले से कोई बच्चा है ,लेकिन दंपति को अगर दूसरे बच्चे की चाहा है, इसके लिए उसने बच्चे को गोद लिया है। उसका संपत्ति में क्या अधिकार होगा?
अगर मान लीजिए कि कोई विधवा औरत है और उसने किसी बच्चे को गोद लिया है। तो क्या उस बच्चे का उस विधवा पति के संपत्ति में अधिकार हो सकता है? ऐसे में अगर आप भी जानना चाहते हैं तो मैं आपको बता दूं कि हाल के दिनों में हाई कोर्ट ने इस प्रकार के केस पर अपना फैसला सुनाया है? अगर आप पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो पोस्ट को आखिर तक पढ़े आइए जाने।
Window’s Wife Adopted Child Rights on Her Husband’s Property
Window’s Wife Adopted Child Rights on Her Husband’s Property High Court’s decision
दोस्तों आपके मन में भी यह सवाल जरूर आता होगा कि अगर किसी विधवा औरत ने बच्चे को गोद लिया है, तो उस बच्चे का उससे विधवा औरत के मृतक पति के संपत्ति में क्या अधिकार होगा? क्योंकि इस प्रकार का केस मुंबई हाई कोर्ट में आया था और कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुनाया है।
न्यायमूर्ति श्रीकांत डी. कुलकर्णी ने फैसला सुनाया कि एक दत्तक पुत्र को उसके गोद लेने के के बाद परिवार के द्वारा अर्जित की गई? संपत्ति में उसका अधिकार हो सकता है, हालांकि, गोद लेने से पहले किसी विशेष व्यक्ति के संपति में उस बच्चे का कोई अधिकार नहीं होगा? क्योंकि जब उस बच्चे को गोद लिया जा रहा है।
उसके पहले औरत के पति की मृत्यु हो जाती है और वह विधवा हो जाती है। ऐसे मे जिस बच्चे को गोद ले रही है उसका उस विधवा औरत के पति के संपत्ति में कोई भी कानूनी रूप से अधिकार नहीं होगा। पीठ एक संपत्ति विवाद की सुनवाई कर रही थी जिसमें एक दत्तक पुत्र ने अपनी दत्तक मां के दिवंगत पति की संपत्ति को बेच दिया।
इस सिलसिले में दिवंगत मां ने अपने बेटे तक पुत्र के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दर्ज किया गया। सन 1973 में कौशल्या बाई नाम की महिला ने शिवाजी नाम के बच्चे को गोद लिया था।उसके पहले ही उसके दत्तक माता के पति की मृत्यु 1965 में हो गई थी। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि जब कौशल्या बाई ने बच्चे को गोद लिया था उस समय उनकी एक बेटी थी जिसका नाम पर्वतीबाई है । ऐसे में पार्वती बाई और कौशल्या बाई दोनों ने मिलकर शिवाजी के ऊपर कोर्ट में मुकदमा दर्ज किया।
गोद लिए हुए बच्चे के क्या अधिकार है ? Legal Rights of Adopted Child in India

मुंबई हाई कोर्ट ने इस मुकदमे पर क्या फैसला सुनाया
उच्च न्यायालय ने कहा कि हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम 1956 की धारा 12 ने गोद लेने के परिणामस्वरूप संबंध के सिद्धांत के व्यवस्था को समाप्त कर दिया।
कोर्ट के न्यायाधीश ने कहा कि जब कौशल्या भाई ने शिवाजी नाम के लड़के को गोद लिया था। उसके पहले ही कौशल्या बाई के पति की मृत्यु हो गई थी। ऐसे में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 8 के अनुसार, कौशल्याबाई, विधवा के रूप में, और पार्वतीबाई, बेटी के रूप में, सोपानराव द्वारा छोड़ी गई सूट संपत्ति में प्रत्येक को आधा ब्याज मिलेगा।
इसके अलावा जब कोर्ट ने इस मुकदमे पर अपना फैसला सुनाया तो 2013 में कौशल्या बाई की मृत्यु हो गई थी। ऐसे में कोर्ट ने उनका 12 हिस्सा उनकी बेटी पार्वतीबाई और दत्तक पुत्र शिवाजी को दिया जाएगा। 1956 के हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 15 के अनुसार इस कानूनी स्थिति को देखते हुए, वादी संख्या 2/बेटी पार्वतीबाई को अपनी मां के हिस्से के 14 में से 12 का हिस्सा कूल 34 जबकि दत्तक पुत्र शिवाजी को संपत्ति में 14 हिस्सा मिलेगा।
Adopted Child return back to birth parents | क्या गोद लिया बचा वापिस किया जा , लिया जा सकता है ?
सवाल जवाब (FAQ)
सुप्रीम कोर्ट ने एक हिंदू महिला के उत्तराधिकार मामले में अपने फैसले में कहा कि मां का पक्ष विदेशी नहीं है और इसे महिला का परिवार माना जाएगा। अपने फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि एक हिंदू विधवा के पैतृक पक्ष के व्यक्तियों को “विदेशी” नहीं माना जा सकता है और एक हिंदू विधवा की संपत्ति का उत्तराधिकारी हो सकता है।
उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 15 के तहत हिंदू महिलाओं के संपत्ति के अधिकार से संबंधित नियमों को परिभाषित किया गया है। इस कानून की धारा 30 के तहत कोई भी हिंदू महिला अपनी संपत्ति कहीं भी विरासत में ले सकती है, लेकिन वह वसीयत छोड़कर नहीं मरती है, ऐसे में उसकी संपत्ति का उत्तराधिकार धारा 15 के अनुसार निर्धारित किया जाता है।
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के तहत, यदि कोई व्यक्ति बिना वसीयत छोड़े मर जाता है, तो मृत व्यक्ति की संपत्ति को उसके उत्तराधिकारियों के बीच अनुसूची की पहली श्रेणी में विभाजित किया जाएगा। यदि कोई व्यक्ति वसीयत के बिना मर जाता है, तो उसकी विधवा हिस्सा लेती है।
निष्कर्ष
हम आशा करते है के इस आर्टिकल से आपको विधवा औरत के गोद लिए बच्चे के क्या अधिकार है? क्या मृतक पति की संपत्ति में गोद लिए बच्चे का कोई अधिकार है । अगर है तो कितना ? क्या असल वारिस बच्चा दत्तक बचे को प्रॉपर्टी देने से मना कर सकता है । आपके इन सभी प्रकार के सवालों का जवाब हमने यह पर विस्तार से एक court case डिटेल के साथ दिया है । आप अपने सवाल और सुझाव निचे कमेंट कर सकते है । हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमे Social media पर फॉलो कर सकते है । धन्यावाद।
यह भी पढ़े :-
- मर्द, औरत, फैमली सबके लिए Child Adoption Rules अलग है| Bacha god kaise le | Child Adoption Rules in India
- पति भी गुजारा भत्ता की मांग कर सकता है | Can Husband claim alimony from Wife
- विधवा द्वारा गोद लिए बच्चे के मृतक पति की संपत्ति पर अधिकार | Window’s Wife Adopted Child Rights on Her Husband’s Property High Court’s decision
- पत्नी की संपत्ति पर पति का हक़ | Wife ki Property par Husband ka kitna hak hai
- बेटे का पूरी प्रॉपर्टी पर नहीं है हक | Bete ka pita ki sampati me adhikar
- पति की कमाई और संपत्ति में पत्नी का कितना हक़ | Patni ka Pti ki property me adhikar

सतिनाम सिंह पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर है। Web developer काम के साथ इनको पढ़ने , लिखने का शौक ह। इसी ज्ञान को दुसरो के साथ बाटने के लिए ही मैंने इस हिंदी शोभा ब्लॉग की स्थापना की है। देश के लोगो को सरल भाषा में पूरी जानकारी देना ही मेरा लक्ष्य है।
धन्यवाद। About Us